फिल्म 'बेटा' को हुए 30 साल पूरे, अरुणा ईरानी ने बताया कितना मुश्किल था 'लक्ष्मी देवी' का किरदार निभाना
अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित अभिनीत फिल्म बेटा के 30 साल पूरे हो गए हैं। 1992 में रिलीज हुई यह फिल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी।
अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित अभिनीत फिल्म बेटा के 30 साल पूरे हो गए हैं। 1992 में रिलीज हुई यह फिल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। फिल्म में अनिल कपूर की मां को रोल निभाने वाली अरुणा ईरानी बताती हैं कि सौतेली मां का रोल निभाना उनके लिए कितना चुनौतीपूर्ण था।
उन्होंने बताया, 'मैंने इस फिल्म का तमिल संस्करण देखा था और मैं यह किरदार निभाना चाहती थी, लेकिन जब मेरा भाई (इंद्र कुमार) इस फिल्म का रीमेक बना रहा था तब उसने मुझे इसका हिस्सा बनने के लिए कभी नहीं कहा। उन्होंने माला सिन्हा, वहीदा रहमान और शर्मिला टैगोर जैसी अभिनेत्रियों को इस भूमिका के लिए बुलाया लेकिन सभी ने फिल्म करने से इनकार कर दिया। दरअसल, वे वैंप की भूमिका नहीं निभाना चाहती थीं। अरुणा ईरानी ने बताया कि फिल्म के डायरेक्टर इंद्र कुमार उनके पास मैनावती का रोल लेकर आए थे, लेकिन उन्होंने इसे करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि यह रोल बाद में भारती अचरेकर ने निभाया था। अरुणा बताती हैं कि मुझे बहुत दुख हुआ। मैंने इस रोल को करने से इनकार कर दिया। मैं घर चलाने के लिए इस तरह के रोल किया करती थी। उन्होंने इंद्र कुमार को बताया कि वह घर पर नहीं बैठना चाहती थीं इस वजह से उन्होंने कादर खान और शक्ति कपूर के साथ इस तरह के किरदार निभाए हैं।
अरुणा ईरानी बताती हैं कि शबाना आज़मी की वजह से ही उन्हें लक्ष्मी देवी का किरदार निभाने का मौका मिला। उन्होंने कहा, 'जब उसने आखिरकार मुझे इस भूमिका की पेशकश की, तो मैं रोने लगी। मैंने उनसे कहा कि मुझे घर में ही अगर साबित करना पड़ा की मैं अच्छा काम कर सकती हूं तो मैं काम करना बंद कर देती हूं। मैं बहुत रोई लेकिन फिर मैंने भूमिका स्वीकार कर ली। बेटा से पहले, मैं केवल चंचल भूमिकाएं करती थी। बेटा ने मुझे फिल्म इंडस्ट्री में दोबारा स्थापित किया। अगर इंदु दोबारा ऐसी फिल्म बनाएंगे तो वह मेरे लिए ऐसी भूमिका नहीं लिख पाएंगे।'