BMC के खिलाफ कंगना रनौत ने वापस लिया केस, जानिए क्यों झुकीं एक्ट्रेस
कंगना रनौत ने बीएमसी के खिलाफ दायर अपना केस वापस ले लिया है.
कंगना रनौत ने बीएमसी के खिलाफ दायर अपना केस वापस ले लिया है. कंगना अपने फ्लैट में किए गए अवैध निर्माण के मामले में हाई कोर्ट की शरण में गई थीं. बीएमसी ने कंगना के फ्लैट में अवैध तरीके से मर्जर करके निर्माण करने पर आपत्ति जताई थी और वो घर में भी उनके ऑफिस की तरह तोड़फोड़ करने के इरादे में थी. कंगना को भी कहीं ना कहीं पता था कि इस मामले में वो बीएमसी से कोर्ट में नहीं जीत पाएंगी इसलिए उन्होंने अपना केस वापस लेने में ही अपनी भलाई समझी.
कंगना ने फिर से किसी कार्रवाई से बचने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर अपनी नजर बनाई हुई थी. आज कंगना के कोर्ट में बताया कि वो बीएमसी के खिलाफ अपना केस वापस ले रही हैं और वो सिविक बॉडी से बात करके इस अवैध निर्माण के मामले को सुलझा लेंगी.
हाईकोर्ट ने मांगा था जवाब
बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने 3 फरवरी को कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के खार स्थित फ्लैट के कथित अवैध निर्माण के मामले में अभिनेत्री को राहत दी थी. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा कंगना रनौत के फ्लैट पर की जाने वाली कार्रवाई को लेकर दिए गए निचली अदालत के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा. कोर्ट ने कंगना को आदेश दिया था कि वह कोर्ट को पांच फरवरी तक बताएं कि वह बीएमसी में अपने फ्लैट के कथित बदलावों को नियमित कराने के लिए आवेदन दाखिल करेंगी या नहीं.
ये था मामला
खार स्थित तीन फ्लैट्स को आपस में मर्ज कराने को लेकर बीएमसी ने कंगना रनौत को मार्च 2018 में नोटिस जारी किया था. सिविल कोर्ट ने दिसंबर 2020 में बीएमसी के नोटिस के खिलाफ कंगना की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद अभिनेत्री ने हाई कोर्ट का रुख किया था. कंगना की याचिका को खारिज करते हुए सिविल कोर्ट ने कहा था कि तीन फ्लैट्स को बिना इजाजत मर्ज करना अवैध है.
कंगना रनौत के ये थे आरोप
कंगना के वकील ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा था कि यह केस अभिनेत्री के खिलाफ प्रतिशोध का हिस्सा है. फ्लैट्स का निर्माण करने वाले के कारण अवैध निर्माण किया गया है, न कि उनकी क्लाइंट कंगना रनौत द्वारा. वहीं, सीनियर काउंसल असपी चिनॉय और वकील जॉयल कार्लोस ने कोर्ट में जिरह के दौरान कहा कि फ्लैट में अवैध रूप से 8 बदलाव किए गए हैं. दोनों पक्ष की बात सुनने के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में अभिनेत्री को 5 फरवरी तक राहत दी और अपना जवाब दाखिल करने को कहा.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि सिविल कोर्ट का 22 दिसंबर, 2020 का आदेश पांच फरवरी तक लागू रहेगा और तब तक अंतरिम आदेश भी बरकरार रहेगा. यानि कंगना रनौत पर 5 फरवरी तक किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती.
आपको बता दें कि डिंडोशी में शहर के सिविल कोर्ट के जस्टिस न्यायाधीश एलएस चव्हाण ने इस केस पर बात करते हुए कहा था कि मुझे लगता है कि कंगना रानौत ने तीन फ्लैट्स का मालिक होने के कारण इन तीनों इकाइयों को एक इकाई में बदल दिया. कंगना रनौत ने अपनी सुविधा के अनुसार सिंक एरिया, डक्ट एरिया, लोबी एरिया को कवर किया और एफएसआई से स्वीकृत योजना का गंभीर उल्लंघन किया.