'Bhool Bhulaiya 2' फिल्म देख में मजा तो आएगा, अक्षय-विद्या की फिल्म जैसा करिश्मा नहीं
आपने बहुत दिनों से कोई कॉमेडी मूवी ना देखी हो, बहुत इच्छा कर रही हो और अगर हॉरर कॉमेडी देखने के शौकीन हैं तो बिना रिव्यू पढ़े जाकर भूलभुलैया 2 को देख आइए.
आपने बहुत दिनों से कोई कॉमेडी मूवी ना देखी हो, बहुत इच्छा कर रही हो और अगर हॉरर कॉमेडी देखने के शौकीन हैं तो बिना रिव्यू पढ़े जाकर भूलभुलैया 2 को देख आइए. दिमाग घर पर ही रखकर जाएंगे तो पूरी मूवी में जमकर हंसेंगे, ठहाके लगाएंगे, लेकिन भूलकर भी अक्षय-विद्या की ओरिजनल 'भूलभुलैया' से तुलना करने मत बैठ जाना, नहीं तो आपको उसका ये अपग्रेड वर्जन के बजाय एक सस्ता वर्जन लगेगा.
निर्देशक: अनीस बज्मी
स्टार रेटिंग: 2.5
कहां देख सकते हैं: थिएटर्स में
कहानी है, फिर से मंजूलिका की जो अपने पिता और अपनी बहन अंजूलिका के साथ राजस्थान के भवानीगढ़ में किसी राजा साहब (मिलिंद गुणाजी) के यहां बंगाल से आती है, पिता को उनके यहां नौकरी मिली है. लेकिन मंजूलिका को पिता का अंजूलिका से ज्यादा लगाव पसंद नहीं आता, तो वो बदला लेने के लिए काला जादू सीखने लगती है और जब राजा कुंवर साहब उसकी बजाय उसकी बहन से शादी करने का फैसला करते हैं, तो गुस्से में अपने पिता का खून करने के बाद कुंवर साहब को भी मारने की कोशिश करती है लेकिन बहन अंजूलिका के हाथों मारी जाती है.
मरने के बाद भूत बन जाती है मंजूलिका
जाहिर है भूत बन जाती है और एक तांत्रिक आकर उसे एक कमरे में अभिमंत्रित त्रिशूल दरवाजे पर लगाकर बंद कर देता है. पिछली फिल्म भी मंजूलिका के कमरे में बंद रहने के ऊपर ही थी, इसमें भी एक बंगाली गाना है, जो ये पूरी फैमिली गुनगुनाती थी. लेकिन कहानी मोड़ लेती है. परिवार की बेटी रीत राठौड़ (कियारा आडवाणी) जो बाहर पढ़ रही है, लेकिन शादी से बचने के लिए वो जिस एक्सीडेंट से बच गई थी, उसमें मरने की खबर आने के बाद सच नहीं बताती ताकि जिससे शादी हो रही थी, उससे उसकी बहन की शादी हो सके.
इसमें उसकी मदद करता है, रास्ते में उसका दोस्त बना रोहन रंधावी (कार्तिक आर्यन), जो सबको रीत की आखिरी ख्वाहिश बताकर उसी हवेली में फिर से परिवार को ले आता है, जिसमें कि मंजूलिका (तब्बू) बंद है और उसकी हमशक्ल बहन अंजूलिका (ये भी तब्बू है) रीत की भाभी है. धीरे धीरे वही ड्रामा होता है, जो आपने भूलभुलैया में देखा था. तमाम भूतिया घटनाएं होती हैं, तमाम हंसी के फव्वारे उठते हैं. राजपाल यादव और संजय मिश्रा की जोड़ी के साथ साथ कार्तिक आर्यन के भी तमाम सींस ऐसे हैं, जो लोगों को काफी हंसाते हैं.
अक्षय-विद्या की फिल्म जैसा करिश्मा नहीं
भूलभुलैया से ये मूवी (Bhool Bhulaiya 2 Movie) इस मामले में थोड़ी अलग है कि इसमें पहले सीन से ही आपको भूत दिखा दिया गया है ताकि आप ये ना मान लें कि इस मूवी में भी पहली वाली की तरह केमिकल लोचा होगा. लेकिन फिर भी इसे उसका सस्ता वर्जन ही माना जाएगा क्योंकि ना तो कार्तिक आर्यन वो वजन पैदा कर पाते हैं, जो अक्षय कुमार ने किया था और ना ही कियारा आडवाणी विद्या बालन जैसा करिश्मा. उसकी वजह भी थी कियारा को कार्तिक के मुकाबले इतने कम सीन मिले कि कुछ करने को था ही नहीं. अगर इंटरवल के बाद वाला एक गाना उन पर नहीं फिल्माया होता तो आपको लगता कि वो मूवी में हैं ही नहीं.
उनका सारा फुटेज गया डबल रोल कर रहीं तब्बू के हिस्से में, लेकिन तब्बू का भी किरदार ओवर एक्सपोज्ड था, जिससे विद्या जैसा दम नहीं आ पाया. भूत को लोग कम ही झेल पाते हैं,ज्यादा दिखाने पर उसका असर कम हो जाता है, तब्बू के साथ भी ऐसा ही हुआ. हालांकि पूरी मूवी उनके ही कंधों पर हैं. ऐसे में जो ग्लेमर का तड़का कियारा लगा सकती थीं, वो नहीं हो पाया. बाकी के किरदारों में भी भूलभुलैया के मुकाबले वो दम नहीं था. प्रियदर्शन की मूवी का एक एक किरदार ऐसा था, जो असरदार लगता था. जैसे परेश रावल, मनोज जोशी, शाइनी आहूजा, अमीषा पटेल, राजपाल यादव, विक्रम गोखले और असरानी तक.
ज्यादा मसखरापन मूवी पर भारी पड़ा
जबकि अनीस बज्मी की मूवी में सब मसखरे लगते हैं, एक किरदार सीरियस नहीं है सिवाय तब्बू के. मिलिंद गुणाजी ने अपनी जिंदगी का शायद सबसे असरहीन किरदार किया है इस मूवी (Bhool Bhulaiya 2 Movie) में, कन्फ्यूज ही नजर आते हैं. बाकी संजय मिश्रा हों, राजपाल यादव हों, राजेश शर्मा हों सभी मसखरे नजर आते हैं. भूत से बस इतना ही डरते हैं, जितना किसी बंदर या कुत्ते से. जिस घर में भूतनी छुट्टा घूम रही है, उसी में सभी शादी के कार्यक्रम कर रहे हैं. उसे छोड़कर भागते नहीं दिखते, भूतनी पकड़ते वक्त भी महिलाओं बच्चों को साथ ले जाते हैं. असल में ऐसा होता तो सोचकर देखिए कौन वहां एक पल भी रुकता.
भले ही इस मूवी में भी एक जबरदस्त ट्विस्ट डालकर क्लाइमेक्स को बेहतरीन बनाने की कोशिश की गई है और दिमाग ना लगाएं तो वो ज्यादातर को बेहतरीन ही लगेगा, लेकिन दिमाग लगाया तो लगेगा कि ये राज पहले क्यों नहीं खुला. जिसे ये राज पता था, उसको तो बस चिल्लाकर सबको बताना ही था. आसानी से बता देती, भूतनी को कौन रोक सकता था भला.