क्‍या है चीनी राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग की सीमा विवाद पर नीति, ड्रैगन के खिलाफ इन देशों ने अमेरिका के साथ खोला मोर्चा

वियतनाम, ब्रुनेई और फिलीपींस भी दावा करते हैं।

Update: 2022-09-19 09:39 GMT

अमेरिकी कांग्रेस की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चेक रिपब्लिक के एक प्रतिनिधिमंडल के ताइवान यात्रा पर एक बार फ‍िर चीन ने अपना आक्रामक फैसला सुनाया है। नैंसी की तरह चीन ने इस पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीन ने कहा है कि चेक गणराज्‍य अंजाम भुगतने को तैयार रहे। चीन की कम्‍युनिष्‍ट सरकार ने कहा है कि चेक नेताओं का दौरा चीनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है। गौरतलब है कि चीन, लिथुआनिया से ताइवान मुद्दे पर पहले ही रिश्ता तोड़ चुका है। आइए, हम आपकों कड़ी में बताते हैं कि ताइवान ही नहीं बल्कि चीन के अपने कई पड़ोसी मुल्‍कों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। हालांकि, चीन का दावा रहा है कि वह कई देशों के साथ अपना सीमा विवाद सुलझा चुका है, लेकिन उसकी कथनी और करनी में फर्क है। भारत के साथ चीन का सीमा विवाद चरम पर है।


क्‍या है चीनी राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग की सीमा विवाद पर नीति

शी चिनफ‍िंग तीसरी बार चीन के राष्‍ट्रपति बने तो उन्‍होंने अपनी नीतियों पर काम करना शुरू कर दिया। चिनफ‍िंग के लिए चीन से मिलने वाले देशों के साथ सीमा विवाद एक बड़ा मुद्दा है। ताइवान और हांगकांग के साथ चिनफ‍िंग के लिए सीमा विवाद को सुलझाना एक बड़ी चुनौती है। सीमा विवाद के चलते चीन के अधिकतर पड़ोसी मुल्‍कों के साथ तल्‍ख रिश्‍ते हैं। इसमें भारत भी शामिल है। इस समय सीमा विवाद से निपटना चिनफ‍िंग का प्राथमिक एजेंडा बन गया है।

सीमा विवाद पर चीन की कूटनीति

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि चीन के लिए दक्षिण पूर्व एशिया बेहद संवेदनशील इलाका है। चीन की आक्रामक नीति को लेकर इंडोनेशिया, फ‍िलीपींस, जापान और आस्‍ट्रेलिया के साथ संबंध काफी तल्‍ख हैं। पड़ोसी देशों की चिंता को देखते हुए कुछ दिनों पूर्व चीनी राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने यह कहा था कि उनका मुल्‍क दक्षिण चीन सागर व दक्षिण पूर्व एशिया पर प्रभुत्‍व नहीं करना चाहता। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर चीन के राष्‍ट्रपति ने यह बयान क्‍यों दिया। इसके बड़े कूटनीतिक मायने हैं। चीन यह संदेश देना चाह रहा है कि वह कूटनीति के जर‍िए सीमा विवाद को सुलझाना चाहता है। वह विवादित देशों के बीच किसी भी तरह से आक्रामक नहीं है।

2- उन्‍होंने कहा कि चीन की आक्रामक नीति के चलते आस्‍ट्रेलिया और अमेरिका सामरिक और रणनीतिक रूप से निकट आए हैं। यह चीन के लिए खतरे की घंटी है। उन्‍होंने कहा कि चीन के इस रवैये के कारण आस्‍ट्रेलिया के अलावा अन्‍य मुल्‍क अमेरिका के करीब आ रहे हैं। प्रो पंत ने कहा कि आकस और क्‍वाड संगठन इसके उदाहरण है। इन दोनों संगठनों में आस्‍ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन और भारत शामिल है। इन संगठनों के गठन के बाद ही चिनफ‍िंग का यह बयान सामने आया है। उन्‍होंने अपने इस बयान के जरिए चीन की आक्रामक नीति पर पर्दा डालने की कोशिश की है। बता दें कि सीमा विवाद को लेकर दक्षिण चीन सागर को लेकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ चीन के संबंध चरम तनाव पर है।

3- प्रो पंत ने कहा कि राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग ऐसा करके एक तीर से दो निशाना साध रहे हैं। ऐसा करके चिनफ‍िंग भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद पर एक नया दबाव बना रहे हैं। चिनफ‍िंग यह दिखाने के प्रयास में जुटे हैं कि वह सीमा विवाद की समस्‍या का शांति के साथ समाधान करने के इच्‍छुक हैं। वह इसके लिए दादागीरी का सहारा नहीं लेना चाहते। यह चीन की बड़ी कूटनीतिक चाल है। दूसरे, वह दक्षिण एशियाई मुल्‍कों के साथ अमेरिकी रिश्‍तों के प्रभाव को कम करना चाहते हैं। आकस और क्‍वाड के प्रभाव से चिंतित चीन का यह नया पैतरा है।

दक्षिण चीन सागर पर विवाद

दक्षिण पूर्व एशिया को दो भौगोलिक भागों में बांटा जा सकता है। दक्षिण पूर्व एशिया में कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम और प्रायद्वीपीय मलेशिया आते हैं। समुद्री दक्षिण पूर्व एशियाई मुल्‍कों में ब्रुनेई, पूर्व मलेशिया, पूर्वी तिमोर, इंडोनेशिया, फिलीपींस, क्रिसमस द्वीप और सिंगापुर शामिल हैं। दक्षिण चीन सागर पर चीन अपना दावा पेश करता आया है। बता दें कि दक्षिण चीन सागर पर आसियान सदस्य मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और फिलीपींस भी दावा करते हैं।

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