सिद्धार्थ मल्होत्रा के सामने कियारा ने बताई दिल की विश, शेयर किए फिल्म से जुड़े किस्से

उनके परिवारों पर क्या बीत रही होगी. उनकी यात्रा एक अलग तरह की ताकत है.’

Update: 2021-09-05 04:44 GMT

कियारा आडवाणी (Kiara Advani) और सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) इन दिनों हाल ही में रिलीज हुई अपनी फिल्म 'शेरशाह (Shershaah)' की सक्सेस एंजॉय कर रहे हैं. ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई शेरशाह को दर्शकों से खूब प्यार मिल रहा है और कियारा-सिद्धार्थ की भी खूब तारीफ हो रही है. इस बीच कियारा आडवाणी और सिद्धार्थ मल्होत्रा शनिवार को 'द कपिल शर्मा शो (The Kapil Sharma Show)' में गेस्ट बनकर पहुंचे थे. जहां दोनों, फिल्म की शूटिंग को लेकर अपने अनुभव के बारे में भी विस्तार से बात की, जिसे अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज़ होने के बाद से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है.

'शेरशाह' कैप्टन बत्रा के जीवन की कहानी बताती है, जो 1999 के कारगिल युद्ध के हीरो थे. इस दौरान कियारा आडवाणी ने व्हाइट लहंगा पहना जिसे उन्होंने येलो दुपट्टे के साथ टीमअप किया था. इस लुक में कियारा बला की खूबसूरत लग रही थीं. वहीं सिद्धार्थ मल्होत्रा ने ब्राउन लेदर जैकेट और ब्लैक शर्ट और डेनिम पहन रखी थी. कपिल शर्मा शो में कियारा और सिद्धार्थ को शेरशाह के डायरेक्टर विष्णुवर्धन ने भी कंपनी दी.


कपिल शर्मा ने कियारा और सिद्धार्थ को 'शेरशाह' में उनकी शानदार एक्टिंग और फिल्म की सक्सेस के लिए बधाई दी. कियारा ने पंजाबी न होने के बावजूद फिल्म में जिस तरह पंजाबी बोली, उसके लिए भी कपिल शर्मा ने एक्ट्रेस की तारीफ की. फिल्म को लेकर बातचीत करते हुए सिद्धार्थ ने शूटिंग को लेकर कुछ किस्से भी शेयर किये.
उन्होंने बताया कि, उन्होंने 12,000 फीट की ऊंचाई पर शूटिंग की, जहां उन्हें ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही थी. लेकिन, वास्तविक कारगिल युद्ध 16,000 फीट की ऊंचाई पर हुआ था. एक्टर कहते हैं- 'हमने जिस ऊंचाई पर शूटिंग की, वह वास्तविक कारगिल युद्ध की लड़ाई के आगे कुछ नहीं था यह कहानी सच्चे और वास्तविक जीवन के हीरो के बारे में है. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं, कि मुझे उनका (विक्रम बत्रा) किरदार निभाने का मौका मिला.'
दूसरी तरफ कियारा आडवाणी ने विक्रम बत्रा की मंगेतर डिंपल चीमा से अपनी मुलाकात का एक्सपीरियंस भी शेयर किया. कियारा कहती हैं- 'मैं फिल्म की शूटिंग से पहले डिंपल जी से मिली थी, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि मैं समझना चाहती थी कि वह कैसे बोलती हैं और कैसे व्यवहार करती हैं. मैं उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ना चाहती थी और उनकी भावनाओं को समझना चाहती थी, क्योंकि हम एक नागरिक के रूप में, सैनिकों के बारे में पढ़ते समय सोचते हैं कि उनके परिवारों पर क्या बीत रही होगी. उनकी यात्रा एक अलग तरह की ताकत है.'


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