‘दीवाना’ से ‘जवान’ तक, दिल्ली के एक आम लड़के की बॉलीवुड के बादशाह बनने की पूरी कहानी

बॉलीवुड के बादशाह बनने की पूरी कहानी

Update: 2023-09-07 09:50 GMT
शाहरुख खान की नई फिल्म जवान रिलीज हुई है. सोशल मीडिया पर इस फिल्म को मास्टरपीस कहा जा रहा है. फिल्म का ट्रेलर कमाल का था और ट्रेलर देखकर ही ट्रेड पंडित ये कयास लगाने लगे थे कि एक बार बॉलीवुड के बादशाह फिर से कमाल करने वाले हैं. शाहरुख खान की फिल्म पठान ने भी जबरदस्त कमाई की थी. कहते हैं कि शाहरुख खान को जैसी शोहरत मिली है वैसी शायद ही किसी को आगे मिले. एक दफा अनुपम खेर ने अपने शो में शाहरुख खान से सवाल किया था कि क्या आपको लगता है कि आपकी जगह कोई और लेगा या आगे कोई आपसे ज्यादा कामयाबी हासिल करेगा. जवाब में शाहरुख ने कहा था ऐसा नहीं होगा..सितारों में मैं आखिरी सितारा हूं.
शाहरुख खान की कामयाबी बहुत बड़ी है, लेकिन उससे भी बड़ा है उनका यहां तक पहुंचने का सफर. सुनने में आसान लगता है कि दिल्ली का लड़का मुंबई आया और छा गया. लेकिन यहां तक पहुंचने की कहानी में बहुत कुछ है. चलिए दिल्ली जहां कभी शाहरुख 15 साल के हुआ करते थे. शाहरुख खान 15 साल के थे जब पिता ताज मोहम्मद का इंतकाल हो गया था. उन्हें कैंसर था. परिवार पर आफत आ पड़ी और यहीं से शुरु हुआ रोमांस के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान का संघर्ष.
शाहरुख की कहानी में ये शहर शामिल
शाहरुख खान को अगर किसी को जानना हो तो वो पहले पाकिस्तान के पेशावर को जाने जहां से उनके पिता पैदल दिल्ली आए थे और खान अब्दुल गफ्फार खान के साथ मिलकर भारत की आजादी के लिए लड़े थे. शाहरुख खान के दादा सुभाष चन्द्र बोस की आर्मी में मेजर थे. शाहरुख खान की कहानी में पेशावर है, दिल्ली है और माया नगरी मुंबई के अलावा दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में शुमार स्वीटजरलैंड भी.
2 नवंबर 1965 को जन्मे शाहरुख के पिता और उनकी मां के मिलने का किस्सा भी फिल्मी है. दरअसल, ताज मोहम्मद इंडिया गेट पर अपने दोस्तों के साथ घूम रहे थे. तभी एक कार आई और डिवाइडर से टकरा गई. फातिमा बेहोश पड़ी थीं. ताज आगे आए और दोस्तों के साथ मिलकर उस लड़की को हॉस्पिटल ले गए. खून बहुत ज्यादा बह चुका था. उन्होंने खून भी दिया.
लड़की की सगाई मशहूर क्रिकेटर अब्बास अली बेग से हो चुकी थी. ये लड़की थी लतीफ फातिमा खान. एक्सीडेंट के बाद याददाश्त जा चुकी थी. ताज फातिमा को कॉलेज छोड़ने जाते, उनका पूरा ख्याल रखते. धीरे-धीरे उन्हें फातिमा से प्यार हो गया. फातिमा के पिता से शादी के लिए बात की तो उन्होंने कहा- मेरी छोटी बेटी से शादी कर लो. ताज ने कहा- मैं शादी फातिमा से ही करूंगा. ताज मोहम्मद के प्यार के आगे परिवार को हार माननी पड़ी और दोनों की शादी हो गई.
