सुहास और संदीप राज की शॉर्ट फिल्म को मिला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, क्या आपने देखी 'कलर फोटो'?
लेकिन जब हमारी फिल्म के नाम को सर्वश्रेष्ठ तेलुगू फिल्म के रूप में घोषित किया तो मैं आश्चर्य में था.’
निर्देशक संदीप राज (Director Sandeep Raj), अभिनेता सुहास (Suhas) और कलर फोटो (Colour Photo movie) की टीम के लिए यह एक इमोशनल और शानदार वीक रहा है. क्योंकि इसी सप्ताह 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों (68th National Film Awards) में टीम ने सर्वश्रेष्ठ तेलुगू फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है. हाल ही में अभिनेता सुहास ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह अवॉर्ड सेलिब्रेट करते हुए संदीप को गले लगाते नजर आ रहे हैं. सुहास ने लिखा, 'शॉर्ट फिल्म्स चेस्कुन ना कोडुकुलु (cheskune Naa Kodukulu) के बाद भी ये सम्मान. अक्सर लोग शॉर्ट फिल्म मेकर (just short filmmakers) के रूप में खारिज कर देते हैं.'
वहीं अभिनेता संदीप का मानना है कि राष्ट्रीय पुरस्कार की जीत इस बात का प्रमाण है कि अच्छी सामग्री कहीं से भी आ सकती है. 'हमें बताया गया था कि कोई भी हमारे प्रोजेक्ट में पैसा नहीं लगाएगा क्योंकि हम सिर्फ डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर हैं. आज हम यहां हैं, हमारे नाम एक राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ. जब हमने यह सम्मान जीता, तो हमने उन विरोधियों को भी याद किया जिन्होंने हमें बताया कि हम टॉलीवुड में इसे नहीं बना सकते. हम यहां दुनिया को यह बताने के लिए हैं कि हम अब 'सिर्फ लघु फिल्म वाले' नहीं रह गए हैं.'
रिलेटेबल कंटेंट को दर्शाती है 'कलर फोटो'
निर्देशक संदीप राज ने कुछ साल पहले एक लोकप्रिय डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने स्मार्ट रिलेटेबल कंटेंट के साथ फेम हासिल किया था. उन्होंने कहा, 'मैंने रिलेटेबल कंटेंट बनाने के महत्व को सीखा, चाहे प्रोजेक्ट का पैमाना कोई भी हो. लोगों का मानना है कि कमर्शियल सिनेमा में एक स्पेशल नंबर, कुछ फाइट सीन, पंच डायलॉग्स जैसी चीजें होनी चाहिए. लेकिन कलर फोटो जैसी फिल्म भी व्यावसायिक सिनेमा के अंतर्गत आती है क्योंकि जनता इससे जुड़ सकती है.'
जातिवाद और रंगवाद को दर्शाती है 'कलर फोटो'
रोमांटिक ड्रामा ने जातिवाद और रंगवाद के विषयों (casteism & colourism) को फिल्म के जरिए दर्शाया. यही वो सब्जेक्ट है जिसने इसे अन्य फिल्मों से अलग बनाया. निर्देशक कहते हैं कि 'मैंने अभी-अभी एक फिल्म बनाई है, जो मैंने व्यक्तिगत रूप से बड़े होने के अनुभव पर आधारित है. मैं ईमानदारी से उम्मीद कर रहा था कि या तो अल्लू अर्जुन की अला वैकुंठपुरमुलु (Ala Vaikunthapurramuloo) या मिडिल क्लास मेलोडीज़ (Middle Class Melodies) पुरस्कार जीतेंगे; मैं सूर्या को चीयर करने के लिए लाइव टेलीकास्ट देख रहा था. लेकिन जब हमारी फिल्म के नाम को सर्वश्रेष्ठ तेलुगू फिल्म के रूप में घोषित किया तो मैं आश्चर्य में था.'