मार्वल की कहानियों का अब तक का सबसे भ्रमित नायक, एक देह में दिखी दो आत्माएं
र्वल स्टूडियोज ने अब ये तय कर लिया है कि अपने यूनीवर्स के प्रशंसकों को किसी और फ्रेंचाइजी के आकर्षण में बंधने नहीं देना है बल्कि उनकी सभी इंद्रियों को अपने काबू में रखकर उन्हें एक ऐसी दुनिया में खोए रखना है
र्वल स्टूडियोज ने अब ये तय कर लिया है कि अपने यूनीवर्स के प्रशंसकों को किसी और फ्रेंचाइजी के आकर्षण में बंधने नहीं देना है बल्कि उनकी सभी इंद्रियों को अपने काबू में रखकर उन्हें एक ऐसी दुनिया में खोए रखना है जिसमें हर पल एक नया कौतूहल है। डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई मार्वल स्टूडियोज की नई वेब सीरीज 'मून नाइट' इन कपोल कल्पित कथाओं का विश्वव्यापी विस्तार करने की कोशिशों की नई कड़ी है। ये अच्छा ही है कि मार्वल स्टूडियोज अपनी कहानियों में दुनिया के बाकी देशों की लोक कथाओं को सिनेमाई शक्ल दे रहा है। डॉक्टर स्ट्रेंज का नेपाल भ्रमण अब अनायास नहीं है। इटर्नल्स का हिंदी सिनेमा तक पहुंच जाना अब अचरज नहीं है। और, पाकिस्तानी मूल की किसी किशोरी का अब 'मिस मार्वल' बन जाना भी हैरान नहीं करता। 'वसुधैव कुटुंबकम्' को मार्वल ने भी अपना लिया है और उसकी वेब सीरीज 'मून नाइट' अब मिस्र की लोककथाओं तक पहुंच चुकी है।
इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने को 'मिस मार्वल' के आने में अभी थोड़ा समय है। इस बीच वेब सीरीज 'मून नाइट' मिस्र की तरफ दुनिया भर के दर्शकों को ले चली है। मार्वल की फिल्मों के प्रशंसक रहे दर्शकों ने बीते दो साल में 'वांडा विजन' से लेकर 'फॉल्कन एंड द विंटर सोल्जर', 'लोकी', 'व्हाट इफ' और 'हॉकआई' के जरिये वास्तविकता और कल्पनाओं के बीच बसे ऐसे संसार देखने शुरू किए हैं, जिनके बारे में कुछ साल पहले तक सोचना भी मुश्किल था। एक ही समय सारिणी में अलग अलग कालखंडों को पिरोती ये कहानियां सच्चाई और कल्पना का भेद मिटाती जा रही हैं। वेब सीरीज 'मून नाइट' के नायक को भी हम इसी मतिभेद में पाते हैं। वह पैरों में चेन बांधकर सोता है। सोने से पहले बिस्तर के चारों तरफ बालू बिखेर देता है ताकि अगर नींद में चलकर वह कहीं जाए तो सुबह उसे इसका पता चल जाए। दरवाजे को ताला मारने के बाद वह उस पर टेप भी इसीलिए चिपकाता है।
जिन लोगों ने साल 1975 में आई मून नाइट के किरदार वाली मार्वल कॉमिक्स 'वेयरवुल्फ बाई नाइट #32' पढ़ रखी है, उन्हें पता है कि ये कहानी एक ऐसे किरदार मार्क स्पेक्टर की है जिसकी तीन पहचानें हैं, स्टीवन ग्रांट, जेक लॉकली और मिस्टर नाइट। वेब सीरीज 'मून नाइट' के पहले एपीसोड की शुरुआत स्टीवन ग्रांट से होती है। और, एपीसोड के अंत तक आते आते समझ आता है कि उसके शरीर में कोई मार्क स्पेक्टर भी रहता है। उसे समझ आने लगता है कि सोते जागते उसके दिमाग में बजते रहने वाली आवाज किसकी है और उसे कुछ कुछ ये भी समझ आने लगता है कि जिसे वह सपनों का भ्रम मानकर व्याकुल होता रहा है, उसकी असलियत क्या है? और ऐसा क्या है कि वह अपनी महिला मित्र से मिलने का समय और दिन तय करके भी भूल जाता है?
वेब सीरीज 'मून नाइट' के पहले एपीसोड में सीरीज का नायक स्टीवन ग्रांट खुद से लड़ता दिखता है। वह कमजोरियों का पुतला दिखता है। ऐसा दब्बू इंसान जिसे हर कोई हड़काता रहता है, लेकिन अपने नायक का ये रूप निर्देशक मोहम्मद डियाब ने जानबूझकर गढ़ा है। तयशुदा कहानी के नायकों को अपने चरम पर लाने के पहले उनको कमजोर दिखाना, फिर किसी दैवीय शक्ति से उनको असीमित बल मिल जाना एक सेट टैम्पलेट की कहानी बताता है। मार्वल से उम्मीद हर बार यही की जाती है कि वह अपने प्रशंसकों को कथ्य से चौंकाएंगे। यहां सिवाय एक इंसान की अलग अलग पहचानों के बाकी कहानी 'आयरनमैन', 'हल्क' और 'कैप्टन अमेरिका' जैसी इंसानी कमजोरियों से ही शुरू हो रही है। एपीसोड के आखिर तक आते आते हालांकि स्टीवन को समझ आ जाता है कि कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है और ये भी कि खुद को खोकर ही खुद को पाया जा सकता है।