जब शत्रुघ्न सिन्हा को सुनना पड़ा था ताना, किस्सा सुनकर छूट जाएगी हंसी

Update: 2022-02-13 06:02 GMT

नई दिल्ली: लता मंगेशकर भले ही दुनिया को अलविदा कह गई हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी म्यूजिक इंडस्ट्री के गायकों, बॉलीवुड के सेलेब्स और चाहनेवालों के साथ है. आजतक ने शनिवार को लता मंगेशकर को अपने अंदाज में याद किया है. इस दिन श्रद्धांजलि: 'तुम मुझे भुला ना पाओगे' नाम के इवेंट का आयोजन किया गया. इस खास इवेंट में शत्रुघ्न सिन्हा ने शिरकत की.

शत्रुघ्न सिन्हा ने मॉडरेटर श्वेता सिंह के साथ बातचीत की. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, 'मेरा बहुत सौभग्य है कि लता जी के साथ हमारा और हमारे परिवार का बहुत अच्छा तालमेल रहा. हमारा प्यार और स्नेह रहा. वह मान सम्मान के साथ मुझसे बात करती थीं. मेरी तारीफ करती थीं. यह उनका बड़प्पन था. मेरी एक्टिंग, डायलॉग की बात करती थीं. लता ताई कहती थीं कि मैं आपकी ही नहीं सोनाक्षी सिन्हा की भी बहुत बड़ी फैन हूं. वो फिल्म मैंने इतनी बार देखी. घर पर मैं फिल्म देख रही थी. बहुत प्यार हमें वह देती थीं.'
शत्रुघ्न सिन्हा के मुताबिक, कोई भी लता मंगेशकर की कमी को पूरा नहीं कर पाएगा. उन्होंने कहा, 'बहुत सारे लोग उन्हें लता ताई के नाम से भी उन्हें जानते थे. वह जगत दीदी रही हैं. जैसे मुंबई का और फिल्म सिटी का नाम है. ऐसे ही लता दीदी का नाम, उनके गीत और उनकी कृतियां सदा अमर रहेंगी. हम एक स्तंभ की तरह उन्हें देखते थे. अगर राज कपूर सबसे बड़े शोमैन रहे तो वैसे ही लता मंगेशकर सिंगिंग का इंस्टीटूशन रही हैं. हमारे प्यारी लता ताई के जाने से घर-घर में जो खालीपन पैदा हुआ है कि वो कभी पूरा नहीं हो सकता है.'
लता मंगेशकर के लिए शत्रुघ्न सिन्हा ने दो लाइन्स भी कहीं. उन्होंने अपने फेमस गाने से दो लाइनें कही - ''तुम ना जाने किस जहान में खो गए, हम भरी दुनिया में तन्हा हो गए.''
जब लता ने उड़ाया था शत्रुघ्न का मजाक
शत्रुघ्न सिन्हा ने बताया कि लता मंगेशकर से उनकी कई बार मुलाकात हुई थी. वह फंक्शन और अलग-अलग शो में एक दूसरे से अक्सर मिलते थे. लेकिन एक बहुत प्यारी मुलाकात जो हमेशा शत्रुघ्न सिन्हा को याद रहेगी वो है उनके साथ एक गाने की रिकॉर्डिंग.
शत्रुघ्न सिन्हा किस्सा सुनाते हुए कहते हैं, 'मैं एक गाने में उनके साथ शरीक हुआ था. गाने का नाम था 'आ बता दें कैसे जिया जाता है' मोहम्मद रफी साहब और लता दीदी के साथ गाना गाया जा रहा था. उस गाने में मेरे भी कुछ पॉपुलर डायलॉग थे. मुझे याद है लता जी का वहां जो दबदबा था. मैं अपने लेट आने के लिए मशहूर था. उस गाने की रिकॉर्डिंग के दिन मैं फिल्मिस्तान स्टूडियो में शूटिंग कर रहा था. जब मैंने सुना कि लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के साथ काम है तो मैं वहां से भागता हुआ स्टूडियो पहुंचा था.'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं लेट लतीफी का रिकॉर्ड तोड़ रहा था. लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल, लता दीदी और रफी साहब सभी वहां पर थे. जब मैं पहुंचा तो वहां के वातावरण में सन्नाटा था. सब ने सीधे लता दीदी की तरफ देखा कि वह मुझे कुछ बोलेंगी. उन्होंने मुझे कहा- मैं जानती हूं गोरेगांव के फिल्मिस्तान से आप आ रहे हो. वहां तो बहुत ट्रैफिक होता है. मैं वहां रहती तो बिल्कुल ट्रैवल करने में परेशान होती. आपने तो कमाल ही कर दिया. इतनी जल्दी आ गए. लता दीदी के इस मस्तीभरे अंदाज को देखकर सबलोग हंसने लगे. हम तो बेचैन हैं आपका डायलॉग सुनने के लिए आओ आओ हम सुनना चाहते हैं आपसे डायलॉग.'
शत्रुघ्न बताते हैं कि गाने की रिकॉर्डिंग उन्होंने मोहम्मद रफी के साथ की थी. इस दौरान दोनों ने मिलकर 7 से 8 रिटेक लिए थे. शत्रुघ्न कहते हैं, 'मैं देख रहा था कि उस दौरान लता दीदी चुपचाप बैठकर चाय बिस्कुट खा रही थीं. फिर उनकी बारी आई. उन्होंने वो रिकॉर्डिंग की जो हेमा मालिनी पर फिल्माया गया है. मेरा और धर्मेंद्र का हिस्सा रिकॉर्ड हो चुका था. उन्होंने एक टेक में गाना खत्म कर दिया था. जोरदार तालियां बजीं. मैंने देखा है कि जब हमारे लिए तालियां बजती हैं हम सिर झुकाते हैं. लेकिन तब मैंने देखा कि लोग वाहवाही करते रहे और लता मंगेशकर तारीफ और तालियों के बीच मुस्कराते हुए आयीं और चाय और बिस्कुट जो वह छोड़कर गई थीं उसे वापस उठाया और खाने लगीं.'
लता मंगेशकर के बारे में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि धर्मेंद्र को वह बहुत मानती थीं. राज कपूर से उनकी दोस्ती थी. दिलीप उन्हें अपनी मुख्तसिर-सी बहन कहते थे. क्रिकेट से लता मंगेशकर को बेहद लगाव था. दुनिया में क्या हो रहा है. देश का नाम कौन कैसे रोशन कर रहा है इस पर नजर रखती थीं. सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर की तारीफ में कसीदे उन्होंने खूब पढ़े हैं. और जो खिलाड़ी अच्छा नहीं करता था उसकी भी हौसला अफजाई वह करती थीं. 


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