शाहरुख के पिता की चाय की दुकान
बहुत कम लोग ये जानते हैं कि शाहरुख के पिता ने मेवात से आम चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए. राजनीति से उनका मन भर गया. गांधी-नेहरु परिवार से ताज मोहम्मद की नजदीकी थी, लेकिन वो बड़े स्वाभिमानी आदमी थे. घर चलाने के लिए ताज मोहम्मद ने दिल्ली के रशियन कल्चर के सामने चाय की दुकान खोली. दुकान चल गई और फिर ताज मोहम्मद ने छोले भटूरे बनाना भी शुरू कर दिया. शाहरुख तब आठ साल के थे और वो भी कभी-कभी दुकान पर जाते थे. ताज मोहम्मद ने एनएसडी में कैंटीन भी चलाई. इस बीच मां फातिमा एक समाज सेवी संगठन में सोशल मजिस्ट्रेट की नौकरी करने लगीं.
बॉलीवुड के सरताज बन चुके एसआरके की हिन्दी बहुत कमजोर थी. मां ने एक बार कहा कि हिन्दी में अच्छे नंबर लाओगे तो फिल्म दिखाऊंगी. शाहरुख को उस साल सबसे ज्यादा नंबर हिन्दी में ही आए थे. लोग इस बात पर यकीन न करें, लेकिन ये सच है कि शाहरुख खान को आइसक्रीम खाना पसंद नहीं है. बॉलिवुड के बादशाह को घुड़सवारी का फोबिया है. 1994 में शाहरुख की फिल्म ‘कभी हां कभी ना’ रिलीज हुई थी. फिल्म के रिलीज के दिन शाहरुख ने एक थिएटर काउंटर पर बैठकर टिकट बेचा था. इस फिल्म के लिए उन्हें 25 हजार रुपये दिए गए थे. शाहरुख खान घोर अंधविश्वासी भी हैं. उनके गाड़ियों का नंबर अक्सर 555 होता है. वो मानते हैं कि अंकों का सही संयोग आपकी जिंदगी में कमाल कर सकता है. सोने से पहले शाहरुख आइरन किया हुआ पायजामा ही पहनते हैं, इसका कारण पूछे जाने पर उन्होंने एक बार मजाक में कहा था- क्या पता दोस्त, सपने में किससे मुलाकात हो जाए.
1980 में पिता की कैंसर से मौत हो गई और जब शाहरुख 26 की उम्र के हुए तो उनकी मां भी चल बसीं. शाहरुख खान की मां का ये मानना था कि उनका बेटा एक दिन बहुत बड़ा स्टार बनेगा. उनकी ये बात सच साबित हुई. लेकिन शाहरुख के शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचने से पहले ही वो इस दुनिया को अलविदा कह चुकी थीं. शाहरुख खान कई दफा इसका जिक्र कर चुके हैं. उन्हें इस बात का मलाल है कि उनके माता-पिता उनकी कामयाबी नहीं देख पाए. लेकिन साथ ही शाहरुख ये भी मानते हैं कि आसमान में दो तारे बनकर उनके अब्बू और अम्मी रोज उन्हें देखते होंगे. शाहरुख खान को जब भी अपने माता-पिता की याद आती है तो वो मन्नत की छत पर चले जाते हैं.
शाहरुख खान की पढ़ाई-लिखाई
शाहरुख खान की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के सेंट कोलंबिया स्कूल से हुई. स्कूल के दिनों से ही हॉकी, फुटबाल और क्रिकेट में काफी दिलचस्पी थी. शाहरुख को करीब से जानने वाले कहते हैं कि शाहरुख, बचपन में बहुत तेज भागते थे, इसलिए उनके दोस्त उन्हें ‘मेल एक्सप्रेस’ कहकर बुलाते थे. बॉलिवुड के बादशाह कहे जाने वाले शाहरुख खान ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से इकोनॉमिक्स में स्नातक किया है. शाहरुख खान ने जामिया में मास कम्युनिकेशन में पीजी के लिए दाखिला लिया था, लेकिन उन्होंने अपनी एक्टिंग करियर को आगे बढ़ाने के लिए बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. और बैरी जॉन से एक्टिंग सीखने लगे, जहां उनके दोस्त थे मनोज वाजपेयी.
