अपनी फिल्मों का नाम 'K' से क्यों रखते थे राकेश रोशन?

Update: 2024-09-06 09:00 GMT
 Mumbai.मुंबई: बॉलीवुड में अभिनेता के तौर पर किसी को पहचान मिल जाए और वह अपने पैर जमीन पर रखे. ऐसा कम ही देखने को मिलता है. आज हम जिस अभिनेता और निर्देशक की बात कर रहे हैं उन्होंने सफलता को अपने सिर पर कभी हावी नहीं होने दिया. जीवटता इतनी की कैंसर को भी मात दे दी और आज भी वह एक युवा से ज्यादा जवान और जिंदादिल हैं. हम बात कर रहे हैं 1970 में फिल्म ‘घर-घर की कहानी’ से बॉलीवुड में एंट्री मारने वाले अभिनेता राकेश रोशन की. फिल्मी पर्दे पर बैक-टू-बैक हिट फिल्में देने के बाद भी इस अभिनेता के अंदर किसी ने सफलता का नशा चढ़ते नहीं देखा. वह एकदम सामान्य शख्स की तरह तब भी थे जैसा कि अपनी पहली फिल्म की शूटिंग के लिए सेट पर पहले दिन पहुंचे थे.
राकेश रोशन ने अपने करियर में चाहने वालों की जो लंबी फेहरिस्त तैयार की वह केवल अपने अभिनय के दम पर नहीं बनाई बल्कि अपने डायरेक्शन से भी उन्होंने लोगों का दिल जीता. फिल्मी पर्दे पर खुद इतनी सफलता हासिल करने के बाद राकेश रोशन ने सोचा कि क्यों न और कई सफल सितारों को तैयार किया जाए और वह कूद पड़े डायरेक्शन के क्षेत्र में. 1987 में फिल्म ‘खुदगर्ज’ से बतौर निर्देशक उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की. फिल्म ने सफलता के ऐसे झंडे गाड़े की राकेश रोशन अभिनेता के तौर पर अपनी पहचान से ज्यादा एक सफल निर्देशक के तौर पर पहचाने जाने लगे.
‘खुदगर्ज’ को लेकर एक किस्सा बड़ा दिलचस्प है इस फिल्म में वह बतौर निर्देशक पहली बार भाग्य आजमा रहे थे ऐसे में वह अपनी सफलता के लिए भगवान तिरुपति के दरबार पहुंचे और मन्नत मांग ली कि फिल्म हिट हुई तो अपना बाल दान कर देंगे. हालांकि वह इस मन्नत को पूरा करते इससे पहले उनकी एक और फिल्म बनने को तैयार थी ‘खून भरी मांग’. इस फिल्म के निर्माण के दौरान उनकी पत्नी ने उन्हें तिरुपति बालाजी के दरबार में मांगी गई मन्नत की याद दिलाई तो राकेश रोशन बालाजी के दरबार पहुंच गए और वहां अपना बाल दान कर दिया और इस फिल्म में गंजे होकर काम किया. ये फिल्म भी हिट साबित हुई. इसके बाद बैक टू बैक 1989 में ‘काला बाजार’ और 1990 में ‘कृष्ण कन्हैया’ जैसी हिट फिल्में राकेश रोशन ने दी.
‘खून भरी मांग’ के दौरान जो राकेश रोशन ने अपना सिर मुंडवाया उसके बाद किसी ने आज तक उनके सिर पर बाल नहीं देखा और वह हमेशा गंजे ही नजर आए. राकेश रोशन की फिल्मों के नामों को लेकर भी हमेशा से लोगों के मन में यही सवाल रहा कि आखिर उनकी ज्यादातर हिट फिल्मों के नाम ‘के’ अक्षर से क्यों शुरू होते हैं. दरअसल साल 1982 में उन्होंने फिल्म ‘कामचोर’ बनाई थी, ये फिल्म हिट साबित हुई थी. इसके बाद वह फिल्म ‘जाग उठा इंसान’ को लेकर काफी बिजी चल रहे थे. यह फिल्म खास कमाल नहीं दिखा पाई. साल 1986 में ‘भगवान दादा’ रिलीज हुई और यह फिल्म भी अपना जादू नहीं चला पाई.
फिल्म ‘जाग उठा इंसान’ के दौरान एक प्रशंसक ने राकेश रोशन को एक खत लिखा था और राय दी थी कि वह अपनी फिल्मों के नाम ‘के’ यानी ‘k’ से रखे. ऐसे में ‘भगवान दादा’ की असफलता के बाद राकेश रोशन को इस सुझाव पर विचार करना पड़ा और फिल्म आई ‘खुदगर्ज’ जिसने सफलता के झंडे गाड़े. फिर क्या था उन्होंने अपनी ज्यादातर सुपरहिट फिल्मों के नाम ‘के’ यानि ‘k’ से रखना शुरू कर दिया. ‘खून भरी मांग’, ‘काला बाजार’, ‘किशन कन्हैया’, ‘करण अर्जुन’, ‘कोयला’, ‘कहो ना प्यार है’, ‘कोई मिल गया’, ‘कृष’ और ‘कृष 3’ जैसी फिल्में इसके बाद धमाल मचाती चली गई.
साल आया 2000 का राकेश रोशन अपने बेटे का करियर बनाना चाहते थे और ऋतिक रोशन ने एक बार इस बात का जिक्र भी किया की उनके पिता उन्हें जिस फिल्म के जरिए सिनेमा के पर्दे पर उतारना चाह रहे थे उसके लिए उन्होंने अपनी कार के साथ-साथ अपना घर भी गिरवी रख दिया था. फिल्म थी ‘कहो ना प्यार है’ इस फिल्म की सफलता ने ऋतिक को रातों-रात स्टार बना दिया और उधर राकेश रोशन का पूरा परिवार इस फिल्म की सफलता का जश्न मनाने में डूब गया. हालांकि यह जश्न अभी शुरू ही हुआ था कि फिल्म के निर्देशक और ऋतिक के पिता राकेश रोशन को अंडरवर्ल्ड की तरफ से धमकी मिलने लगी, उनसे फिल्म के प्रॉफिट में हिस्सा मांगा गया.
राकेश रोशन ने इससे इनकार किया तो उन पर फायरिंग हो गई. 21 जनवरी 2000 की शाम को राकेश रोशन पर मुंबई के सांताक्रूज़ वेस्ट, तिलक रोड स्थित उनके ऑफिस के बाहर अज्ञात हमलावरों ने हमला किया उनके बाएं हाथ में गोली लगी और दो गोलियां उनके सीने को छूकर निकल गई. हमलावर फौरन मौके से भाग गए. राकेश रोशन फिल्म ‘आखिर क्यों?’ में बतौर अभिनेता नजर आए थे. इस फिल्म को 1985 में पर्दे पर प्रदर्शित किया गया और फिल्म का एक गाना ‘दुश्मन ना करे दोस्त ने जो काम किया है’ तब से लेकर अब तक लोगों की जुबां पर है. 6 सितंबर 1949 को मुंबई में जन्मे राकेश रोशन का तो फिल्मी दुनिया से नाता पुराना था. उनके पिता हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकार रोशन थे. पिता का यह गुण उनके भाई राजेश रोशन में आया और वह आज इंडस्ट्री के मशहूर संगीतकार के तौर पर पहचान रखते हैं.
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