'उल्टी सीधी फिल्में देखते हो'...जब जया बच्चन को पिता ने कहा ऐसा...पढ़े पूरा किस्सा

Update: 2021-08-09 11:53 GMT

दिग्गज अदाकार जया बच्चन ने हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। शोले, सिलसिला, गुड्डी, अभिमान, जंजीर, चुपकेचुपके, अभिमान, तमाम फिल्मों में काम करके खुद के हुनर को सिद्ध करने वालीं जया बच्चन ने सबसे पहले सत्यजीत रे की 'महानगर' में एक्टिंग की थी। इसी प्रोजेक्ट के बाद से उनका मन फिल्मों में लग गया। नहीं तो इससे पहले उनका फिल्मी दुनिया की तरफ जरा भी इंट्रस्ट नहीं था।

इस फिल्म में काम करने के बाद ही जया फिल्मी दुनिया के रंग में ऐसी रंगी कि उन्हें फिल्में देखने की आदत हो गई। लेकिन एक दिन उनके पिता ने उन्हें बुरी तरह से डांट लगा दी थी। इस बारे में जया बच्चन ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था। जया बच्चन ने राज्यसभा टीवी को दिए इंटरव्यू में बताया था- 'मैंने जीवन में कभी भी कोई चीज प्लान नहीं की। जिस तरह से चीजें आती गईं मैंने उन्हें स्वीकार किया। बचपन में मैं अपने पिताजी के साथ एक बार कलकत्ता गई थी। वहां से हम लोग उड़ीसा गए।'
जया बच्चन का इंट्रस्ट फिल्मों में कैसे आया इस पर उन्होंने बताया था- 'उड़ीसा में एक फिल्म की शूटिंग चल रही थी। उस यूनिट के साथ हमने काफी वक्त बिताया था, सब मेरे पिता के बहुत अच्छे दोस्त थे। मेरी उम्र उस वक्त 12 साल की थी, इसलिए मुझे उस वक्त फिल्मों का इतना शौक नहीं था। जब शूटिंग खत्म हुई तो हम सब कलकत्ता आए। शूटिंग के दौरान सबसे बहुत गहरी दोस्ती हो गई। तो सबसे लगभग हर दिन मुलाकात होती थी। उस वक्त कहा मुझे बताया गया कि हम लोग सत्यजीत रे से मिलने जाएंगे। तो मैंने कहा कि सब जा रहे हैं तो हम भी जाएंगे।'
उन्होंने बताया- 'अब इस मामले में शर्मिला टेगौर का बड़ा हाथ था। जिस फिल्म की शूटिंग हम देखने गए थे उस फिल्म में वह हिरोइन थीं। उनसे मेरी बहुत दोस्ती हो गई थी और उन्होंने इतना प्यार दिया जैसे एक छोटी बहन को दिया जाता है। उस वक्त सत्यजीत रे महानगर की कास्टिंग कर रहे थे। मुझे नहीं पता था कि हम वहां क्यों जा रहे हैं? मैंने सोचा हमारे पिताजी लेखक हैं शायद इस वजह से मिल रहे हैं। मुझे वहां पता चला कि महानगर की कास्टिंग हो रही है, जिसमें एक छोटी बहन के किरदार के लिए एक लड़की चाहिए।'
शर्मिला टेगौर को लेकर उन्होंने कहा- 'इस बीच शर्मिला टेगौर ने सत्यजीत रे को कहा कि आप कास्टिंग कर रहे हैं तो एक लड़की है, आप उसे देखेंगे तो फौरन उसे ले लेंगे। इसके बाद सत्यजीत रे ने मेरे फादर से कहा कि मुझे जया चाहिए। मुझे जरा भी इंट्रस्ट नहीं था तो मैंने कहा क्या करना है। इस पर मेरे पिता ने कहा कि देखो ऐसे मौके जिंदगी में सबको नहीं मिलते। आप समझ सकते हैं कि मध्यप्रदेश की एक छोटी सी लड़की जिसे फिल्मों में कोई इंट्रस्ट नहीं, उसके लिए सत्यजी रे क्या मायने रखेंगे! जब मुझे बहुत समझाया गया फिल्में दिखाई गईं, फिर मैंने कहा ठीक है।'
जया ने कॉन्वेंट स्कूल से की पढ़ाई: जया ने बताया था- 'अब स्कूल की छुट्टियों को लेकर बात अटकी तो पिताजी ने कहा मैं बात कर लूंगा। क्योंकि मैं कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती थी और नन्स बहुत नाराज हो जाएंगी कि फिल्मों में काम कर रहे हैं। वो वक्त अच्छा था तो मैंने काम किया मैंने बहुत एंजॉय किया। जब वापस आए तो मुझे लगा कि नन बहुत नाराज होंगी लेकिन वो लोग बहुत खुश थे और वो मुझपर गर्व कर रहे थे कि मैंने फिल्म में काम किया है।'
जया ने आगे बताया था- 'इसके बाद फिल्में देखने का शौक चढ़ गया। मैं रोज फिल्में देखती थी, तो एक बार मेरे पिता बहुत नाराज हो गए कि तुम लोग कितनी उल्टी सीधी फिल्में देखते हो, पैसा वेस्ट करते हो। समझ में नहीं आता है क्यों ये लोग ऐसी फिल्में बनाते हैं। अच्छे फिल्म इंस्टीट्यूट हैं, वहीं इन्हें ट्रेनिंग लेनी चाहिए। तो मैंने सुनते ही कहा कि 'फिल्म इंस्टीट्यूट'?ऐसी भी कोई जगह होती है जहां एक्टिंग भी सिखाते हैं। तो उन्होंने कहा-हां बिलकुल सिखाते हैं, तो मैं बहुत सरप्राइज थी।'
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