'वागले की दुनिया' ने पूरा किया एक साल का सफर
एक साल सफलता पूर्वक पूरे करने के बाद जल्द ही वागले की दुनिया (Wagle Ki Duniya) में वंदना की कहानी दिखाई जाएगी. मां बनने के बाद दोबारा काम शुरू करते हुए आगे बढ़ने का उनका सफर निश्चित तौर पर सभी को प्रेरित करेगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आरके लक्ष्मण की कहानी (R K Laxman) पर आधारित 80 के दशक के सिटकॉम 'वागले की दुनिया' (Wagle Ki Duniya) को सोनी सब टीवी (Sony Sab Tv) ने मॉडर्न रूप में दर्शकों के सामने पेश किया. लगभग 30 सालों के बाद नए रंग और ढंग के साथ पेश किए गए इस शो ने फिर एक बार दर्शकों की सही नब्ज को पकड़ा, उनकी भावनाओं के तार को छेड़ा और सही मायनों में भारतीय मिडिल क्लास फैमिली के मूल्यों को हर घर में पहुंचाया. राजेश (Sumeet Raghavan) -वंदना (Pariva) की समझदार जोड़ी और दिलचस्प सीनियर वागले से लेकर वाइब्रेंट सखी और नटखट अथर्व तक, सभी के साथ इस शो के फैंस हंसें, रोये और उनके दर्द को महसूस किया, क्योंकि पिछले एक साल में फैंस के लिविंग रूम से होते हुए वागले परिवार उनके दिलों में दाखिल हो गया.
इस सफर के दौरान, शो में कुछ ऐसे पलों को समेटा गया और ऐसे आम मुद्दों को उठाया गया जिसने दर्शकों को एक हद तक प्रेरित भी किया. चूंकि, शो का एक साल पूरा हो गया है आइयें एक नजर डालते हैं उन वजहों पर जिसने 'वागले की दुनिया' को एक अनूठा शो बनाया, वो भी सही वजहों से-
पावर…आम आदमी की परेशानियां
वागले परिवार में ऐसी कई घटनाएं कैद हुईं जिसने सही मायने में आम भारतीय परिवार को दर्शाया. गलती से नकली नोट मिल जाने से लेकर जेब पर ज्यादा बोझ दिए बगैर नया साल मनाने की तरकीब निकालना, इस शो ने मिडिल क्लास के संघर्षों पर सिंपल लेकिन अहम हल ढूंढने पर रोशनी डाली. वो भी बेहद आशावादी और हल्के-फुलके रूप में.
गुड टच-वर्सेज बैड टच
भारत में गुड टच और बैड टच जैसे मुद्दों पर अभी भी अस्पष्टता है. छोटे बच्चों के साथ चर्चा करना मुश्किल होता है, खासकर सुरक्षा और पर्सनल फिजिकल स्पेस पर हमले जैसे मामलों पर. हालांकि, फिक्शन कंटेंट के दायरे में 'वागले की दुनिया' ने इस मुद्दे को उठाया और पेरेंट्स को इस मुद्दे पर आसान तरीकों से बातचीत करने के लिये प्रेरित किया. अब और नहीं छुपाना हमारी सामाजिक बनावट ऐसी है कि जहां आज भी मेंटल हेल्थ को एक टैबू माना जाता है.
टेलीविजन पर भी ऐसा ही है. लेकिन 'वागले की दुनिया' ने बड़ी ही समझदारी से इस हिस्से के उस बैरियर को तोड़ने का काम किया और मेंटल हेल्थ के विषय को सामान्य रूप में पेश किया. महामारी के दौरान राजेश वागले की जॉब की अनिश्चितता से लेकर अथर्व के पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर और परिवार पर उसके दुष्प्रभाव के साथ, इस शो ने मेंटल हेल्थ के मुद्दे को बड़ी बारीकी से पेश किया, जो उपयोगी और प्रासंगिक है.
एक उत्सव जिसे परिवार कहा जाता है
वागले परिवार ने हमेशा ही चीजों को अलग तरीके से किया है. पौधे लगाने के अभियान से लेकर रियल थियेटर कलाकारों को आमंत्रित करने तक, उन्होंने हर सेलिब्रेशन के जरिये एक उदाहरण पेश किया है. सही मायने में उन्होंने परिवार के जज्बे को पेश किया है. इससे वास्तविक जीवन से जुड़े मुद्दों पर भी जागरूकता फैली. देश में कोविड वैक्सीनेशन अभियान के दौरान जब सीनियर वागले ने इंजेक्शन लगवाने में हिचकिचाहट दिखायी तो वागले परिवार ने एकजुट होकर इसकी सुरक्षा और गलत जानकारियों को दरकिनार करते हुए इसका महत्व समझाया. इसने दर्शकों को वैक्सीन लेने के लिये प्रेरित किया, लेकिन दिल छू लेने वाले अंदाज में.
पीरियड का टैबू
महिलाओं को पवित्र देवी का दर्जा दिया जाता है, इसके बावजूद महिलाओं को रोजाना पीरियड के टैबू का सामना करना पड़ता है. 'वागले की दुनिया' ने बड़ी ही होशियारी से सखी के नजरिये से, भारतीय परिवारों में होने वाली घटनाओं के बारे में बताया. इसके साथ ही बुजुर्गों के विचार भी पेश किये और उन दोनों के बीच की उस अंतर को भी भरने का काम किया. वागले परिवार ने जिस तरह से पीरियड टैबू की समस्या का डटकर सामना किया वह हैरान करने वाला था.
वंदना की आज के जमाने की कहानी
महिला सशक्तिकरण आज की जरूरत है और 'वागले की दुनिया' के आने वाले ट्रैक में वंदना के साथ इस मुद्दे पर रोशनी डाली जाएगी. एक होममेकर अपने करियर को एक और मौका देगी और अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग करेगी.