Hit The First Case देखने के लिए दर्शक को भी होना होगा जेम्स बॉन्ड
लेकिन अगर नहीं भी देख पाते हैं तो भी आपको ऐसा नहीं लगेगा कि आपने कोई जबरदस्त मूवी छोड़ दी है.
जब भी कोई सस्पेंस क्राइम थ्रिलर या इन्वेस्टिगेशन से जुड़ी मूवी देखने को मिलती है, दर्शक को जेम्स बॉन्ड होना होता है, इस मूवी के साथ भी यही है. लेकिन अगर डायरेक्टर ठान ही ले कि दर्शकों के दिमाग के साथ खेलते रहना है और आखिर तक उन्हें असल अपराधी के सिवा बाकी संदिग्धों के बीच ही उलझाकर रखना है, तो मौके के बजाय परदे के सामने मौजूद जेम्स बॉन्ड भी कुछ नहीं कर सकता. ये मूवी भी ऐसी ही है, दर्शक आखिर तक असल अपराधी के बारे में सोच नहीं पाते और जिनको लेखक और निर्देशक की ये कलाकारी पसंद आई, उन्होंने इस मूवी का मुख्य तेलुगु संस्करण सुपरहिट करवा दिया.
ये है सबसे खास बात
सबसे खास बात ये है कि एक सामान्य सी इन्वेस्टिगेशन मूवी बनाने वाले डेब्यू डायरेक्टर का अति आत्मविश्वास देखिए कि उसने बाहुबली सीरीज की तरह फल से ही तय कर लिया कि इस मूवी का इसे सीक्वल बनाना है, ताकि लोग पूछें कि बाहुबली को कटप्पा ने क्यों मारा? आपको ये मूवी पसंद आई तो आप भी ऐसा ही एक सवाल बिना जवाब के इस मूवी से लेकर जायेंगे.
होमीसाइड इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट के अफसर की कहानी
कहानी है राजस्थान में होमीसाइड इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (HIT) के एक ऑफिसर विक्रम ( राजकुमार राव) की जिसको मुश्किल से मुश्किल केस को हल करने में महारथ हासिल है. लेकिन उसके साथ कभी जिंदगी में हुआ एक बड़ा हादसा उसको बार बार परेशान करता है, जिसे बार बार पूछने पर भी वो फोरेंसिक लैब में काम करने वाली अपनी गर्लफ्रेंड नेहा (सान्या) को भी नहीं बताता. अचानक जगतपुरा टोल से जयपुर जाने वाले हाईवे पर एक लड़की प्रीति की कार खराब होती है, एक दरोगा इब्राहिम (मिलिंद गुणा जी) के फोन से वो अपने पापा को फोन कर उन्हें मौके पर बुलाती है, लेकिन पापा के आने तक गायब हो जाती है. लेकिन 2 महीने तक उसका कुछ पता नहीं चलता. इधर अचानक से अपने घर से नेहा भी गायब हो जाती है, तब विक्रम गायब हुई प्रीति के केस को नेहा से जोड़कर प्रीति के केस की भी जांच करता है.
एक एक करके कई संदिग्ध सामने आते हैं, लगता है प्रीति मिल जायेगी, नेहा मिल जायेगी कि अचानक प्रीति की सड़ी गली लाश मिलती है और उस पर मिलने वाले कई लोगों के डीएनए उसकी जांच को फिर अलग दिशा में ले जाने लगते हैं. आखिर में जो अपराधी निकलता है, उसके बारे में तो किसी ने सोचा भी नहीं था और वजह भी आसानी से हजम नहीं होती.
ये हैं तीन खास बातें
ये पूरी इन्वेस्टिगेशन 3 बिंदुओं पर पूरी मूवी को पटरी से उतार सकती है, जैसे सड़क से गायब हुई प्रीति को विक्रम ने आसानी से बेडरूम से गायब नेहा को जोड़ा, वो पचता नहीं है. अगर प्रीति का फोन विक्रम क्या उससे पहले का जांच अधिकारी ही चेक कर लेता तो उसे आसानी से पता चल जाता कि उसकी अपराधी से क्या चैट चल रही थी, लेकिन ये बेसिक काम भी ना पुलिस को सूझा और ना विक्रम को. प्रीति के घर पूजा रखने का कार्यक्रम भी समझ से बाहर था. तीसरे जब विक्रम के सहयोगी रोहित को नेहा 3 संदिग्ध के डीएनए मिलान की रिपोर्ट देती है तो उसके लिए आसान था कि ऑफिस में उनमें से किसी के डीएनए को बदल देना या नेहा को गुमराह कर देना क्योंकि विक्रम के साथ भी तो उसने ऐसा ही किया ना, जोकि ज्यादा रिस्की था.
उससे भी ज्यादा रिस्की साबित हुआ, नेहा का किडनैप. फिर खुद को जब अपने दोस्त के हाथ ही मरवाना था तो इतनी सब साजिश या मेहनत करने की जरूरत क्या थी? लेकिन मूवी देखते वक्त आपके दिमाग में ये सवाल नहीं आते, निर्देशक ने हर सीन और पूरा घटनाक्रम ऐसे बारीकी से पिरोए हैं कि दर्शक उनके साथ बंधा चला जाता है और अपनी कुर्सी से बंधा रहता है.
ऐसे में आप राजकुमार राव के फैन हैं तो पक्का मत छोड़िए क्योंकि उन्होंने फिर से किरदार में खुद को घुसा लिया है, क्राइम थ्रिलर के शौकीन हैं तो भी ये मूवी आपको पसंद आ सकती है. सान्या को जरूर ज्यादा कुछ करने को नहीं मिला है. लेकिन अगर नहीं भी देख पाते हैं तो भी आपको ऐसा नहीं लगेगा कि आपने कोई जबरदस्त मूवी छोड़ दी है.