मल्टी ऑर्गन फेलियर के कारण लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन, जानें जब मौत के मुंह से आई थीं वापस

Update: 2022-02-06 05:47 GMT

नई दिल्ली: स्वर सम्राज्ञी 'लता मंगेशकर' अब हमारे बीच नहीं रहीं... लता मंगेशकर ने अपनी जिंदगी में जो मुकाम हासिल किया वो काटों भरा रहा. उन्होंने बचपन से ही काफी स्ट्रगल किया था. पिता के निधन के बाद लता ने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठा ली थी. बचपन में लता की जिंदगी में ऐसे दर्दनाक तीन महीने आए थे, जब उनके परिवार को लगा था कि अब वो उन्हें खो देंगे. लेकिन लता की फैमिली ने उन्हें बचाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.

राइटर हरीश भीमाणी ने अपनी किताब 'इन सर्च ऑफ लता मंगेशकर' में लता से जुड़े इस किस्से को लिखा है. किताब के मुताबिक, जब लता 5 साल की थी तब उन्हें चेचक हो गई थी. उनको चेचक इतनी भयंकर हुई थी कि सभी को लग रहा था कि अब वो नहीं बचेंगी.
उनके घावों में मवाद पड़ गया था. उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी. वो दर्द में कराहती थी. लता की मां उन्हें केले के पत्तों में लपेटकर रखती थी और उन्हें धीरे-धीरे हिलाती रहती. डॉक्टरों को उनकी आंखों की रोशनी जाने का डर था. लता पूरे तीन महीने इस भयंकर बीमारी की चपेट में रहीं. ये तीन महीने उनकी जिंदगी के सबसे दर्दनाक महीने साबित हुए थे. लेकिन धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार हुआ. ये किसी पुनर्जन्म से कम नहीं था.
जब वो ठीक हो गईं तो उनके पिता ने बैंड-बाजे वालों को बुलाया था. मां ने अनाज-नारियल और महंगी साड़ियां शगुन के तौर पर बांटी थीं. उनके घर में जश्न का माहौल था.
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