नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मनाया 47वां जन्मदिन, बताया वह किस्सा जब पिता ने कह दिया था- अब तुम घर मत आना
बॉलीवुड में लंबे समय तक अपने पैर टिका कर रखना आसान नहीं. खासतौर पर तब जब आपके सिक्स पैक एब्स ना हों,
बॉलीवुड में लंबे समय तक अपने पैर टिका कर रखना आसान नहीं. खासतौर पर तब जब आपके सिक्स पैक एब्स ना हों, हैंडसम सी शक्ल ना हो लेकिन हीरो होने के इन सभी सामाजिक मापदंडों को तोड़ते हुए नवाजुद्दीन (Nawazuddin Siddiqui) ने इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनाई है. उन्होंने बताया कि पर्दे पर दिखावे से ज्यादा हुनर की जरूरत होती है.
नवाज का जन्म
नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) उत्तर प्रदेश के शहर मुजफ्फरनगर के कस्बे बुढ़ाना में पैदा हुए. उनका जन्म 19 मई 1974 को हुआ था. उनके पिता किसान हुआ करते थे और उनके सात भाई और दो बहनें हैं. नवाजुद्दीन सिद्दीकी के परिवार में किसी का भी एक्टिंग से कोई नाता नहीं था. लेकिन कहते हैं ना, आपकी किस्मत में जो है वो आपको मिलकर ही रहेगा.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से की पढ़ाई
नवाजुद्दीन (Nawazuddin Siddiqui) ने गुरूकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी, हरिद्वार, उतराखंड से साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. इसके बाद वे केमिस्ट के तौर पर एक पेट्रोकेमिकल कंपनी में काम करने लगे. लेकिन नवाजुद्दीन (Nawazuddin Siddiqui) को 9 से 5 की ये जॉब रास नहीं आई. लिहाजा, नवाज निकल पड़े अपनी मंजिल तलाशने. साल 1996 में उन्होंने दिल्ली में दस्तक दी और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया. कोर्स पूरा होने के बाद नवाज पहुंच गए सपनों की नगरी यानी मुंबई.
पिता हुए थे नाराज
नवाज (Nawazuddin Siddiqui) अपने संघर्ष के दिनों में कुछ भी करने गुजरने को तैयार रहते थे. फिल्मों में आने के बाद भी नवाज ने वेटर, चोर और मुखबिर जैसी छोटी- छोटी भूमिकाओं को करने में भी कोई शर्म महसूस नहीं की. एक्टर ने 'शूल', 'मुन्ना भाई MBBS' और 'सरफरोश' जैसी फिल्मों में ये छोटे-छोटे किरदार निभाए. एक इंटरव्यू में नवाजुद्दीन ने बताया था कि जब संघर्ष के दौर में वह फिल्मों में छोटे-मोटे रोल कर रहे थे, उनके पिता निराश थे. एक बार तो इतने निराश हुए कि उन्होंने साफ कह दिया कि तुम घर मत आना, तुम्हारे कारण हमें शर्मिंदगी उठानी पड़ती है.
खूब कमाया नाम
नवाज (Nawazuddin Siddiqui) को अनुराग कश्यप की फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' में काम करने का मौका मिला. उसके बाद 'फिराक', 'न्यूयॉर्क' और 'देव डी' जैसी फिल्मों में काम मिला. सुजोय घोष की 'कहानी' में उनका काम सराहा गया. 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' तक आते आते नवाज स्टार बन चुके थे. चाहे 'बंदूकबाज' में बाबू मोशाय का किरदार हो या 'सेक्रेड गेम्स' का गणेश गायतोंडे, सभी किरदारों से नवाज ने फैंस का दिल जीता है. आज जिस नवाज की मिसाल दी जाती है दरअसल वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है.