धूप खिलते ही बागीचों में पहुंचे बागबान, खाद डालने जुटे
पतलीकूहल। बुधवार को घाटी में सुबह सूर्य के दीदार होने के बाद आकाश में बादल छा गए, जिससे शाम चार बजे के बाद फिर से सुर्य देवता ने दर्शन दिए। गनीमत यह रही कि शाम तक बारिश नहीं हुई। लोगों ने खेतों व बागानों का रूख किया। बागबानी उपनिदेशक डा. बीएम चौहान ने बागवानों को …
पतलीकूहल। बुधवार को घाटी में सुबह सूर्य के दीदार होने के बाद आकाश में बादल छा गए, जिससे शाम चार बजे के बाद फिर से सुर्य देवता ने दर्शन दिए। गनीमत यह रही कि शाम तक बारिश नहीं हुई। लोगों ने खेतों व बागानों का रूख किया। बागबानी उपनिदेशक डा. बीएम चौहान ने बागवानों को सलाह दी कि घाटी के बागानों में पर्याप्त नमी है, जिससे कई महीनों की खुश्की दूर हो गई है। उन्होंने कहा कि यह समय बागानों में खाद के लिए उत्तम है क्योंकि घाटी के वांछित बर्फबारी व बारिश के होने से खादों को जज्ब होने के लिए बढय़िा नमी हुई है। इसलिए बागवान सेब के एक साल के पौधे में 10 किलो कंपोस्ट, 225 ग्राम सुपर फॉस्फेट व 120 ग्राम पोटाश की आवश्यकता रहती है।
10 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले सेब के पौधों को प्रति पौधा 100 किलो गोबर की खाद, 2210 ग्राम सुपर फॉस्फेट तथा 1200 ग्राम पोटाश की आवश्यकता रहती है। फरवरी महीने में जब बागानों में रस चढने की प्रक्रिया शुरू होती है तो 1000 ग्राम कैल्सियम नाइट्रेट को पौधे में डाले ताकि पौधे में एनपीके पर्याप्त मात्रा में मिल सके। बागबानों को बागानों की मृदा का परीक्षण करवा यह खादें डालनी चाहिए। मिट्टी की पीएच का पता लगाकर इसमें सुक्ष्म तत्वों की आवश्यकता का भी पता चल जाता है और बागबान सही मात्रा में खाद डाल सकता है। बागबानी विभाग के उपनिदेशक डा. बीएम चौहान ने बताया कि आजकल बागबान बागानों में नमी के चलते खादों के डालने के कार्यों को तरजीह दे रहें हैं। इसलिए बागबान अनुमोदित मात्रा के अनुरूप खाद डालने का कार्य करें ताकि पौधों में सही मात्रा में पोषक तत्वों का संचार होता है। कुल्लू घाटी की ऊंची चोटियों पर भारी बर्फबारी होने से बागबानों अब सेब के बागानों को वांछित 1200 से 1600 घंटे चिलिंग आवर्ज पूरे होने की उम्मीद जग गई है। बारिश से राहत मिली है।
पिछले कुछ वर्षों से दिसंबर व जनवरी में पर्याप्त बर्फूबारी न होने से सेब की क्वालिटी कम होने लगी है। इस बार बर्फबारी होने से बागबानों को बढय़िा पैदावार की आस जग गई है। सेब की फसल के लिए बर्फबारी एक तरह से संजीवनी प्रदान करती है, जिससे वायरल व फफूंद जैसी बीमारियों तथा अन्य नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का सफाया हो जाता है। जलवायु परिवर्तन से जिस तरह फसलों पर प्रभाव पड़ा है उससे किसानों व बागबानों की आर्थिकी को कम किया है। इस बार जिस तरह से फरवरी के आरंभ में बर्फबारी हुई है उसे सेब को फायदेमंद बताया जा रहा है। बागबानी विभाग के उपनिदेशक बीएम चौहान ने बताया कि घाटी में मौसम ने जिस तरह से करवट ली है मौसम का यह रूप सभी फसलों के लिए लाभदायक होगा। घाटी की चोटियों व बागानों में बर्फबारी की चादर सेब के बागानों तक पहुंच गई है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ बिछी है, वहीं निचले क्षेत्रों में सूख रही जमीन तर हो गई है।