ऐसी कटी थी गुरु दत्त की आखिरी रात, दरवाजा तोड़कर निकाला गया शव, पुण्यतिथि पर जानें क्या हुआ था?

ऐसी कटी थी गुरु दत्त की आखिरी रात

Update: 2021-10-10 06:06 GMT

हिंदी फिल्म जगत में कुछ नायाब कलाकार ऐसे हुए हैं जिन्हें सिनेमा का आधार माना जाता है। इसमें दिग्गज कलाकार गुरु दत्त का नाम शामिल है जिन्हें सिनेमा मेकिंग स्कूल की तरह देखा जाता है। गुरु दत्त ने जैसी फिल्में बनाईं और कीं उससे आज तक कलाकार कोई ना कोई सीख लेते रहते है। सिनेमा की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को भी उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। गुरु दत्त एक लेखक, निर्देशक, अभिनेता और फिल्म निर्माता भी थे। उन्होंने 'कागज के फूल', 'प्यासा', 'मिस्टर एंड मिसेज 55', 'बाज', 'जाल', 'साहिब बीबी और गुलाम' जैसी कई शानदार फिल्में दी थी।

ऐसी कटी थी गुरु दत्त की आखिरी रात
गुरु दत्त ने करियर में बहुत कुछ हासिल किया था लेकिन अफसोस की बात है कि उनका नाम भी उन कलाकारों में शामिल है जिनके मौत की कहानी एक रहस्य बनकर रह गई। गुरु दत्त का 39 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था और उनकी मौत आत्महत्या थी। उनकी मौत की एक रात पहले की क्या कहानी थी इसका जिक्र उनके दोस्त और उनकी ज्यादातर फिल्मों के लेखक अबरार अल्वी ने अपनी किताब टेन ईयर्स विद गुरु दत्त में किया था।
9 अक्तूबर 1964 की शाम यानि गुरु दत्त की मौत के ठीक एक दिन पहने आर्क रॉयल की बैठक फिल्म 'बहारे फिर भी आएंगी' की नायिका के मरने की कहानी लिखने का काम चल रहा था। अबरार ने बताया कि जब वो शाम को सात बजे के आसपास वहां पहुंचे तो माहौल बिल्कुल अलग था। गुरु दत्त शराब में डूबे हुए थे। उनके चेहरे पर तनाव और अवसाद साफ झलक रहे थे। उन्होंने गुरु के सहायक रतन से पूछा कि बात क्या है? अबरार ने बताया था कि उन दिनों गुरु दत्त और उनकी पत्नी के बीच काफी समय से अनबन चल रही थी। गुरु दत्त अपनी निजी जिंदगी को लेकर परेशान थे। जब भी दोनों की फोन पर बात होती तो उसमें झगड़ा ही होता। हर फोन के बाद गुरु दत्त के चेहरे पर तनाव और गुस्सा दोनों बढ़ जाता था। गीता ने गुरु दत्त को बेटी से मिलने पर रोक लगा थी। एक फोन कॉल पर गुरु दत्त ने गीता से कहा था, 'अगर मैंने बेटी का मुंह नहीं देखा तो तुम मेरा पार्थिव शरीर देखोगी'।
अपनी किताब में अबरार ने बताया, 'गुरु दत्त कितना भी नशा कर लें नियंत्रण नहीं खोते थे। उन्होंने एक और पेग पीने की ख्वाहिश जताई और खाना नहीं खाया। रात एक बजे ये सब बात हो गई। मैंने उनसे बात करनी चाही लेकिन उन्होंने कहा कि वो सोना चाहते हैं। मैंने उनसे पूछा- पर मेरा लेखन, सीन नहीं देखेंगे, अक्सर लेखन खत्म होने के बाद गुरु दत्त मुझसे उसका विवरण लेते थे, लेकिन उस दिन उन्होंने मना कर दिया और अपने कमरे में चले गए'।
वो रात गुरु दत्त के जीवन के आखिरी रात थी। उनके बंगले आर्क रायल में उस दिन क्या हुआ वो बहुत कम लोग ही जानते हैं। अबरार ने बताया कि रतन से उन्हें गुरु दत्त का दुखद समाचार मिला था। रात के तीन बजे गुरु दत्त ने रतन से पूछा- अबरार कहां हैं? रतन ने पूछा- मुझे लेखन सौंप के चले गए? बुलाऊं क्या, रतन ने कहा- रहने दो मुझे व्हिस्की दो दो, रतन ने कहा- व्हिस्की नहीं है लेकिन गुरु दत्त माने नहीं, बोतल उठाई और कमरे में चले गए'।
अभिनेत्री नरगिस दत्त ने बताया था कि सुबह साढ़े आठ बजे जब उनके डॉक्टर घर पहुंचे तो उन्हें सोता समझ कर लौट गए थे। इस दौरान गीता दत्त उन्हें लगातार फोन करती रहीं। रतन को लगा कि वो देर से सोए थे इसलिए अब तक सो रहे हैं लेकिन गीता को कुछ आसामान्यता का आभास हो गया था। उन्होंने 11 बजे रतन से कहा कि वो दरवाजा तोड़ दें। दरवाजा टूटने पर रतन ने देखा की गुरु दत्त बिस्तर पर लेटे हुए हैं।
अबरार बताते हैं कि जब वो आर्क रॉयल पहुंचे तो उन्होंने गुरु दत्त को शांति से सोते पाया और बिस्तर के बगल में एक छोटी सी शीशी में गुलाबी रंग का तरल पदार्थ था। उनके मुंह से निकल गया, आह, मृत्यु नहीं आत्महत्या, उन्होंने अपने आप को मार डाला। गुरु दत्त का यूं चले जाना हर किसी के लिए एक सदमे जैसा था। वो भले ही इस दुनिया से चले गए लेकिन सिनेमा को दिया उनका अतुलनीय योगदान कोई नहीं भूल पाएगा।
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