लॉस एंजेलिस टाइम्स ने एक बार शाहरुख खान को दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टार कहा था. 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार शाहरुख खान दुनिया के दूसरे सबसे अमीर एक्टर थे. विदेशों में शाहरुख खान की दिवानगी ऐसी है कि कहा जाता है कि वो जब बर्लिन में होते हैं तो वहां का ट्रैफिक थम सा जाता है.
शाहरुख-गौरी की लव स्टोरी
शाहरुख ने गौरी से शादी की है. इन दोनों की लव स्टोरी भी दिलचस्प है. गौरी, पारंपरिक हिन्दू-पंजाबी परिवार से आती हैं. दोनों की पहली मुलाकात दिल्ली में ही हुई थी. शाहरुख, अक्सर गौरी को ‘गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा’ गाना गाकर चिढ़ाते थे. 13 साल तक शाहरुख ने गौरी को प्यार की बात नहीं बताई. और एक दिन अचानक से शाहरुख ने कहा- गौरी, मैं तुमसे ही शादी करूंगा. दोनों के रिश्तों के बारे में जब गौरी के परिवार को पता चला तो गौरी का घर से निकलना कम हो गया, लेकिन शाहरुख खान लगे रहे, अपने प्यार को पाने के लिए. शाहरुख, गौरी के भतीजों को थिएटर ले जाते, डिस्को ले जाते. इस तरह से उन्होंने गौरी के परिवार वालों को अपने पाले में किया.
शाहरुख को गौरी का दूसरे लड़कों से मिलना पसंद नहीं था. वो गौरी को कहा करते- मैं ये नहीं कहता कि तुम मेरे साथ बैठो, लेकिन दूसरों के साथ मैं तुम्हें देख नहीं सकता. शाहरुख गौरी के बाल खुले होने पर भी नाराज हो जाते, क्योंकि वो मानते थे कि खुले बालों में गौरी बेहद खूबसूरत लगती हैं और वो नहीं चाहते थे कि उनकी इस खूबसूरती को कोई और देखे. बहुत कम लोग ये जानते हैं कि शाहरुख पहली बार गौरी के लिए ही मुंबई आए थे. गौरी किसी रिश्तेदार के यहां मुंबई आई थीं. शाहरुख को पता था कि गौरी को समंदर देखना पसंद है, इसलिए वो हर शाम गौरी को मुंबई की बीचों पर ढूंढते और एक दिन गौरी बीच पर ही मिल गईं. शाहरुख को देख गौरी उनके गले लग फूट-फूट कर रोने लगी.
मां का सपना किया सच
टीवी से शुरुआत करने वाले शाहरुख खान, दिल दरिया, फौजी, सर्कस जैसे सीरियल्स के दम पर अपनी एक अलग ही पहचान बना ली थी. लेकिन जैसा कि उनकी मां कहा करती थीं कि मेरा बेटा एक दिन बड़ा स्टार बनेगा. उन्होंने अपना संघर्ष नहीं छोड़ा और बन गए रोमांस के किंग. शाहरुख खान पहली बार ‘दीवाना’ में बड़े परदे पर दिखे थे. दीवाना में दिव्या भारती और ऋषि कपूर थे. लेकिन शाहरुख खान सबकी नजरों में आ चुके थे. शाहरुख के फिल्मी करियर को नजदीक से जानने वालों का मानना है कि ‘डर’ और ‘बाजीगर’ उनके करियर की वो शुरुआती फिल्म थी जिसने ये बता दिया कि दिल्ली का ये लड़का आने वाले सालों में मुंबई पर राज करेगा. दरअसल, शाहरुख खान का एक जादू ये भी है कि जब आप उन्हें देखते हैं तो उनकी बनाई कायनात में चले जाते हैं जहां कोई दूसरा होता ही नहीं.
