गुलमोहर के फूलों की तरह ये फिल्म भी आपको एहसासों से भर देगी

ऐसे सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने पर ही मालूम होंगे।

Update: 2023-03-03 07:17 GMT
परिवार हर बच्चे का पहला स्कूल होता है जहां वह अपने जीवन से जुड़े शुरूआती तौर तरीकों को सीखता हैं। परिवार में ही बच्चा चलना, दौड़ना, बोलना, लोगों के साथ बात करना आदि जैसे कई बुनियादी आदर्शों को सीखता है। वहीं जीवन की इस कड़ी में हम जैसे-जैसे बड़े होते रहते है अपने परिवार से दूर होने लगते हैं। आज के समय के तकनीकी दौर में हम अपने आप में ही इतने मशगूल हो जाते हैं कि परिवार के लिए थोड़ा सा भी समय नहीं निकाल पाते हैं, खासकर शहरों में ये चीजें अधिक देखने को मिलती है। इसी पारिवारिक महत्व और भूमिका को दर्शाने वाली फिल्म 'गुलमोहर' आज डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है।
फिल्म में तीन पीढ़ियों को एक छत के नीचे दिखाया गया है। कुसुम (शर्मिला टैगोर) घर की मुखिया के किरदार में नजर आ रही हैं। उनके देवर उनपर तंज कसते हैं कि बत्रा परिवार की बहू अपने पोते पोतियों के साथ शराब पीती हैं यह ठीक नहीं हैं। कुसुम का बेटा बहुत आज्ञाकारी है लेकिन अपने बच्चों की पसंद और आदतों ने उन्हें परेशानी में डाल दिया है। बत्रा परिवार के रिश्ते धीरे-धीरे कमजोर हो रहे हैं। परिवार की तीन पीढ़ियां अब एकदूसरे से अलग-अलग होना चाहती हैं। एक रईस परिवार के इकलौते बेटे के रूप में मनोज बाजपेयी ने स्क्रीन पर दमदार अभिनय किया है। फिल्म में उन्हें निराश, बेचैन और सिस्टम से मुकाबला करते हुए दिखाया गया है। परिवार की तीनों पीढ़ियां अपने तरीके से जिंदगी जीना चाहती हैं। कुसुम अब अपनी बाकी की जिंदगी अकेले पुदुचेरी में बिताना चाहती हैं। अपने अकेलेपन को खत्म करने की कोशिश में लगे जतिन गोस्वामी ने भी पर्दे पर कमाल का अभिनय किया है। क्या यह तीनों पीढि़यां एक साथ एक छत के नीचे खुशी-खुशी रह पाएंगी ? क्या उनकी एक दूसरे से शिकायतें खत्म हो पाएंगी? ऐसे सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने पर ही मालूम होंगे।

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