आईआईटी में लोगों को ड्रोन से सफर कराने की तैयारी

अहमदाबाद: भविष्य में लोग ड्रोन में बैठकर यात्रा कर सकेंगे. इसके लिए आईआईटी अहमदाबाद के शोधकर्ता मालवाहक और यात्री ड्रोन को बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. आईआईटी की थियान लैब में इसके लिए शोध चल रहा है. आत्मनिर्भर भारत के तहत देश के जल्द ही ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में विश्व में …

Update: 2024-01-26 23:55 GMT

अहमदाबाद: भविष्य में लोग ड्रोन में बैठकर यात्रा कर सकेंगे. इसके लिए आईआईटी अहमदाबाद के शोधकर्ता मालवाहक और यात्री ड्रोन को बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. आईआईटी की थियान लैब में इसके लिए शोध चल रहा है.
आत्मनिर्भर भारत के तहत देश के जल्द ही ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी होने का दावा किया जा रहा. जल्द ही मालवाहक ड्रोन के क्षेत्र में देश का विश्व में बड़ा नाम होगा. भारत सरकार ने आईआईटी शोधकर्ताओं की शोध में रुचि भी दिखाई है. इसके चलते विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ड्रोन तकनीकी और विकसित बनाने के लिए अनुदान भी दे रहा है.
विश्व में ड्रोन तकनीक एक बड़ा बदलाव लेकर आई है. ड्रोन के जरिये विश्व के विभिन्न देशों में कृषि भी हो रही है. ड्रोन से खेती महंगी होने के चलते होने प्रत्येक किसान इसे अपना नहीं पा रहा, लेकिन देश में तैयार होने वाले माल वाहक ड्रोन किफायती भी होंगे और भारत पूरे विश्व में सबसे पहले मालवाहक ड्रोन बनाने वाला देश भी होगा.

आईआईटी अहमदाबाद में बड़े स्तर पर कई तरह के शोध चल रहे हैं. ड्रोन को मॉडल की तरह से तैयार किया जा रहा है, ताकि ड्रोन को उड़ान भरने में परेशानी न हो और उसमें रखा गया सामान गिरे नहीं.

प्रोटीन आधारित वैक्सीन से वायरस खत्म करने का दावा: बाजारों में जल्द ही प्रोटीन आधारित वैक्सीन उपलब्ध होंगी. कोविड वैक्सीन के ट्रायल में सफलता के बाद ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिक संस्थान (टीएचएसटीआई) प्रोटीन आधारित वैक्सीन के रिसर्च पर काम कर रहा है. दावा है कि इस रिसर्च के जरिये कोविड की तरह अन्य वैक्सीन को भी प्रभावशाली बनाया जाएगा. यह वैक्सीन वायरस के सरफेस प्रोटीन से बनेगी. टीएचएसटीआई के तकनीकी अधिकारी डॉ. वरुण ने बताया कि वैक्सीन को तैयार करने में कई तरह के शोध चलते हैं. प्रोटीन आधारित शोध अभी ही शुरू हुआ है.

स्मार्ट विंडो बिजली का बिल कम करेगी
बेंगलुरु के तकनीकी शिक्षण संस्थान ने स्मार्ट विंडो की तकनीक इजाद की है. इससे बिजली का बिल 80 फीसदी और निर्माण का बजट फीसदी तक कम करने का दावा किया है. भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में जीएनसीएसीआर की यह तकनीक आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. शिक्षण संस्थान के प्रोफेसर जीयू कुलकर्णी का कहना है कि स्मार्ट विंडो एक ग्लास (शीशा) से तैयार किया गया है. इसे दो परतों में बनाया है. इसके बीच तरल पदार्थ (केमिकल) भरा गया है, जो कमरे में आने वाली रोशनी को नियंत्रित करेगा. इसका कंट्रोल सिस्टम कमरे में लगाया जाएगा. जिसके आधार पर तापमान को नियंत्रित किया जा सकेगा. खास बात यह है कि यह तरल पदार्थ पर्दे का भी काम करेगा.

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