विनीत कुमार-गोपाल दत्त से सुनिए ज़ी थिएटर की सिरीज 'कोई बात चले' में मंटो और परसाई की कहानियां
ज़ी थिएटर की बदौलत वर्तमान पीढ़ी, अब ऐसी कालातीत कहानियों को सुन और देख पायेगी।"
ज़ी थिएटर लेकर आ रहा है बहु-प्रतिभाशाली सीमा पाहवा द्वारा निर्देशित छह कहानियों की सिरीज जिसे प्रतिष्ठित लेखकों ने लिखा है। । 'हर दिन नया ड्रामा' के वादे के तहत ज़ी थिएटर अब पेश कर रहा है हरिशंकर परसाई और मंटो की दो कहानियां जिन्हें गोपाल दत्त और विनीत कुमार दर्शकों तक पहुंचाएंगे।
गोपाल दत्त परसाई की कहानी 'एक फिल्म कथा', जो हिंदी सिनेमा पर एक व्यंग्य है और एक घिसी-पिटी प्रेम कहानी को दर्शाती है। विनीत कुमार मंटो की 'मम्माद भाई', एक रॉबिन हुड जैसे गैंगस्टर की कहानी है जिसे अपने खंजर और अपनी मूंछों पर बहुत गर्व है। एक दिन, परिस्थितियाँ उससे ये दोनों चीज़ें छीन लेती हैं और दर्शक सोचते रह जाते हैं कि क्या 'मम्माद भाई' फिर कभी पहले जैसे होंगे।
निर्देशिका सीमा पाहवा कहती हैं, "ज़ी थिएटर के साथ 'कोई बात चले' की ये अविश्वसनीय यात्रा बहुत सुखद रही है और ये दो कहानियाँ संकलन को बहुत अच्छे ढंग से समाप्त करती हैं। हरिशंकर परसाई और मंटो ने हमें समाज के विभिन्न पहलुओं को दिखाया और गोपाल एवम विनीत ने इन कहानियों को जीवंत किया है। मुझे यकीन है कि दर्शक वास्तव में इन कहानियों की छोटी-छोटी बारीकियों का आनंद लेंगे।"
एनएसडी के पूर्व छात्र और थिएटर उत्साही गोपाल दत्त, जो टीवी और ओटीटी पर भी अपनी धाक जमा चुके हैं का कहना हैं,'एक फिल्म कथा' में परसाई का हास्य मर्मज्ञ और प्रासंगिक है। मुझे इस कहानी को सुनाने में मज़ा आया क्योंकि इसने मुझे 80 के दशक की उन फ़िल्मों की याद दिलाई जिनका हमने बहुत सी खामियों के बावजूद भरपूर आनंद लिया।"
अभिनेता विनीत कुमार, जो एनएसडी के पूर्व छात्र हैं, और 'मसान' जैसी फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं ने कहा कि, "मम्माद भाई' के बारे में आकर्षक बात यह है कि मंटो ने इसे 1956 में मुंबई नोयर के लोकप्रिय होने से बहुत पहले लिखा था। ये 'भाई' एक गैंगस्टर है और आज के दौर में आपको हर शो में ऐसे ही किरदार नज़र आएंगे जो अपराधी होने के बावजूद बेहद आकर्षक भी है। इस कहानी को बताना वास्तव में मुझे मंत्रमुग्ध कर गया और मैं रोमांचित हूं कि ज़ी थिएटर की बदौलत वर्तमान पीढ़ी, अब ऐसी कालातीत कहानियों को सुन और देख पायेगी।"