Review: भ्रष्टाचार के खिलाफ जॉन अब्राहम की जंग ने जीता दिल, जानें क्या है फिल्म की कहानी?

फिल्म की कहानी

Update: 2021-11-25 11:49 GMT
कास्ट – जॉन अब्राहम, दिव्या खोसला कुमार, अनूप सोनी, गौतमी कपूर, नोरा फतेही, हर्ष छाया, साहिद वैद,
निर्देशक – मिलाप जावेरी
कहां देख सकते हैं – सिनेमाघर
रेटिंग – 3.5
मिलाप जावेरी (Milap Zaveri) निर्देशित फिल्म 'सत्यमेव जयते 2' (Satyameva Jayate 2) का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था, वो आज खत्म हो गया है. जॉन अब्राहम (John Abraham) स्टारर इस फिल्म की कहानी भ्रष्टाचार का नामों-निशान खत्म करने के ईर्द-गिर्द घूमती है. जॉन अब्राहम का फिल्म में ट्रिपल रोल है, वो कैसे ये हम आपको फिल्म के ट्रेलर के दौरान पहले ही बता चुके हैं. जॉन अब्राहम के अलावा फिल्म में दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar), अनूप सोनी (Anoop Soni), गौतमी कपूर (Gautami Kapoor) जैसे कलाकार अहम भूमिका में हैं. अगर आप इस फिल्म को देखने की योजना बना रहे हैं, लेकिन उससे पहले आप ये जानना चाहते हैं कि ये फिल्म कैसी है और देखने लायक है या नहीं, तो उससे पहले आपको ये रिव्यू पढ़ लेना चाहिए.
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी शुरू होती है उत्तर प्रदेश की विधानसभा से. जहां राज्य के गृह मंत्री यानी सत्य बलदेव आजाद सभा में सरकार की तरफ से एंटी-करप्शन बिल पेश करने जाते हैं. वहीं, उनकी विपक्षी पार्टी बहुमत से उनके इस बिल का विरोध करती है, जिसके कारण ये बिल विधानसभा में पास नहीं होता. इस बिल का विरोध सत्य की पत्नी विद्या मौर्या आजाद (दिव्या खोसला कुमार) भी करती है, जो विपक्षी पार्टी में विधायक होती है. विद्या सभा में तो अपने पति के विपक्ष में खड़ी नजर आती है, लेकिन सभा से बाहर वह अपने पति की तारीफों के पुल बांधती है. मीडिया से बात करते हुए कहती हैं कि- सभा में भले हम विपक्ष में हैं. वहां मैंने राजनीति के चलते एक राजनेता का विरोध किया, लेकिन जो उन्होंने सभा में भ्रष्टाचार को लेकर कहा उसकी मैं एक पत्नी के तौर पर सराहना करती हूं. बताते चलें कि विद्या के पिता चंद्र प्रकाश मौर्या राज्य के मुख्यमंत्री हैं, जो आजाद नामक पार्टी के अध्यक्ष भी होते हैं.
इसके बाद कहानी आगे बढ़ती है और फिर शुरू होता है खूनी खेल. भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए लोगों का एक मसीहा सामने आता है, जो देश से भ्रष्टाचार मिटाने की ठान लेता है. इस किरदार को देखकर ऐसा लगता है कि शायद ये सत्य का जुड़वा भाई है. कहानी को आगे बढ़ाने से पहले थोड़ा पीछे चलते हैं. आपको बताएं कि फिल्म में जॉन के जुड़वा भाई के रूप में भी जॉन ही हैं, जिसका नाम है जय. जय और सत्य के पिता दादा साहब बलराम आजाद, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग के दौरान मर जाते हैं, उस किरदार को भी जॉन अब्राहम ने ही निभाया है.
