कारगिल युद्ध: जब एक्‍टर दिलीप कुमार ने पाकिस्‍तान के पीएम से की बात, तत्‍कालीन पीएम वाजपेयी ने कहा था, पढ़े पूरा किस्सा

Update: 2021-07-07 04:54 GMT

बॉलीवुड के वेटरन एक्‍टर दिलीप कुमार का बुधवार को निधन हो गया. दिलीप कुमार अपने आप में एक्टिंग का एक इंस्‍टीट्यूट थे और कई एक्‍टर्स को उन्‍होंने प्रभावित किया. भारत के अलावा पाकिस्‍तान में भी उनके काफी चाहने वाले हैं. पड़ोसी देश से उनका खासा नाता है. दिलीप कुमार का जन्‍म पेशावर में हुआ था. इसके अलावा एक और किस्‍सा है जो बताता है कि वो भावनात्‍मक रूप ये पाकिस्‍तान से कितना जुड़े थे. यह किस्‍सा सन् 1999 में हुई कारगिल की जंग से जुड़ा है.

दिलीप कुमार की फोन कॉल से चौंके शरीफ
यह दिलचस्‍प वाकया मई 1999 का है और उस समय संघर्ष को शुरू हुए बस कुछ ही दिन हुए थे. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के कार्यकाल में पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री रहे खुर्शीद कसूरी की किताब 'नीदर ए हॉक नॉर ए डव,' में इसका जिक्र हुआ था. इस किताब में लिखा है कि संघर्ष के दौरान जब लीजेंड्री एक्‍टर दिलीप कुमार ने पाकिस्‍तान के पीएम नवाज से बात की तो हर कोई चौंक गया था.

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कसूरी ने अपनी इस किताब में कारगिल की जंग के समय नवाज प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे सईद मेहदी के हवाले से इस किस्‍से को बयां किया है. कसूरी ने लिखा है कि संघर्ष के दौरान उस समय के तत्‍कालीन भारतीय पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने नवाज से शिकायत की थी कि उन्‍होंने भारत की पीठ पर छुरा भोंक कर अच्‍छा नहीं किया है.
बाजपेयी की बात पर हैरान शरीफ
कसूरी ने लिखा है कि सईद ने उन्‍हें बताया कि मई 1999 में जब कारगिल की जंग शुरू हुई एक दिन वह पीएम शरीफ के साथ बैठे थे कि अचानक फोन की घंटी बजी. शरीफ के एडीसी ने उन्‍हें बताया कि पीएम वाजपेयी उनसे तुरंत बात करना चाहते हैं. बातचीत के दौरान वाजपेयी ने शरीफ से शिकायत की कि लाहौर में उन्‍हें बुलाने के बाद शरीफ ने उन्‍हें इतना बड़ा धोखा दिया. वाजपेयी की बात सुनकर शरीफ हैरान थे. उन्‍हें यकीन नहीं हो रहा था कि वाजपेयी उनसे क्‍या कह रहे हैं.
वाजपेयी ने कराई दिलीप कुमार की बात
कसूरी की इस किताब में जो दावा किया गया है कि उसके मुताबिक शरीफ को इस बात का जरा भी इल्‍म नहीं था कि वाजपेयी उनसे क्‍या कह रहे हैं. उन्‍होंने उस समय वाजपेयी से वादा किया कि तत्‍कालीन पाक आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ के साथ बात करके वह उन्‍हें दोबार कॉल करेंगे. उनकी बात खत्‍म होती इससे पहले वाजपेयी ने शरीफ से कहा कि वह चाहते हैं कि वह एक और शख्‍स से बात करें. कसूरी के मुताबिक यह शख्‍स कोई और नहीं बल्कि दिलीप कुमार थे.
पाक के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार से सम्‍मानित दिलीप
दिलीप कुमार ने फोन पर उनसे कहा, 'मियां साहब, हमने आप से यह उम्‍मीद नहीं की थी. आप तो हमेशा भारत और पाकिस्‍तान के बीच दोस्‍ती की बात करते आए हैं.' दिलीप कुमार जो कि प‍ाक के पेशावर के रहने वाले थे, संघर्ष से पहले देश के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्‍मानित हो चुके थे. कसूरी कि किताब के मुताबिक दिलीप कुमार ने शरीफ से कहा कि इस तनाव की वजह से भारत में रहने वाले मुसलमान खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. वे अपने घरों को छोड़ने में कई तरह के डर और मुश्किलों को महसूस कर रहे हैं. ऐसे में यह शरीफ की जिम्‍मेदारी है कि वो हालातों पर काबू करें.

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