मनोज बाजपेयी की तारीफ ने मेरा सीना किया 56 इंची
आज भी रहता है पापा के थप्पड़ का डर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बरसों तक आगरा और आसपास के क्षेत्रों के डॉक्टरों के यहां दवाओं के प्रचार के लिए जाते रहे सत्यदेव गुप्ता इस बार मुंबई आए तो उनके मन में यही आशंका रही कि उनका घर से भागा बेटा यहां रहता भी होगा तो कैसे? साथ में पत्नी नीता रानी गुप्ता भी थीं जो सत्यदेव और उनके बेटे शिवम के बीच की कड़ी दशकों से बनी हुई हैं। ये बताते हुए शिवम गुप्ता का चेहरा चमक उठता है कि पापा दो दिन के लिए मुंबई आए थे और 20 दिन रुके। यही शिवम का अब तक का सबसे बड़ा सम्मान है। शिवम गुप्ता यानी मुंबई मनोरंजन जगत में तेजी से उभरती कास्टिंग कंपनी शिवम गुप्ता कास्टिंग के कर्ताधर्ता और इस साल की बेहद लोकप्रिय फिल्म ‘सिर्फ एक ही बंदा काफी है’ के कास्टिंग डायरेक्टर। जियो सिनेमा पर हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज ‘असुर 2’ की कास्टिंग भी शिवम ने ही की है।
पैसे कमाने के लिए हर छोटा बड़ा काम करते रहे शिवम को कास्टिंग का काम भी संयोग से ही मिला जब उन्हें एक यूनिट में ऑडिशन के समय कैमरे पकड़ने का काम मिला। शिवम बताते हैं, ‘सिर्फ कैमरा पकड़ने के मुझे दो हजार रुपये मिले तो मुझे इस काम में रुचि होने लगी। ‘साईं बाबा की 51 कहानियां’ मेरा पहला सीरियल था जिसमें मुझे कास्टिंग का काम मिला। फिर मुंबई आया। कुछ अच्छे लोगों से मिला। कुछ ऐसे लोगों के साथ भी जुड़ा जिनके साथ मेरी ट्यूनिंग नहीं जमी। आत्मसम्मान के चलते मैंने काम छोड़े भी लेकिन माता पिता के आशीर्वाद से अब मेरी गाड़ी सही पटरी पर है और अच्छी रफ्तार में चल रही है।’
लेकिन, शिवम जिस रास्ते पर अब चल रहे हैं, वहां तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं है। कोई 14 साल पहले वह घर से भाग निकले थे। और, भागे थे अपने पिता की मार के डांट के डर से। आगरा स्टेशन पर मुंबई आने वाली ट्रेन पर चढ़ने से पहले उन्होंने उनके लिए एक लंबी चिट्ठी भी छोड़ी। घर वाले और रिश्तेदार उनकी तलाश में निकले। बहन निमिषा दिल्ली से उन्हें तलाशते तलाशते आगरा पहुंची। दोनों मिले और शिवम माता-पिता की बजाय बहन के साथ दिल्ली में रहने की बात मान गए। शिवम बताते हैं, ‘ये मेरी जिंदगी का पहला टर्निंग रहा। दीदी के साथ मैं दिल्ली आया और उन्होंने मुझे बानी शरद जोशी के थियेटर ग्रुप से जोड़ दिया। तमाम रिहर्सल के बाद मैंने जब अपना पहला नाटक इंडिया हैबिटेट सेंटर में किया और नाटक के अंत जिस तरह से लोगों ने तालियां बजाकर हमारा उत्साह बढ़ाया, उसने मुझे अभिनय के प्रति आकर्षित किया।’
पैसे कमाने के लिए हर छोटा बड़ा काम करते रहे शिवम को कास्टिंग का काम भी संयोग से ही मिला जब उन्हें एक यूनिट में ऑडिशन के समय कैमरे पकड़ने का काम मिला। शिवम बताते हैं, ‘सिर्फ कैमरा पकड़ने के मुझे दो हजार रुपये मिले तो मुझे इस काम में रुचि होने लगी। ‘साईं बाबा की 51 कहानियां’ मेरा पहला सीरियल था जिसमें मुझे कास्टिंग का काम मिला। फिर मुंबई आया। कुछ अच्छे लोगों से मिला। कुछ ऐसे लोगों के साथ भी जुड़ा जिनके साथ मेरी ट्यूनिंग नहीं जमी। आत्मसम्मान के चलते मैंने काम छोड़े भी लेकिन माता पिता के आशीर्वाद से अब मेरी गाड़ी सही पटरी पर है और अच्छी रफ्तार में चल रही है।’