क्रिकेट के मैदान में छाई तापसी पन्नू लेकिन कमजोर पटकथा और सिनेमेटोग्राफी के चलते किरकिरा हुआ मजा
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार मानी जाने वाली मिताली राज के जीवन पर बनी 'शाबाश मिथु' एक इमोशनल स्टोरी है जो उनके जीवन सफार को दर्शाती है
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार मानी जाने वाली मिताली राज के जीवन पर बनी 'शाबाश मिथु' एक इमोशनल स्टोरी है जो उनके जीवन सफार को दर्शाती है.
फिल्म: शाबाश मिथु
निर्देशक: श्रीजीत मुखर्जी
कास्ट: तापसी पन्नू, विजय राज और देवदर्शिनी
रेटिंग्स: 3 स्टार्स
कहानी: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार मानी जाने वाली मिताली राज के जीवन पर बनी 'शाबाश मिथु' एक इमोशनल स्टोरी है जो उनके जीवन सफार को दर्शाती है. मिताली का किरदार निभा रहीं तापसी पन्नू किस प्रकार बचपन में अपनी एक सहेली के कारण क्रिकेट के मैदान में कदम रखती हैं और तमाम तरह की मुसीबतों को झेलते हुए आगे बढ़ती हैं. मिताली भले ही दक्षिण के एक सुव्यवस्थित परिवार से आती हैं लेकिन क्रिकेटर बनना उनके लिए आसन नहीं था. वीमेन्स क्रिकेट को बराबर का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष करने वाली मिताली ने किस प्रकार अपने साथ देश का गौरव बढाया, ये फिल्म उसी कहानी को व्यक्त करती है.
अभिनय: तापसी पन्नू ने मिताली के किरदार में अपना बढ़िया परफॉर्मेंस दिया है. मैदान में जब वो बल्ला उठाती हैं तो उनमें वो जोश और जज्बा देखने को मिलता है जो एक खिलाड़ी में होता है. उनके अलवा क्रिकेट कोच की भूमिका में एक बार फिर विजय राज अपने परफॉर्मेंस से हमें एंटरटेन करते नजर आते हैं. उनके किरदार की गंभीरता और सादगी उसे और भी स्पेशल बनाती हैं. फिल्म में देवदर्शिनी ने भी मिताली की मां के किरदार में बेहद खूबसूरत अदाकारी की है.
म्यूजिक: फिल्म का संगीत बेहद खूबसूरत है और ये प्रेरणा की भावना को जगाता है. अमित त्रिवेदी ने एक बार फिर अपने शानदार संगीत से हमें इम्प्रेस किया है. फिल्म का गीत 'हिंदुस्तान मेरी जान' बेहद लाजवाब है और इसके बोल भी आपको काफी पसंद आएंगे.
फाइनल टेक: श्रीजीत मुखर्जी द्वारा निर्देशित ये फिल्म तापसी पन्नू के कंधों पर टिकी हुई है लेकिन उनका उमदा परफॉर्मेंस भी इसे वो रंग नहीं दे पाया जो एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म से अपेक्षित है. फिल्म का रन टाइम 2 घंटे 46 मिनट का है और कई जगहों पर इसकी कहानी काफी खिंची हुई लगती है. इसके चलते इंटरवल के बाद कई सीन्स में आपको बोरियत महसूस होगी. एक स्पोर्ट्स बेस्ड फिल्म में जिस प्रकार का रोमांच और जोश देखने को मिलता है उसकी कमी इस फिल्म में देखने को मिलती है. कुलमिलाकर जहां ये फिल्म आपको प्रेरणा से भर देती है वहीँ इसका कमजोर लेखन और निर्देशन इसे एक औसत स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म तक सीमित रखता है.
सोर्स- नवभारत.कॉम