दादा साहब की पत्नी सुहासिनी के रूप में हैं गौतमी कपूर, जो उनका हर कदम पर साथ देती हैं. जिस तरह से सुहासिनी अपने पति का साथ देती है, उसी तरह विद्या अपने पति सत्य का हर कदम पर साथ निभाती है. राज्य में एक के बाद एक घटनाएं घटती हैं और उन घटनाओं के पीछे बैठे भ्रष्टाचारियों का विनाश होता जाता है. पहले लगता है कि जय ही वो इंसान है जो सबका कत्ल कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है. इसके पीछे हाथ होता है होम मिनिस्टर सत्य का. जय एसीपी होता है और उसे ये जिम्मा दिया जाता है कि वो उस खूनी की तलाश करे और उसे सलाखों के पीछे भेजे, लेकिन क्या जय अपने भाई सत्य को पकड़ पाता है? क्या वह अपने भाई को सजा दिला पाता है? ये जानने लिए आपको फिल्म देखनी होगी, क्योंकि अगर अभी हम आपको फिल्म की कहानी पूरी बता देंगे, तो शायद आपका एंटरटेनमेंट का मजा किरकिरा हो सकता है.
फिल्म में क्या अच्छा है और क्या नहीं?
अगर आप फिल्म में लॉजिक ढूंढने बैठेंगे तो यकीन मानिए ढेरों गलतियां मिलेंगी. उदाहरण के तौर पर फिल्म के क्लाइमेक्स में एक सीन है, जहां पर सबसे पहले सत्य कई टन भारी एक हैलीकॉप्टर को उड़ने से रोकने के लिए उसे जमीन पर खड़े-खड़े खींचने की कोशिश करता है. इसके बाद जय भी इसमें उसका साथ देता है. दोनों भाई जोर लगाकर हैलीकॉप्टर को रोकने की कोशिश कर ही रहे होते हैं, कि तभी उनके पिता यानी दादा साहब की आत्मा उनका इसमें हाथ बंटाती है और हैलीकॉप्टर को उड़ने से रोक लेती है. लॉजिकली सोचा जाए तो ऐसा करना नामुमकिन है, लेकिन फिल्मी दुनिया में कुछ भी संभव है.
फिल्म अगर देखने जाना चाहते हैं, तो अपने लॉजिक को आपको साइड में रखकर जाना होगा, क्योंकि इस सीन के अलावा फिल्म में और सीन भी ऐसे नजर आएंगे. इस फिल्म को मनोरंजन के तौर पर देखा जाता है. ये एक फुल एंटरटेनमेंट फिल्म है, जिसमें एक्शन, इमोशन और ड्रामा शामिल है. एक्शन लवर्स के लिए ये फिल्म तोहफा है, क्योंकि फिल्म में ढेर सारा एक्शन है. फिल्म के गाने इसे और भी शानदार बनाते हैं. 'मेरी जिंदगी है तू' और 'मां शेरावाली' जैसे गाने फिल्म की जान कहे जा सकते हैं. फिल्म के कई डॉयलाग्स अच्छे हैं. उदाहरण, 'शेर की पूंछ पर पैर और आजाद की मूंछ पर हाथ नहीं रखते… शेर दहाड़ता है और आजाद फाड़ता है.' इसके अलावा एक डायलॉग और है, जो शायद देशभक्ति की भावना लोगों में जगा दे, वो है- 'या इस देश से करप्शन मिटेगा या मेरा लहू बहेगा…'
अब बात करते हैं कलाकारों की एक्टिंग की. ट्र्रिपल रोल में जॉन अब्राहम ने बड़े पर्दे पर धमाका किया है. हर किरदार उनका अलग कहानी बयां करता है और उनके भावों से उनके किरदारों के अलग-अलग होने की पहचान भी बताता है. फिल्म में जो दर्शकों को पसंद आने वाला है, वो है जॉन अब्राहम की फिट बॉडी. अगर कहा जाए कि जॉन इस फिल्म की जान हैं, तो इसमें कोई दोराय नहीं है. वहीं, दिव्या खोसला कुमार की एक्टिंग दर्शकों को हैरान करने वाली है. हमेशा एक जैसे एक्सप्रेशन देने वाली दिव्या ने फिल्म में अपनी एक्टिंग का जो जौहर दिखाया है, वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है. एक तारीफ बनती है एक्ट्रेस गौतमी कपूर की. उनके लिए सिर्फ एक ही शब्द है माइंड ब्लोइंग. इसके अलावा फिल्म के अन्य कलाकार भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करने में कामयाब हुए हैं. अगर आप फिल्म देखने जाना चाहते हैं, तो आप इसे देखने जरूर जाएं.
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