महिला ने बताई फिल्मों में इंटिमेट सीन्स के शूट होने की सच्चाई
फिल्मों में इंटिमेट सीन्स के शूट होने की सच्चाई
हॉलीवुड की तरह अब भारतीय फिल्मों में भी रोमांटिक और इंटिमेट सीन्स (Intimate scenes in movies) की भरमार हो चुकी है. आपने कई वेब सीरीज देखी होंगी जिनमें ऐसे-ऐसे इंटिमेट सीन्स दिखाए गए हैं जिनपर लोगों ने आपत्ति भी जताई है. पर हैरान करने वाली बात ये है कि इन इंटिमेट सीन्स को शूट (How intimate scenes are shot?) करने के पीछे की सच्चाई कुछ और ही जिसके बारे में एक महिला ने हाल ही में खुलासा किया है. ये महिला इंटिमेट सीन्स को डायरेक्ट (Woman direct intimate scene) करने का काम करती है.
कनाडा (Montreal, Canada) की रहने वाली 27 साल की मेगन स्क्रोडर (Meagan Schroeder) एक इंटिमेसी कोर्डिनेटर (Intimacy Coordinator) हैं. यानी मेगन फिल्मों में रोमांटिक सीन्स के डायरेक्शन में मदद करती हैं. हाल ही में उन्होंने डेली स्टार वेबसाइट से बातचीत की और ऐसे सीन्स की शूटिंग (Shooting of intimate scenes) के पीछे का सच सबके सामने रखा. उन्होंने बताया कि दर्शकों को जो फिल्मों में दिखता है, वो पूरी तरह सच नहीं है. रोमांटिक सीन्स की शूटिंग के दौरान कई चीजों का बहुत ध्यान रखा जाता है.
इंटिमेसी कॉर्डिनेटर का क्या होता है काम?
उन्होंने कहा कि सीन्स को शूट करने से पहले वो एक्टर-एक्ट्रेस की बाउंड्रीज यानी इन सीन को लेकर वो कितने सहज हैं, इस बारे में जानने की कोशिश करती हैं. इसके बाद एक्टर-एक्ट्रेस की सहजता के दायरे में रहते हुए ही इन सीन्स को शूट किया जाता है. फिर कैमरा के एंगल को इस तरह रखा जाता है कि सीन दर्शकों को ज्यादा आकर्षक लगे और बता सके कि उस दौरान दोनों किरदार एक दूसरे के बारे में कैसा महसूस कर रहे हैं. ऐसे सीन्स की शूटिंग में पूरा खेल कैमरा एंगल का होता है. सीन को ज्यादा असली बनाने के लिए ल्यूब, कॉन्डम, और अन्य प्रॉप का इस्तेमाल किया जाता है.
न्यूड सीन्स में इस्तेमाल होते हैं प्रॉप
उन्होंने बताया कि पहले के समय में इंटिमेसी कॉर्डिनेटर फिल्म की शूटिंग के दौरान सिर्फ फिजूल खर्च माना जाता था. मगर अब इसकी अहमियत लोगों को पता चल रही है. उन्होंने बताया कि वो ना शूटिंग में रुकावट बनती हैं और ना ही निर्देशक को बताती हैं कि क्या करवाएं और कैसे. वो सिर्फ कैमरा एंगल, पोस, और प्रॉप का इस्तेमाल कर एक्टर-एक्ट्रेसेज को शर्मिंदगी से बचाती हैं. उन्होंने कहा कि जिन सीन्स में दर्शकों को लगता है कि एक्टर-एक्ट्रेस ने कुछ भी नहीं पहना है, उन सीन्स में भी ऐसे प्रॉप्स इस्तेमाल किए जाते हैं जिससे वे अपने आप को और अपनी गरिमा को बनाए रख सकते हैं.