एक्टर भारती सिंह को उनकी मां इस दुनिया में नहीं लाना चाहती थीं, उसी बेटी की बदौलत मिली पहचान, जाने क्या है बाते
भारती सिंह सिर्फ कॉमेडी ही नहीं, बल्कि स्पोर्ट्स में भी थीं अव्वल. शूटिंग और तीरंदाजी में जीते कई अवॉर्ड. नेशनल प्लेयर रह चुकी थीं भारती सिंह.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अक्सर लोग जब भी बात करते हैं तो केवल ऊपरी खूबसूरती की बात करते हैं. पर जब अंदरूनी खूबसूरती पर चर्चा की जाती है, तो टीवी और फिल्म इंडस्ट्री की एक चुलबुली लड़की का चेहरा सामने आता है. ये वो लड़की है जो पंजाब के अमृतसर से मुंबई अपने सपनों को पूरा करने के लिए आई और इंडस्ट्री में वो पहचान बना बैठीं, जिसकी तमन्ना हर कोई स्ट्रगलिंग एक्टर करता है. हम बात कर रहे हैं भारती सिंह (Bharti Singh) की. जी हां, कॉमेडियन भारती सिंह जो अपने मसखरे अंदाज से हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाती हैं.
भारती सिंह को अपने वजन के कारण काफी कुछ सुनना पड़ा था, लेकिन उन्होंने लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने हुनर की बदौलत वह घर-घर में पहचानी जाती हैं. भारती, भारत की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कॉमेडियन हैं. और आज इस नटखट कॉमेडियन का जन्मदिन है. भारती सिंह का जन्मदिन के मौके पर हम आपके साथ उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना हो.
भारती की मां को आज भी है ये पछतावा
आपको बता दें कि भारती सिंह का जन्म 3 जुलाई, 1985 को अमृतसर में हुआ था. एक इंटरव्यू में भारती सिंह ने बताया था कि शायद मेरे परिवार के लोग मुझे पैदा नहीं करना चाहते थे. उस समय यह नारा चल चुका था कि 'हम दो हमारे दो'. मुझसे पहले मेरे भाई-बहन हो चुके थे और मैं तीसरा बच्चा थी. मेरी मम्मी मुझे अभी भी बताती हैं कि 'मैं तुझे पैदा नहीं करना चाहती थीं, क्योंकि दो ही बच्चे अच्छे.' उन्होंने खूब दवाइयां खाईं, ये किया और वो किया, लेकिन वो मुझे गिरा ही नहीं पाईं. आज भी अगर मुझे कोई अवॉर्ड मिलता है या मैं टीवी पर आती हूं तो मेरी मम्मी मुझसे कहती हैं कि उनसे बहुत बड़ा पाप होने जा रहा था.
कॉमेडियन न होतीं, तो स्पोर्ट्स में देश का नाम कर रही होतीं रोशन
भारती सिंह बताती हैं कि उनकी पढ़ाई-लिखाई सब अमृतसर से ही हुई है. मुझे खुद भी नहीं पता कि इस लाइन यानी कॉमेडी की लाइन में मैं केसे आ गई, लेकिन अगर मैं कभी कुछ बनती तो स्पोर्ट्स में बनती. मैं नेशनल राइफल शूटर और तीरंदाज हूं. ये भी मैंने मजबूरी में सीखा था. जब मैं कॉलेज गई तो मैं स्कूल में एनसीसी करती थी. एक दिन एक मैडम ने कहा कि हमारे कॉलेज में आ जाओ. तो मैंने उनसे कहा कि नहीं, नहीं मैम. ये तो बड़े लोगों का कॉलेज है. अमीर लोगों की बेटियां पढ़ती हैं इसमें, मैं नहीं पढ़ पाऊंगी.
कॉमेडियन ने आगे कहा कि उन्होंने मुझसे कहा कि आप अपने सर्टिफिकेट लेकर आ जाओ, आपकी कोई फीस नहीं लगेगी. फ्री का नाम सुनकर मेरी आंखें खुली रह गईं. फिर मैं स्पोर्ट्स में और मेहनत करती थी, ताकि मेरी अगली क्लास भी फ्री हो जाए. इसके बाद मैं इतनी आगे निकल गई कि आर्चरी और राइफल मेरी लाइफ बन गए थे. मैंने कई प्रतियोगिता में भाग लिया, जहां मुझे काफी जीत मिलीं.