रजनीकांत को आज मिलेगा 'दादा साहब फाल्के अवॉर्ड', पुरस्कार लेने से एक दिन पहले इस बात से दुखी सुपरस्टार

इसे भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार कहा जाता है।

Update: 2021-10-25 05:56 GMT

वर्ष 2020 के 51वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार (Dadasaheb Phalke Award) के लिए चुने गए सुपरस्टार रजनीकांत (Rajinikanth) ने कहा है कि सोमवार का दिन उनके लिए 'बेहद खास' होने वाला है, क्योंकि उस दिन उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। रजनीकांत यह भी कहा कि उन्हें दुख है कि उनके गुरु केबी (के बालाचंदर) सर उन्हें पुरस्कार लेते हुए देखने के लिए नहीं हैं।

रविवार को दिल्ली रवाना हुए रजनीकांत ने एक बयान में कहा, 'कल का दिन दो विशेष कारणों से मेरे लिए महत्वपूर्ण अवसर होने जा रहा है। पहला, भारत सरकार द्वारा मुझे दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाएगा, जो लोगों के प्यार और समर्थन का प्रतीक है।'


यह दिन रजनीकांत के लिए इसलिए भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि उनकी बेटी सौंदर्या का आवाज-आधारित ऐप सोमवार को लॉन्च किया जाएगा। रजनीकांत का कहना है कि यह ऐप लोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। सौंदर्या ने 'अपने स्वतंत्र प्रयासों से लोगों के लिए हूते नामक एक बहुत ही उपयोगी ऐप बनाने का बीड़ा उठाया था।' उन्होंने ने बताया कि यह देश का पहला आवाज आधारित सोशल मीडिया ऐप है।
रजनीकांत ने कहा, 'लोग अब अपनी आवाज के माध्यम से अपने विचारों, इच्छाओं को हू-ब-हू वैसे ही व्यक्त कर सकते हैं जैसे कि वे अपनी पसंद की किसी भी भाषा में लिखित रूप में करते हैं।' उन्होंने कहा कि वह सोमवार को अपनी आवाज में 'अपनी तरह के इस पहले' ऐप की शुरुआत करेंगे।
रजनीकांत ने 1975 में तमिल फिल्म 'अपूर्व रागंगल' से अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने 'बिल्लू', 'मुथु', 'बाशहा', 'शिवाजी' और 'एंथीरन', 'हम', 'अंधा कानून', 'भगवान दादा', 'आतंक ही आतंक' और 'चालबाज' जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों में भी अभिनय किया। वर्क फ्रंट की बात करें रजनीकांत की फिल्म 'अन्नाथे' दीपावली पर 4 नवंबर, 2021 को रिलीज होने वाली है।
बताते चलें कि बीती अप्रैल में रजनीकांत को दादा साहब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। रजनीकांत को भारत सरकार द्वारा 2000 में पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। गौरतलब है कि भारतीय सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के के नाम पर भारत सरकार ने 1969 में यह पुरस्कार शुरू किया था और इसे भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार कहा जाता है।


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