मुंबई। 10 साल पुरानी फिल्म ‘आजमगढ़’ के मामले में इसमें काम कर रहे अभिनेता पंकज त्रिपाठी की तरफ से इसके निर्माता को कानूनी नोटिस भेजे जाने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। जिस ओटीटी पर इस फिल्म को प्रसारित करने के होर्डिंग मुंबई में लगे थे, उसके संचालक ने भी अभिनेता पंकज त्रिपाठी को एक नोटिस भेज दिया है। ओटीटी के क्रिएटिव डायरेक्टर संजय भट्ट का आरोप है कि पंकज त्रिपाठी और उनके वकील ने उन्हें और होर्डिंग लगाने वाली कंपनी के मालिक को धमकी दी है।
ओटीटी के क्रिएटिव डायरेक्टर संजय भट्ट का आरोप है कि पंकज त्रिपाठी और उनके वकील ने धमकी दी है। कहा गया कि अगर होर्डिंग नहीं उतारा जाएगा तो वह होर्डिंग कंपनी के मालिक और ओटीटी को नोटिस भेजेंगे। संजय भट्ट कहते हैं, ‘हमारी पंकज त्रिपाठी के साथ कोई दुश्मनी तो है नहीं, बस उनका एक प्रोजेक्ट है जो हमारे चैनल पर चलना है। जब हमने अपने वकील से बात की तो उन्होंने कहा कि यह तो धमकी है, फिर हमने उनको एक नोटिस भेजा। मेरा मानना है कि जो कानूनी मसले हैं, उनको कानूनी तरीके से चलने देना चाहिए। 90 मिनट की फिल्म में कम से कम उनकी 30 से 40 मिनट की भूमिका है। सुनकर बड़ा आश्चर्य होता है कि वह इसे छोटा रोल कह रहे हैं।’
संजय भट्ट ने आगे बताया कि जब फिल्म साल 2019 में सेंसर बोर्ड में गई तो सबसे पहले फिल्म के निर्देशक कमलेश कुमार मिश्रा ने पंकज त्रिवेदी को मैसेज भेजा कि फिल्म सेंसर हो गई हैं। जवाब में पंकज त्रिपाठी ने कमलेश को बधाई संदेश भी भेजा। इसके बाद फिल्म तीन बड़े इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी जा चुकी है। अगर उनको आपत्ति थी तो वह तभी इसे रुकवाने की कोशिश कर सकते थे। अब जब फिल्म रिलीज होने को है तो ये सब करना ठीक नहीं। उनको किसी बात पर आपत्ति थी तो वह बात कर सकते थे। धमकी देने की उनको जरूरत नहीं थी। हमारे पास कॉल की रिकॉर्डिंग है और जरूरत पड़ने पर हम इसे सार्वजनिक करेंगे।
बता दें कि ‘आजमगढ़’ फिल्म का मामला प्रकाश में तब आया जब मुंबई में इस फिल्म की होर्डिंग लगी। इसी से पंकज त्रिपाठी को इस बात का पता चला। पंकज त्रिपाठी की नोटिस के मुताबिक इस फिल्म के जरिए उनकी छवि धूमिल हो रही है। पंकज त्रिपाठी के मुताबिक ‘आजमगढ़’ एक शॉर्ट फिल्म है, जिसमें उनकी छोटी सी भूमिका है। फिल्म के निर्माता उनकी मौजूदा ब्रांड वैल्यू का इस फिल्म के प्रचार में बेजा फायदा उठा रहे हैं और उनके पास उनकी तस्वीरें, आवाज आदि इस्तेमाल करने का कानूनी अधिकार भी नहीं है।