1995 में शाहरुख़ ख़ान निर्देशक-निर्माता प्रेम लालवानी की फ़िल्म ‘गुड्डू’ का हिस्सा बने थे. जिसके पैसे से उन्होंने मुंबई में अपना पहला फ्लैट लिया. 2001 में शाहरुख़ ने महज 13.32 करोड़ में बांद्रा के समुद्र किनारे वाला ‘विला वियना’ लिया जिसका नाम जन्नत रखा. इस घर में आने के बाद उनके सभी मन्नतें पूरी होने लगी तो उन्होंने घर का नाम बदलकर मन्नत रख दिया.
लड़कियों से शर्माते हैं शाहरुख
शाहरुख खान को रोमांस का किंग कहा जाता है. देवदास, वीर जारा, दिल तो पागल है, डीडीएलजी जैसी फिल्मों ने उन्हें भारत का नया सुपरस्टार बना दिया. 2006 में फरहान अख्तर ने डॉन की रीमेक बनाई और शाहरुख के एक्शन अवतार को लोगों ने खूब पसंद किया. माई नेम इज खान से उन्होंने अपनी एक्टिंग स्कील दिखाई तो मनीष शर्मा की फैन, आनंद एल राय की जीरो, राहुल ढोलकिया की रईस जैसी फिल्मों के जरिए उन्होंने एक्सपेरिमेंट कर दिखाया कि वो रिस्क लेने को तैयार हैं. शाहरुख खान की सबसे बड़ी फैन फॉलोइंग लड़कियों के बीच है. लेकिन बहुत कम लोगों को ये मालूम है कि किंग खान सबसे ज्यादा लड़कियों से ही शर्माते हैं. सोशल मीडिया पर हजारों वीडियो आपको दिख जाएंगे जिसमें ये दिखता है कि कैसे शाहरुख खान महिलाओं की इज्जत करते हैं. चाहे वो छोटा सितारा हो या कोई बड़ा, सब ये मानते हैं कि शाहरुख खान ट्रू जेंटलमैन हैं.
एक बार कपिल शर्मा ने अपने शो में कहा था कि मैं यूं ही किसी रिश्तेदार को मन्नत दिखाने गया था. गार्ड ने मुझे रोका नहीं और उसके बाद मैं अंदर चला गया. लेकिन शाहरुख खान ने जिस अंदाज में मेहमानवाजी की वो मैं कभी भूल नहीं सकता. दरअसल, शाहरुख खान अक्सर अपने मेहमान को गाड़ी के पास छोड़ने आते हैं और यहां तक कि कार का दरवाजा भी खोलते हैं. शाहरुख के इस जेस्चर को कई स्टार्स ने पब्लिक में कई बार दोहराया भी है.
शाहरुख खान की सबसे बड़ी खूबी ये है कि वो आंखों से बात करते हैं. ये बात तब की है जब सलमान और शाहरुख के बीच छत्तीस का आंकड़ा था. सलमान से किसी शो में पूछा गया. शाहरुख खान में आपको क्या अच्छा लगता है. सलमान का जवाब था. उसकी आंखे बहुत बोलती हैं. शाहरुख खान बड़ी आसानी से किसी साधारण किरदार को असाधरण बना देते हैं. फिल्म स्वदेस, चक दे इंडिया जैसी फिल्मों में उनकी आंखें सब कह देती हैं.
शाहरुख नाम का मतलब
शाहरुख खान बॉलीवुड की फिल्मों के लिए एक नया वैश्विक बाजार देने का भी नाम है. शाहरुख खान कोई एक्सीडेंटल स्टार नहीं है. मध्यम वर्ग से निकला एक लड़का है, जिसने अपना बचपन और अपनी जवानी किराये के घर में गुजारी. शाहरुख खान उस स्टारडम का नाम है जिसे बड़े ही करीने से सजाया गया है. दिल्ली का एक लड़का जिसकी नानी ने उसका नाम अब्दुर्र रहमान रखा था. लेकिन पिता ने शाहरुख नाम रख दिया. कहते हैं नाम का बहुत असर होता है. शाह का मतलब बादशाह और रुख माने चेहरा. पिता ने नाम रखा और देखिए शाहरुख, सच में बादशाह बन गए.
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