मारुति सुजुकी इंडिया गुजरात में अपनी दूसरी विनिर्माण सुविधा करेगी निवेश
गांधीनगर: सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष तोशीहिरो सुजुकी ने बुधवार को कहा कि मारुति सुजुकी इंडिया गुजरात में अपनी दूसरी विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए 35,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी का लक्ष्य 2030-31 तक वार्षिक उत्पादन क्षमता को 40 लाख इकाई से अधिक तक बढ़ाना है। वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन (वीजीजीएस) …
गांधीनगर: सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष तोशीहिरो सुजुकी ने बुधवार को कहा कि मारुति सुजुकी इंडिया गुजरात में अपनी दूसरी विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए 35,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी का लक्ष्य 2030-31 तक वार्षिक उत्पादन क्षमता को 40 लाख इकाई से अधिक तक बढ़ाना है।
वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन (वीजीजीएस) के 10वें संस्करण में तोशीहिरो ने कहा कि संयंत्र की स्थापित उत्पादन क्षमता 10 लाख इकाई प्रति वर्ष होगी।
तोशीहिरो ने कहा, ‘‘ हम गुजरात में दूसरे कार संयंत्र के निर्माण के लिए 35,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे, जो हर साल 10 लाख इकाई का उत्पादन करेगा।’’
उन्होंने कहा कि नए संयंत्र का परिचालन वित्त वर्ष 2028-29 में शुरू होने की उम्मीद है। इसका स्थान और उत्पादित किए जाने वाले मॉडल का विवरण उचित समय पर साझा किया जाएगा।
डाइनामाइट संवाददाता के अनुसार तोशीहिरो ने कहा कि इसके साथ ही गुजरात में वार्षिक उत्पादन क्षमता 20 लाख इकाई हो जाएगी। सुजुकी मोटर गुजरात में 10 लाख इकाई और दूसरे नए संयंत्र में 10 लाख इकाई का निर्माण किया जाएगा।मारुति सुजुकी इंडिया में सुजुकी मोटर की करीब 58 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
तोशीहिरो ने कहा कि विनिर्माण उद्योगों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और निरंतर समर्थन से भारतीय मोटर वाहन बाजार लगातार विस्तार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके दम पर भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोटर वाहन बाजार बन गया है।
तोशीहिरो ने कहा, ‘‘ हमने भारत में उत्पादन क्षमता में भी काफी वृद्धि की है। हमें 10 साल पहले की तुलना में चालू वित्त वर्ष 2023-24 में वाहन उत्पादन में 1.7 गुना और निर्यात बिक्री में 2.6 गुना वृद्धि की उम्मीद है।’’
उन्होंने कहा कि सुजुकी समूह का पहला बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) इस साल के अंत तक सुजुकी मोटर गुजरात से ही पेश किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी योजना इस मॉडल को न केवल भारत में बेचने की है बल्कि जापान और यूरोपीय देशों में भी निर्यात करने की है।’’