13 साल पहले 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले ने देश को दहला कर रख दिया था. इस बर्बरता का शिकार कई मासूम जानें हुई थीं. इस आतंकी हमले में मुंबई का ताज महल पैलेस होटल आतंकियों का सबसे बड़ा निशाना था. घटना के दिन हमले से पहले कई लोग होटल में अपनी खुशियों का जश्न मना रहे थे, लेकिन किसे पता था कि 26 नवंबर इतिहास का सबसे मनहूस दिन होने वाला है. इन्हीं में पूर्व एक्ट्रेस और शेफ अमृता रायचंद भी थीं.
अमृता अपने बर्थडे सेलिब्रेशन के लिए पति के साथ ताज महल पैलेस गई थीं. उस मनहूस दिन अमृता ने अपनी आंखों के सामने मौत का तांडव देखा, जो कि दिल दहला देने वाला था. अमृता ने एक इंटरव्यू में उस दिन की डरावनी तस्वीरों का ब्यौरा दिया है. उन्होंने ताज महल पैलेस में अपनी आंखों देखा हाल सुनाया.
अमृता बताती हैं कि उस दिन उनका बर्थडे था. अमृता और उनके पति ने होटल में बर्थडे डिनर का प्लान बनाया और एक साल के बेटे को घर पर छोड़ होटल पहुंचे. वहां उनका एक दोस्त भी ठहरा हुआ था. अमृता कहती हैं- 'मेरा बेटा एक साल का हुआ था तो मैं उसे घर पर छोड़ने पर डाउट कर रही थी पर परिवार के कहने पर मैं मान गई.'
अमृता कहती हैं कि वे अपने दोस्त के कमरे में ड्रिंक्स के लिए गए और बस बैठे ही थे कि उन्हें आतिशबाजी की आवाजें सुनाई दीं. अमृता कहती हैं- 'पूरा शहर मेरा जन्मदिन मना रहा है. उसके 15 मिनट बाद, हमने वो आवाज दोबारा सुनी पर इस बार वे गोलियों की आवाज जैसी थी. खिड़की से जब मैंने देखा तो शॉक्ड रह गई...लाशें बिछी पड़ी थीं.'
होटल की रिशेप्सनिस्ट ने उन्हें अपने कमरे में रहने को कहा था. 'एक घंटे बाद, एक धमाके ने पूरी इमारत को हिलाकर रख दिया. इसके बाद भागदौड़ मच गई. चीखें सुनाई दीं, लोगों को घसीटा जा रहा था, गोलियां चल रही थीं. हमने लाइट्स बंद कर दिए और फोन साइलेंट कर दिया. पर वह सन्नाटा भी डरावना था.'
वह आगे बताती हैं- 'मुझे याद है, आधी रात को मैंने अपने पति से पूछा अगर हम नहीं बचे तो हमारे बेटे का क्या होगा. ठीक इसके बाद दूसरा ब्लास्ट हुआ- होटल का डोम आग में लिपटा हुआ था और हम धुएं से भर गए थे. मेरा दिमाग बस घर पर मेरे बेटे को सोच कर रहा था.'
अमृता ने घटना वाली रात का ब्यौरा देते हुए कहा कि उन्होंने दरवाजे पर गीले टॉवल डाल दिए थे ताकि धुआं अंदर ना आ पाए. उन्होंने खिड़की भी खोलने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पूरी रात डर के साये में बीती और किसी तरह जब सुबह हुई तो भी वे धुएं में सांस ले रहे थे और उम्मीद खोते जा रहे थे.
वे कहती हैं- 'और फिर हमने फायर ब्रिगेड को सुना, हमने लाइट चमकाई और ऊपरवाले की दया से उन्होंने हमें देख लिया. फायर ब्रिगेड वालों ने खिड़की तोड़ी और अंदर आए. रस्सी से नीचे उतरने में हमें एक घंटा लगा. वो बहुत दर्दनाक था पर हम सब बच गए थे.'
'27 नवंबर की सुबह जब हम घर वापस आए, मैंने अपने बेटे को जोर से गले लगाया. पर उस रात का ट्रॉमा मेरे जेहन में बस गया. मैं अकेली बाथरूम जाने में भी डरने लगी थी, आतिशबाजी से भी. वो आवाजें आज भी मुझे डराती हैं.'
अगले साल अमृता दोबारा उसी जगह अपना बर्थडे सेलिब्रेट करने गईं और इस बार सभी उनकी वापसी की खुशियां मना रहे थे- स्टाफ, गेस्ट और बाकी लोग भी. अमृता ने शेयर किया कि अब तो ये हर साल की परंपरा-सी बन गई है. 'हर साल 26/11 के दिन, मैं उन सभी के लिए प्रार्थना करती हूं जिन्होंने उस दिन अपनी जान गंवाई. ताज होटल जाती हूं, उनके लिए जिन्होंने उस दिन जांबाजी दिखाई और आतंक पर जीत पाई.'