बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह बेहद खराब वक्त चल रहा, '150 करोड़ के बजट में 120 करोड़ स्टार ले जाता है'

दिलचस्प बात यह है कि इनमें से ज्यादातर ने ओटीटी पर अच्छा प्रदर्शन किया।

Update: 2022-07-28 04:42 GMT

बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह बेहद खराब वक्त चल रहा है। एक के बाद एक फिल्म धड़ाम हो रही है। खासकर, उन सितारों की फिल्में, जिन्हें बॉक्स ऑफिस का सरताज माना जाता है। निर्मता उन पर दाव लगा रहे हैं, मगर हर दाव खाली जा रहा है। यशराज बैनर की शमशेरा इसकी ताजा मिसाल है। रणबीर कपूर स्टारर फिल्म रिलीज के 5 दिनों में ही पानी मांग गयी है।

इससे पहले अक्षय कुमार, अजय देवगन, टाइगर श्रॉफ, कंगना रनोट, जॉन अब्राहम, वरुण धवन जैसे सितारे दर्शकों को खींचने में फेल रहे हैं। हिंदी फिल्में जहां ढेर हो रही हैं, वहीं साउथ की फिल्मों ने हिंदी बेल्ट में अच्छा कारोबार किया है। इनमें केजीएफ 2 और आरआरआर का नाम लिया जा सकता है। साउथ फिल्मों की कामयाबी के बावजूद तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री ने अपने मॉडल पर नये सिरे से विचार कर रही है। वहां के निर्माता बदलते हालात में फिल्म निर्माण के तौर-तरीकों को बदलना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने एक फैसला किया है।
बेहतर भविष्य के लिए शूटिंग पर रोक
तेलुगु फिल्म निर्माताओं की संस्था एक्टिव तेलुगु फिल्म प्रोड्यूसर्स गिल्ड (ATFPG) ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके इस फैसले की सूचना दी। इसमें कहा गया- कोविड पैनडेमिक के बाद बदले हुए हालात में फिल्मों की लागत बढ़ गयी है और रिवेन्यू के हालात भी बदले हुए हैं। इसलिए एक फिल्म समुदाय होने के नाते हम निर्माताओं के लिए यह जरूरी है कि हम इस मुद्दे पर चर्चा करें। अपने इको-सिस्टम को बेहतर करना और फिल्मों को स्वस्थ वातावरण में रिलीज करना हमारी जिम्मेदारी है। इसलिए, प्रोड्यूसर गिल्ड के सभी सदस्य निर्माताओं ने स्वैच्छिक तौर पर यह तय किया है कि पहली अगस्त से शूटिंग तब तक के लिए रोक दी जाए, जब तक इसका कोई समाधान ना निकले।



हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की खराब हालत के लिए कौन जिम्मेदार?
तेलुगु निर्माताओं का यह फैसला फिल्म इंडस्ट्री काफी चर्चा में है। तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के निर्माताओं ने यह फैसला तब लिया है, जबकि वहां कुछ फिल्मों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वहीं, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की हालत इस वक्त काफी खराब है। कुछ फिल्मों को छोड़कर इस साल बड़े कलाकारों और बजट वाली कई फिल्में फ्लॉप रही हैं, तो क्या हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को भी कारोबारी मॉडल पर नये सिरे से विचार करने की जरूरत नहीं है?

क्या हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को भी समाधान तलाशने के लिए माथापच्ची नहीं करनी चाहिए? इन सवालों के जवाब आने में शायद वक्त लगे। मगर, 2022 की सबसे सफल फिल्म द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की खस्ता हालत के लिए बड़े सितारों की आसमान छूती फीस को जिम्मेदार माना है।

विवेक ने तेलुगु इंडस्ट्री के फैसले को शेयर करते हुए लिखा- एक स्टार 150 करोड़ की फिल्म के लिए 120 करोड़ रुपये चार्ज करता है या 60-70 करोड़ बजट की फिल्म के लिए 30-40 करोड़ लेता है या 25 करोड़ की फिल्म के लिए 12 करोड़ लेता है, किसी बेवकूफ व्यक्ति के लिए भी इसे हजम करना मुश्किल है। वो भी लाइंस से फ्लॉप्स के बाद। नई कहानियां और नये सितारे कहां से उभरेंगे, अगर स्टूडियोज मरे हुए घोड़ों पर ही दाव लगाते रहेंगे।


विवेक ने आगे लिखा कि सितारे लेखकों को लिखने नहीं देते, निर्देशकों को निर्देशन नहीं करने देते। कंटेंट, कास्ट, म्यूजिक, मार्केटिंग, सभी पर उनका फैसला अंतिम होता है। जमीनी हकीकत से उनका रिश्ता जीरो है। यही वजह है कि बॉलीवुड फिल्मों का स्टूडेंट किसी दूसरे स्टूडेंट की तरह नहीं होता। यह परिवार किसी आम भारतीय परिवार की तरह नहीं होते। ऐसे हालात में फिल्में सिर्फ प्रोजेक्ट बनकर रह गयी हैं, जिन्हें ओटीटी पर बेचकर वो लागत निकाल लेना चाहते हैं। विवेक ने अपनी पोस्ट में प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को भी टैग किया है।

ये बिग बजट हिंदी फिल्में रहीं फ्लॉप
बिग बजट स्टार कास्ट वाली असफल फिल्मों की लिस्ट में ताजा एंट्री रणबीर कपूर की शमशेरा है, जो रिलीज के 5 दिनों में ही ढेर हो गयी है। इससे पहले अक्षय कुमार की सम्राट पृथ्वीराज, बच्चन पांडेय, अजय देवगन की रनवे 34, टाइगर श्रॉफ की हीरोपंती 2, कंगना रनोट की धाकड़ और जॉन अब्राहम की अटैक जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलीं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से ज्यादातर ने ओटीटी पर अच्छा प्रदर्शन किया।


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