तन्वी मल्हारा जल्द ही शो 'मुस्कुराने की वजह तुम हो' में मुख्य भूमिका में आएंगी नजर, कही ये बात
मां का नाम भी बच्चे के नाम के पीछे लगाना उतना ही जरूरी है, जितना पिता का।
खुद पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़ने से ही मंजिल के करीब पहुंचा जा सकता है। ऐसा मानना है रेडियो जाकी और मिस इंडिया मल्टीनेशनल 2019 रह चुकीं तन्वी मल्हारा का। तन्वी जल्द ही कलर्स चैनल के शो 'मुस्कुराने की वजह तुम हो' में मुख्य भूमिका में नजर आएंगी।
माडलिंग की दुनिया से अभिनय की दुनिया में आने का निर्णय सोचा समझा था?
यह बहुत लंबा सफर रहा है। मेरे माता-पिता का बहुत सपोर्ट रहा है। महाराष्ट्र के एक छोटे शहर जलगांव से होने के बावजूद उन्होंने मेरी हिम्मत बढ़ाई कि मैं अपने सपनों का पीछा करने के लिए आगे बढ़ सकूं। छोटे शहर में तो ऐसा अक्सर होता है कि आसपास के लोग ही कहते हैं कि कहां मुंबई जाओगी? तुम तो सांवली भी हो, कैसे मिस इंडिया बनोगी। लेकिन मुझे इन बातों से फर्क नहीं पड़ता था। मैं जानती थी कि सांवली हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं सुंदर नहीं हूं। मैंने कभी खुद से यह कहा ही नहीं कि मुझसे यह नहीं होगा। खुद के लिए निर्णय लेना मुश्किल होता है, लेकिन एक बार जब निर्णय ले लेते हैं तो फिर आगे का रास्ता साफ नजर आने लगता है। मिस इंडिया बनने के बाद जब यह शो मिला, जिसमें मैं लीड रोल कर रही हूं तो वाकई लगा कि जिंदगी में कुछ भी करने की कोई सीमा नहीं है। आप जो सपने देखते हैं, वे पूरे हो सकते हैं।
मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देती। उस वक्त भी मैंने रिएक्ट नहीं किया था, जब लोग कहते थे कि मुझसे कुछ नहीं हो पाएगा। मैं जानती थी, जब मैं आगे बढ़ूंगी तो सबको जवाब मिल जाएगा। मेरे लिए अगर किसी की मान्यता मायने रखती है तो वे हैैं माता-पिता। वे अगर कह देंगे कि ये तुमसे नहीं होगा तो शायद मैं टूट जाऊंगी। उनके अलावा मुझे किसी की कोई परवाह नहीं है। मुझमें अपने इरादों और भविष्य को लेकर बहुत आत्मविश्वास है।
बचपन से ही पता था कि एक दिन अभिनय ही करना है?
हां, स्कूल के दिनों से ही पता था। जब रोती थी तो सोचकर रोती थी कि मुझे कैसे रोना चाहिए, मैं रोते हुए कैसी लगूंगी। हालांकि मैं टॉम ब्वाय थी, ऐसे में मेरे आसपास के लोगों ने उम्मीद नहीं की थी कि मैं अभिनेत्री बन जाऊंगी। कॉलेज खत्म करने के बाद जब रेडियो जाकी बनी तो वहां काम करने में तो बहुत मजा आ रहा था, लेकिन दिमाग में यह बात भी चल रही थी कि कोई मेरा चेहरा नहीं देख पा रहा है। फिर मैंने मिस इंडिया के लिए कोशिश की। दो साल ट्रेनिंग की। जीतने के बाद अभिनय की ओर बढ़ी, लेकिन कुछ अच्छा काम हाथ नहीं लग रहा था। ऑडिशन देती थी, लेकिन सेलेक्ट नहीं हो पा रही थी। इस शो के लिए मैं अपना छोटा सा बैग लेकर ऑडिशन देने आई थी कि इसके बाद घर ही जाना है, लेकिन उस दिन से छोटे से बैग के साथ मैैं यही हूं। अब धीरे-धीरे घर से सामान आ रहा है।
हां, यही वजह है कि मैं इस शो का हिस्सा हूं। मैं किसी शो में सिर्फ एक सुंदर लड़की बनकर नहीं रहना चाहती थी। मैं जानती थी कि जो भी काम करूंगी, उसमें दूसरों के सीखने लायक कुछ होगा। मेरे किरदार का नाम कथा है। वह बहुत मजबूत है। वह दूसरों की मदद हेतु कुछ भी करने के लिए तैयार रहती है। वहीं वह अपने हक के लिए भी खड़ी होती है। कथा समाज के स्टीरियोटाइप को तोडऩे की कोशिश कर रही है, जहां यह माना जाता है कि बच्चे के नाम के आगे पिता का नाम ही होना चाहिए। मैं आज जहां हूं अपनी मां की वजह से हूं। मेरे पापा बहुत प्यारे हैं। इसलिए मैं उनका नाम अपने नाम के पीछे लगा लेती हूं। हालांकि मुझे हमेशा इस बात का अहसास होता है कि हम अपनी मां को बहुत कम आंकते हैं। वे सिर्फ मां ही नहीं होती हैं, उनकी अपनी पहचान भी होती है। गलती हमारी भी है कि हम लड़कियों को यह सिखाते रहते हैं कि तुम्हारा वजूद पुरुषों के साथ ही है। इसलिए शादी करो, सेटल हो जाओ। यह शो उन धारणाओं को तोड़ेगा कि महिला-पुरुष समान नहीं है। मां का नाम भी बच्चे के नाम के पीछे लगाना उतना ही जरूरी है, जितना पिता का।