Raju Srivastav जिंदगी जीने की कला में माहिर थे। यही कारण है कि जीवन की विसंगतियों और विडंबनाओं को हास्य में पिरोकर जब वे परफॉर्म करते, तो लोगों के चेहरे पर हंसी होती, मगर बात दिल तक उतर जाती। हरदिल अजीज कॉमेडी किंग राजू भले आज हमारे बीच नहीं रहे, मगर उन्हें कभी भुलाया न जा सकेगा। गुरुवार, 22 सितंबर को राजू पंचतत्व में विलीन हो गए। उन्हें हंसाने की कला आती थी और यकीन है कि वह अब दूसरी दुनिया में भी मंच सजाकर सबको लोटपोट करेंगे। महज 58 साल में दुनिया छोड़कर गए राजू श्रीवास्तव की पहचान सिर्फ एक कॉमेडियन की नहीं है। वह एक बेहद जहीन शख्सियत के मालिक थे। वो जो अपनों के लिए हर पल मौजूद रहता था।
मां चाहती थी IAS/IPS बने बेटा
कानुपर में 25 दिसंबर 1963 को पैदा हुए राजू श्रीवास्तव के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव अपने इलाके में बलई काका के नाम से लोकप्रिय कवि थे। राजू की मां चाहती थीं कि उनका बेटा आईपीएस या आईएएस अधिकारी बनें, मगर राजू को तो कॉमिडी की धुन सवार थी। फिल्म 'शोले' ने राजू की जिंदगी बदल दी। उन्होंने 'शोले' के अमिताभ बच्चन के डायलॉग्स की मिमिक्री करनी शुरू कर दी और उसी के साथ हुआ उनके आस-पास के इलाकों में स्टेज शोज का सिलसिला शुरू। मगर राजू तो कॉमिडी की दुनिया में छा जाने का सपना देख रहे थे और इसीलिए वे मुंबई आ गए।
50 रुपये की जरूरत और अमिताभ बच्चन
मुंबई में रोजमर्रा के खर्चों के लिए उन्हें थोड़े पैसे भेजे जाते थे, मगर जब वे कम पड़ने लगे, तो राजू ने ऑटो चलाना शुरू किया। उन्होंने बताया था, 'ऑटो चलाते हुए अक्सर मैं अपने पैसेंजर को मिमिक्री कर के हंसाया करता था। ऐसे ही एक पैसेंजर के जरिए मुझे एक शो मिला। उस शो के मुझे बच्चन साहब (अमिताभ बच्चन) की मिमिक्री करने के 50 रुपये मिले थे। उस जमाने में पचास रुपये बहुत हुआ करते थे।' इसे किस्मत की विंडबना ही कहना होगा कि जूनियर अमिताभ बच्चन के नाम से जाने जाने वाले राजू को हाल ही में जब हॉस्पिटलाइज किया गया, तो बिग बी ने अपनी आवाज में शुभकामनाओं वाला एक वॉइस नोट भेजा था।
लाफ्टर चैलेंज से पहले टी टाइम मनोरंजन किया
छोटे पर्दे पर 2005 में आए 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' में गजोधर भैया के नाम से मशहूर हुए राजू इससे पहले 1998 में दूरदर्शन पर दोपहर साढ़े तीन बजे टी टाइम मनोरंजन में दर्शकों का खूब मनोरंजन कर चुके थे। राजू ने बताया था, 'जब मैं मुंबई आया, तो हम जैसे स्टैंडअप कमीडियन के लिए जॉनी भाई (जॉनी लीवर) कॉमिडी के बेताज बादशाह हुआ करते थे। मैं जब मुंबई में उनसे मिला, तो मुझे लगा मेरा सपना पूरा हुआ। जॉनी भाई ने मुझे काफी गाइड और सपोर्ट किया।' राजू को काफी कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। हालांकि लाफ्टर चैलेंज में आने से पहले उनके हंसो और हंसाओ और राजू आला जैसे कैसेट्स काफी लोकप्रिय हो चुके थे। कई मंचों पर उन्होंने स्टैंड अप कॉमिडी भी की, मगर फिल्मों में मौका पाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। जब काम नहीं मिलता, तो राजू छोटी-मोटी बर्थ डे पार्टी में 100-50 रुपये की मिमिक्री कर गुजारा किया करते थे। मगर फिर लाफ्टर चैलेंज उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इस स्टैंड अप कॉमिडी शो में भले राजू उपविजेता रहे, मगर उनकी कॉमिडी ने सभी को हंसाया-गुदगुदाया। उसके बाद उन्हें पलट कर देखने की जरूरत न पड़ी।
कई फिल्मों और टीवी शोज से हंसाया-गुदगुदाया
करियर की शुरुआत में राजू सलमान खान की फिल्म 'मैंने प्यार किया' में ट्रक क्लीनर की छोटी-सी भूमिका में नजर आए। उसके बाद उन्होंने 'तेजाब', 'बाजीगर', 'अभय', 'मिस्टर आजाद', 'आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया', 'मैं प्रेम की दीवानी हूं', 'टॉयलेट- एक प्रेम कथा' और 'फिरंगी' जैसी कई फिल्मों में काम किया। छोटे पर्दे पर उन्होंने 'शक्तिमान', 'राजू हाजिर हो', 'कॉमिडी का हंसीपुर', 'कॉमिडी का महा मुकाबला', 'बिग बॉस', 'कॉमिडी सर्कस', और 'कॉमिडी नाईटस विद कपिल' में दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। राजू के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। उनकी बेटी