अमिताभ बच्चन पर चीखना-चिल्लाना अजीब लगता था: इमरान हाशमी
पांच हफ्ते बाद फिल्म ओटीटी पर आ जाएगी, तो जो वहां देखना चाहे, ओटीटी पर देख ले।
लॉकडाउन के दौरान एक ओर जहां बड़-बड़े स्टार्स की फिल्में ओटीटी पर रिलीज हुईं, वहीं इमरान हाशमी इकलौते ऐसे ऐक्टर हैं, जिनकी दो फिल्में थिएटर तक पहुंचीं। 'मुंबई सागा' के बाद अब उनकी फिल्म 'चेहरे' भी सिनेमाघरों में दस्तक दे रही है। पेश है उनसे ये खास बातचीत:
आपके करियर को करीब दो दशक होने जा रहे हैं। पहले एक दशक में आपने एक खास किस्म की हॉट, रोमांटिक फिल्में कीं, वहीं अब अलग-अलग तरह की फिल्में कर रहे हैं। इस बदलाव के पीछे क्या सोच रही?
मेरी कोशिश तो अब भी वही है कि ऑडियंस को सरप्राइज करूं। उनको कुछ नया दूं। हां, मैंने शुरू में 10-12 साल तक एक तरह की फिल्में की थीं, लेकिन मुझे लगा कि ऑडियंस वो सब देख चुकी है, तो उसे मैं रिपीट नहीं करना चाहता। खुशकिस्मती से मुझे ऐसी स्क्रिप्ट्स भी मिल रही हैं। ओटीटी के आने के साथ अलग-अलग तरह की कहानियां लिखी जा रही हैं, करैक्टर बेस्ड फिल्में लिखी जा रही हैं। अब ऐसा नही है कि ये हीरो है, ये विलेन है, जो पहले मसाला फिल्मों में हुआ करता था। वे फिल्में भी चलती हैं, लेकिन अब और भी दरवाजे खुल गए हैं। कॉन्टेंट बेस्ड फिल्में बनने लगी हैं और मैं इस बदलाव से बहुत खुश हूं।
इंडस्ट्रीवालों का नजरिया भी आपको लेकर बदला है या अब भी वो किसिंग किंग वाले ऑफर आते हैं?
बिल्कुल बदला है। पिछले कुछ समय से जिस किस्म की फिल्में मुझे ऑफर हो रही हैं, वे अलग हैं। पहले मैं जो फिल्में किया करता था, उससे बड़े अलग किरदार मिल रहे हैं, तो मैं बहुत खुश हूं कि मुझे एक्सपेरिमेंट करने का मौका मिल रहा है।
'चेहरे' की शूटिंग आप लोगों ने माइनस 5-6 डिग्री तापमान में की। फिर पिछले साल से अब तक इसके रिलीज का सफर भी बड़ा उतार-चढ़ाव भरा रहा। और क्या-क्या चुनौतियां रहीं?
माइनस 5-6 ही नहीं, माइनस 15 डिग्री तापमान तक में शूटिंग की हमने स्लोवाकिया में। जब हमने शूट शुरू किया था, तब 5-6 डिग्री था, पर शूट खत्म होते- होते माइनस 15 डिग्री पहुंच गया, तो क्रू को काफी कठिनाइयां हुईं, लेकिन प्रॉडक्शन वालों ने अच्छा इंतजाम किया था। फिर, हमें पता था कि ये चुनौतियां झेलनी पड़ेंगी। असल में फिल्म का शीर्षक पहले बर्फ था, तो डायरेक्टर साहब ने सेटिंग ऐसी रखी थी कि बर्फ गिरती है। वहीं, रिलीज को लेकर भी काफी चुनौती रही, क्योंकि कोविड-19 का तो किसी को पता ही नहीं था। हम 2020 में फिल्म आने वाले थे, तभी लॉकडाउन लग गया। फिर दोबारा अप्रैल 2021 में रिलीज का प्लान बना, तब सेकंड वेब आ गई। अब जाकर ये थिएटर में आ रही है, क्योंकि एक तो ये फिल्म बनी है बड़े पर्दे के लिए। इसका साउंड डिजाइन वगैरह ऐसा है। फिर, थिएटर मालिकों को सपोर्ट करने की भी चाह है। ये मेरी दूसरी फिल्म है 'मुंबई सागा' के बाद, जो थिएटर में रिलीज हो रही है।
क्या इसे सही समय मानते हैं थिएटर में रिलीज के लिए, क्योंकि मुंबई सागा भी बिग स्क्रीन फिल्म होने के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर उतना खास नहीं कर पाई थी?
देखिए, यह बहुत बेहतरीन समय तो नहीं है, क्योंकि आपको भी पता है कि हमारे यहां एक जुनून होता है, ओपनिंग कलेक्शन को लेकर कि पहले दिन फिल्म की कितनी कलेक्शन रही, जबकि अभी हालात काफी बदल चुके हैं। महाराष्ट्र में थिएटर अभी खुले नहीं हैं, पर हमें लगा कि थिएटर मालिक काफी समय से मार झेल रहे हैं, उनके भी खर्चे हैं, तो हमें उन्हें सपॉर्ट करना चाहिए। एक रिस्क फैक्टर जरूर है, लेकिन इसका कुछ कर नहीं सकते क्योंकि हमें पता नहीं है के यह हालात कब खत्म होंगे। हम अपना काम कर रहे हैं, तो जिसे थिएटर में देखना है, वह थिएटर में देख ले। फिर, पांच हफ्ते बाद फिल्म ओटीटी पर आ जाएगी, तो जो वहां देखना चाहे, ओटीटी पर देख ले।