जाने कैसे मुकेश को मिला फिल्मों में काम करने का मौका
आज फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज गायक मुकेश की पुण्यतिथि है. यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि मुकेश केवल एक सिंगर ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने एक्टर के तौर पर भी अपनी किस्मत आजमाई थी. हालांकि, एक सफल एक्टर तो नहीं बन, पाए लेकिन अपनी मधुर आवाज से हर किसी को दीवाना बना दिया.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब भी बॉलीवुड के दिग्गज गायक मुकेश (Singer Mukesh) के नाम से मशहूर मुकेश चंद माथुर की बात होती है, तो उन्हें सिर्फ दिग्गज अभिनेता राज कपूर (Raj Kapoor) के क्लासिक हिंदी गानों की आवाज के लिए याद किया जाता है. हालांकि, मुकेश का नाम अपने आप में एक अलग पहचान रखता है. इस नाम को किसी के सहारे याद करने की आवश्यकता हमें नजर नहीं आती है. मुकेश को हिंदी सिनेमा में उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा. आज इस महान गायक की पुण्यतिथि है.
मुकेश पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे. उन्होंने अपनी एसएससी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी. उनकी पहली नौकरी दिल्ली के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट में लगी थी. वह ये नौकरी केवल शौकिया तौर पर किया करते थे. इसके साथ ही उन्होंने वॉइस रिकॉर्डिंग्स में भी काफी प्रयोग किए थे. यह बहुत कम लोग जानते हैं कि मुकेश ने कभी भी सिंगर बनने का सपना नहीं सोचा था और उनके पिता जी जोरावर चंद माथुर तो बिल्कुल नहीं चाहते थे कि बेटा गायक बने. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में मुकेश ने अपनी एक गायक के तौर पर यात्रा कैसे शुरू हुई, इस किस्से का जिक्र किया था.
कैसे मुकेश को मिला फिल्मों में काम करने का मौका?
मुकेश ने बताया था कि दरअसल, मेरी बहन की शादी थी. उसमें दो दिग्गज फिल्म इंडस्ट्री के भी आए हुए थे. वो बाराती थे. अब बारातियों का मनोरंजन लड़की वाले करते ही हैं. कोई शराब ला रहा है, कोई कबाब ला रहा है. हमने कहा कि हार्मोनियम लगाओ, हम गाना गाएंगे. अब हमने गाना गा दिया. सहगल साहब का गाना गाया था. अगले दिन क्या हुआ कि वो दो साहब हमारे घर पर आ गए. अब उन्होंने हमारे वालिद साहब से कहा कि आपके बेटे में तो बहुत टैलेंट है. ये बहुत अच्छा गाना गाना जानते हैं. अब न हमारे वालिद को पता था गाना गाना किसे कहते हैं और न हमें पता था. हम उस वक्त मैट्रिक में पढ़ा करते थे. (मतलब गाने गाने की तालीम नहीं ली थी, तो समझ नहीं थी.)
सिंगर ने आगे कहा कि हमारे पिता जी हैरान हो गए कि ये लोग कौन हैं और क्या बात कर रहे हैं? मैंने पिताजी से कहा कि ये बहुत मशहूर लोग हैं फिल्म इंडस्ट्री के. तो पिताजी ने उनसे पूछा कि क्या चाहतो इससे. उन्होंने कहा कि आप इसे फिल्मों में भेज दीजिए, ये सहगल (केएल सहगल) से भी बड़ा नाम कमाएगा. उस समय एक सहगल ही नाम था, जिसके बारे में पिताजी ने सुना था और तो किसी के बारे में जानते नहीं थे. उस वक्त तो पिताजी राजी नहीं हुए. उन्होंने उन लोगों से कह दिया कि नहीं, नहीं हम अपने बेटे को गवैया नहीं, कोई क्लर्क वगैरह बनवा देंगे अपने लड़के को.
उन्होंने बताया था कि इसके बाद हुआ ये कि इन्होंने अपनी एक फिल्म के लिए नलिनी जयवंत को एक्ट्रेस के तौर पर लिय़ा था और इन्हें एक नए लड़के की तलाश थी. वह चाहते थे कि कोई सिंगिंग हीरो आए, लेकिन उस टाइम तो कुछ हो नहीं पाया. इस फिल्म के बाद नलिनी जयवंत को लेकर एक और फिल्म बनाई. फिल्म का नाम था- निर्दोष. तो दोबारा उन लोगों ने एक टेलीग्राम मुझे दिया. फिर मेरे पिताजी कहने लगे कि जब वो लोग इतना कह रहे हैं तो वाकई शायद तुम्हारे अंदर कोई टैलेंट हो. जाओ अपना मुकद्दर आजमा लो. तो इसके बाद हम आए. फिल्म बनी और फिल्म हो गई फेल, तो हमें निकाल दिया गया. कंपनी भी बंद हो गई.
एक सेकंड क्लास एक्टर होने से बेहतर है, एक फर्स्ट क्लास सिंगर होना
मुकेश अपने इंटरव्यू में आगे कहते हैं कि फिर पहले तो हम शेयर ब्रोकर बने, ड्राई फ्रूट सेलर बने और फिर सारे धंधे करके हम बैठ गए. इसके बाद 1942 में पहली बार प्लेबैक सिंगर के तौर पर काम मिला. देवकी बोस ने इंट्रोड्यूस किया था. वो कहते हैं न कि अगर मुकद्दर में कुछ लिखवाकर लाए हो, तो भगवान ने कुछ न कुछ ऐसा तरीका निकाल लिया कि प्लेबैक सिंगिंग का प्रोफेशन शुरू हो गया. अपने एक्टिंग करियर के बारे में बात करते हुए मुकेश ने कहा कि मैंने एक्टर बनने के बारे में सोचा था, लेकिन वो चला नहीं. फिर मुझे लगा कि एक सेकंड क्लास एक्टर होने से बेहतर है, एक फर्स्ट क्लास सिंगर होना.