इस तरह काम करेगी ये टेक्निक, सीनियर सिटिजंस को गिरने से रोकेगा ये खास डिवाइस

ऐसे में बुजुर्गों की ज्यादा केयर की जरूरत है.

Update: 2022-08-10 02:27 GMT

जिंदगी में दो स्टेज ऐसी होती हैं जब इंसान को सबसे ज्यादा केयर की जरूरत होती है. इसमें एक है बचपन तो दूसरा है बुढ़ापा. बचपन में पैरेंट्स बच्चों की देखभाल किसी न किसी तरह कर ही लेते हैं, लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बुजुर्गों की देखभाल अधिकतर मामलों में भगवान भरोसे ही रह जाती है. कई मामलों में या तो बच्चे अपने बुजुर्ग माता या पिता को घर में अकेले छोड़ देते हैं या फिर उन्हें वृद्धा आश्रम में छोड़ आते हैं. वहां भी इनकी देखभाल सही से हो इसकी गारंटी नहीं होती. यही वजह है कि अक्सर हम बुजुर्गों के साथ हादसों की खबर सुनते हैं, लेकिन इस समस्या को दूर करने के लिए नीदरलैंड्स ने एक खास डिवाइस तैयार किया है. इससे उनकी देखभाल आसान हो जाएगी. आइए जानते हैं, कैसे काम करेगा ये डिवाइस.


इस तरह काम करेगी ये टेक्निक

रिपोर्ट के मुताबिक, नीदरलैंड्स सरकार बुजुर्गों की देखभाल को आसान और कम खर्चीला बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंजेटलीजेंस (AI) मॉडल पर काम कर रही है. इसके तहत एयरबैग लगे बेल्ट और 'स्मार्ट फ्लोर' नाम के गैजेट्स का यूज किया जाएगा. यह गैजेट जिसके साथ होता है अगर वह गिरने वाला हो तो यह डिवाइस बता देता है कि वह गिरने वाला है. इस अलर्ट के बाद एयरबैग लगा बेल्ट फूल जाता है और गिरने पर भी बुजुर्ग सुरक्षित रहते हैं. इससे हिप फ्रैक्चर होने की आशंका लगभग खत्म हो जाती है.

क्यों लेना पड़ा ये फैसला

दरअसल, नीदरलैंड्स बुजुर्गों की केयर के लिए पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है. आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 में नीदरलैंड्स सरकार ने देश की जीडीपी का 4 प्रतिशत और डेनमार्क ने 3.5 पर्सेंट हिस्सा सीनियर सिटिजंस की देखभाल पर खर्च किया था. इस राशि के 2050 तक डबल होने का अनुमान है. ऐसे में सरकार न सिर्फ इसे कंट्रोल करना चाहती है, बल्कि दूसरी और सबसे बड़ी वजह बुजुर्गों की देखभाल करने वालों का भी बुजुर्ग होना है.

देखभाल करने वाले भी हो रहे बुजुर्ग

नीदरलैंड्स सरकार के आंक़ड़ों की मानें तो 2040 तक देश में 75 साल या इससे अधिक उम्र वालों की संख्या 25 लाख तक पहुंच जाएगी. उम्र केवल बुजुर्गों की ही नहीं बढ़ रही, बल्कि इनकी देखभाल करने वालों की भी बढ़ रही है, ऐसे में वह इनका ख्याल ठीक से नहीं रख पा रहे हैं. ऐसे में बुजुर्गों की ज्यादा केयर की जरूरत है.

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