Ashish Vidyarthi के साथ हुआ था कुछ ऐसा, खुद बताई पूरी घटना

Update: 2024-09-01 12:28 GMT

Mumbai.मुंबई: बॉलीवुड से लेकर साउथ तक में एक्टिंग का लोहा मनवाने वाले एक्टर आशीष विद्यार्थी (Ashish Vidyarthi) आज भले ही पर्दे से दूर हैं मगर अपने समय में उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया। उन्होंने इंडस्ट्री में पहचान एक विलेन के तौर पर बनाई है। 90 के दशक में वो इंडस्ट्री के फेमस विलेन में से एक रहे हैं। प्रोफेशनल लाइफ में सफल एक्टर निजी लाइफ को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं। उन्होंने 57 की उम्र में रुपाली बरुआ से दूसरी शादी कर काफी लाइमलाइट बटोरी थी। ऐसे में अब उन्होंने हाल ही में 1984 के दंगों के दौरान की एक घटना के बारे में बताया है, जिसका उन्होंने खुद सामना किया था। चलिए बताते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा।

दरअसल, आशीष विद्यार्थी ने हाल ही में लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में 1984 के दंगों को याद किया। इस दौरान उस किस्से का जिक्र किया जब दिल्ली की डीटीसी बस में एक शख्स ने उनसे आकर कहा था कि खून का बदला खून से लेंगे। उस समय एक्टर के साथ सीमा भार्गव, जो कि अब सीमा पहवा हैं, थीं। आशीष से कहा गया, ‘1984 में सीमा पाहवा को रिहर्सल के बाद आप उन्हें बस से उनके घर छोड़ने जाते थे।’ आशीष कहते हैं, ‘वो कश्मीरी गेट रहती थीं।’ ने घटना को याद करते हुए बताया, ‘उस समय क्या था कि मैं अनिल चौधरी, संजू और जूनियर मोस्ट संभव…हम तीनों सबसे यंग थे। हम लोगों को रोल्स नहीं मिलते थे। बाकी हम सब सारे काम करते थे। उस समय मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं सीमा को डीटीसी बस से उन्हें घर छोड़ने जाता था फिर मैं वहां से लक्ष्मी नगर जाता था।’
खून का बदला खून से लेंगे- आशीष विद्यार्थी
1984 के दंगों की उस घटना को याद कर आशीष विद्यार्थी कहते हैं, ‘उस समय एक दिन खबर आई कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का निधन हो गया है। बहुत शांत सा माहौल था। हम मंडी हाउस पर बैठे थे। बाद में फिर हम लोग अलग हुए लगा कि शहर में कुछ हो रहा है। तो मुझे जिम्मेदारी मिली की मैं सीमा पहवा के साथ जाऊंगा। उस समय सीमा हम लोग करती थीं और उनका बड़की का रोल काफी पॉपुलर था। हम लोग घर जाने के लिए डीटीसी में बैठे थे कि अचानक से एक शख्स हमारे सामने आया और खड़ा हो गया और कहा खून का बदला खून से लेंगे। ये पहली बार हमने कोई नारा भी सुना था। उसने सीमा को प्वॉइंट किया और जोर से कहा खून का बदला खून से लेंगे। हम बस में साइड हुए और एक और बंदा लंबा हट्टा-कट्ठा सा। तब तक हम कश्मीरी गेट पहुंचे और सीमा को घर छोड़ा तो उनकी मां ने वहीं रुकने के लिए तो मैंने कहा नहीं घर जाना है।’
जब लड़के ने की थी साथ चलने की रिक्वेस्ट
आशीष ने आगे कहा, ‘मैं वहां से निकला और फिर से बस ली। हम उस समय सीढ़ियों पर कंडक्टर के पीछे का जाल पकड़कर खड़े होते थे। मैं भी खड़ा था और पीछे से एक सरदार, लंबा हट्टा-कट्ठा मेरे पास आया और बोला यहां क्यों खड़ा है? फिर बोला कि हम सब तो एक हैं ना। हमारे बीच बात करने की कोई वजह नहीं है। उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैं लक्ष्मी नगर उतरता हूं और वो साथ में उतरता है मेरा हाथ पकड़कर कहता है कि मेरे साथ मेरे घर चलोगे। मैंने आर्मी वाली टाइप की जैकेट पहनी थी तो हाथ की बाहें फोल्ड की। उसके साथ गया। बड़ा दिख रहा था। चौड़े में चल रहा था। गलियों में हम घूम रहे थे फिर जैसे ही उसके घर पहुंचे तो उसकी मम्मी ने गेट खोला और दोनों को फट से अंदर खींच लिया और गेट बंद कर लिया। उस समय मुझे लगा कि कुछ तो बुरा था। इसके पहले ऐसा कुछ कभी नहीं देखा था।’
बहरहाल, अगर आशीष विद्यार्थी के प्रोफेशनल फ्रंट की बात की जाए तो उन्हें आखिरी बार फिल्म ‘वेदा’ में देखा गया। इसके जरिए उन्हें फिर विलेन की भूमिका में देखा गया था। अभिषेक बनर्जी के साथ उनकी एक्टिंग खूब जमी और स्क्रीन पर अलग छाप छोड़ी। इसके पहले उन्हें ओटीटी रिलीज वेब सीरीज ‘रणनीति: बालाकोट एंड बियोंड’ में देखा गया था।
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