क्‍लासिकल फिल्‍म का अहसास कराती है ये हॉलीवड फिल्म वेस्‍ट साइड स्‍टोरी, जानिए क्या है खास

कुछ खामियां के बावजूद म्‍यूजिकल फिल्‍मों के शौकीन इसे पसंद करेंगे।

Update: 2021-12-11 07:20 GMT

हॉलीवड और बॉलीवुड दोनों ही जगह रीमेक फिल्‍में का चलन रहा है। अब जूरासिक पार्क, लिंकन जैसी यादगार फिल्‍मों का निर्देशन कर चुके प्रख्‍यात हॉलीवुड फिल्‍ममेकर स्‍टीवन स्‍पीलबर्ग ने म्‍यूजिकल प्रेम कहानी का रीमेक बनाया है। वेस्‍ट साइड स्‍टोरी इसी नाम से लिखे गए म्‍यूजिकल नाटक पर आधारित है जिसका मंचन 1957 में हुआ था। यह कहानी शेक्‍सपीयर के रोमियो और जूलियट से प्रेरित थी। साल 1961 में इसी नाटक पर बनी फिल्‍म का निर्देशन रॉबर्ट वाइज और जेरोम रॉबिंस ने किया था। इस फिल्‍म को उस वक्‍त सर्वश्रेष्‍ठ म्‍यूजिकल फिल्‍म करार दिया गया था। स्‍टीवन ने अपने एक साक्षात्‍कार में कहा था कि वह बचपन से इस कहानी के मुरीद रहे हैं। इस फिल्‍म को पीछे साल क्रिसमस पर रिलीज किया जाना था, लेकिन महामारी की वजह से इसकी रिलीज टलती रही। अब यह सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है।







'वेस्ट साइड स्टोरी' पिछली सदी के पांचवें दशक में न्यूयॉर्क में दो विरोधी गुट जेट्स और शाकर्स की आपसी रंजिश और दो युवाओं के बीच प्रेम कहानी पर आधारित है। शाकर्स आगे बढ़ने की ओर प्रयत्‍नशील प्रवासी मजदूर वर्ग के बच्चे हैं। यह वह पीढ़ी है जिसे अमेरिका के कैरिबियन में ग्रामीण गरीबों की श्रेणी से हटा दिया गया है। वह महानगर में पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं, जहां उन्‍हें पूर्वाग्रह और संदेह के साथ देखा जाता है। उनका नेता बर्नार्डो (डेविड अल्वारेज) मुक्केबाज हैं। उसकी प्रेमिका अनीता (एरियाना डीबोस) नौकरीपेशा है। जबकि छोटी बहन मारिया (रेचल जेगर) एक डिपार्टमेंट स्टोर में क्लीनर के तौर पर रात्रि की पाली में काम करती है। बर्नार्डो और अनीता का मानना है कि मारिया के लिए चिनो (जोश एन्ड्रेस रिवेरा) अच्‍छा हमसफर साबित होगा। मारिया को वह नापसंद है। वहीं जेट्स पोर्टो रिको के अप्रवासी है जो अपनी समृद्धि के लिए वहां पर आए हैं। इन्‍हें लेकर पुलिस अधिकारी कहता है कि युद्ध के बाद ये बच्चे टूटे परिवार और सामाजिक उपेक्षा की उपज हैं। उनमें भविष्य को लेकर कोई आकांक्षा नहीं है लेकिन जातिवादी आक्रोश ने उन्‍हें एकजुट करके रखा है। दोनों गुटों के बीच तनाव तब बढ़ जाता है जब जेल से वापस आया जेट्स का सहसंस्‍थापक टोनी ( एंजल एलगॉर्ट) और मरिया एकदूसरे को दिल दे बैठते हैं। अपने प्‍यार को लेकर उन्‍हें किस प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है कहानी इन्‍हीं पहलुओं पर आगे बढ़ती है।
इस फिल्‍म को देखते हुए वर्ष 2000 में रिलीज शाह रुख खान और ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन अभिनीत फिल्‍म जोश की याद आती है। बहरहाल, टोनी कुश्‍नर (Kushner) द्वारा लिखित स्‍क्रीन प्‍ले में अलग-अलग नस्‍ल और जातीय लोगों की समस्‍याओं को बेहतरीन तरीके से व्‍यक्‍त किया है। स्‍टीवन स्‍पीलबर्ग का निर्देशन शानदार है। फिल्‍म देखते हुए लगता है कि आप कोई क्‍लासिक फिल्‍म देख रहे हैं। तकनीकी रूप से फिल्‍म शानदार है। कैमरावर्क भी काफी शानदार है। कहानी का अहम पहलू दो गुटों के बीच अक्‍सर होने वाली लड़ाई भी है। एक्‍शन को देखते हुए पुराने दौर के फिल्‍मों की यादें ताजा होती है जब दो गुटों में लड़ाई को लेकर चाकू, चेन जैसे हथियारों का उपयोग होता था और रिवाल्‍वर सबसे अहम होती थी। इससे भी अधिक उल्लेखनीय है लियोनार्ड बर्नस्टीन का संगीत और जेरोम रॉबिंस की खूबसूरत कोरियोग्राफी, जो अचंभित करने के बाद बांधकर रखती है।
यहां पर किशोर अपराध का मुद्दा भी उठाया गया है। हालांकि उसकी गहराई में लेखक नहीं गए हैं। फिल्‍म के आधे किरदार पोर्टो रीकन (Puerto Rican) से हैं। फिल्‍म में वह कई जगह स्‍पेनिश में डायलाग बोलते हैं। उनका सबटाइटिल देने की आवश्‍यकता नहीं समझी गई। स्‍पेनिश भाषा से अनभिज्ञ दर्शकों के लिए सबटाइटल न होना अखरता है। फिल्‍म की अवधि भी काफी ज्‍यादा है। चुस्‍त एडीटिंग से उसे कम किया जा सकता था। कलाकारों में टोनी की मासूमियत, आक्रामकता और जुनून को एंजल एलगॉर्ट ने बखूबी आत्‍मसात किया है। रेचल जेगर की यह डेब्‍यू फिल्‍म है। उन्‍होंने मारिया को जीया है। अनीता बनी एरियाना डीबोस ने यादगार डांस परफार्मेंस दी है। फिल्‍म के क्‍लाइमेक्‍स का फिल्‍मांकन शानदार है। कुछ खामियां के बावजूद म्‍यूजिकल फिल्‍मों के शौकीन इसे पसंद करेंगे।

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