फ्लॉप पे फ्लॉप, न लाल सिंह चली न रक्षाबंधनPVR और INOX के क्यों छूटने लगे हैं पसीने
एक के बाद एक हर बॉलीवुड फिल्म फ्लॉप। न अक्षय कुमार (Akshya Kumar) चले न आमिर खान (Amir Khan)। सारा स्टारडम टांय-टांय फिस्स।
:एक के बाद एक हर बॉलीवुड फिल्म फ्लॉप। न अक्षय कुमार (Akshya Kumar) चले न आमिर खान (Amir Khan)। सारा स्टारडम टांय-टांय फिस्स। बड़े बजट वाली ज्यादातर फिल्मों का एक ही अंजाम हुआ। शमशेरा, सम्राट पृथ्वीराज से लाल सिंह चड्ढा, रक्षाबंधन तक सब ने मायूस किया। हिंदी फिल्मों के सिलसिलेवार पिटने से अब पीवीआर और आईनॉक्स जैसे मल्टीप्लेक्स के पसीने छूटने लगे हैं। इन दोनों कंपनियों के शेयर इसकी बानगी दे रहे हैं। पिछले एक महीने में पीवीआर का शेयर 14 फीसदी लुढ़का है। वहीं, इस दौरान आईनॉक्स ( INOX) के शेयरों में 15 फीसदी गिरावट आई है। बाजार हर हरकत पर बड़ी करीब से नजर रखता है। जरा सी भी ऊंच-नीच कंपनियों के शेयरों पर रिफ्लेक्ट होने लगती है। जब बड़ी फिल्में फ्लॉप होती हैं तो सिर्फ प्रोड्यूसर्स को नुकसान नहीं होता है, थियेटर भी इसकी कीमत चुकाते हैं। शेयर बाजार में लिस्ट दोनों सिनेमा चेन अपने प्रॉफिट को बढ़ाने के लिए थियेटर को खचाखच भरा देखना चाहते हैं। यह और बात है कि बीते कुछ समय में ज्यादातर बॉलीवुड फिल्में उनकी इस हसरत को पूरा करने में नाकाम रही हैं।बीते कुछ समय में एंटरटेनमेंट का खेल काफी बदला है। इसमें ओवर-द-टॉप यानी ओटीटी भी आ गए हैं। कोविड काल में लोगों को बेहतरीन और बेशुमार कंटेंट परोसकर इन्होंने हिंदी पट्टी के लोगों की लत बदल दी। अब वे औसत दर्जे कंटेंट पर फिजूल नहीं खर्च करना चाहते। उनकी अपेक्षाएं पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। भाषायी बाध्यता की दीवार भी टूट गई है। दूसरी भाषा के अच्छे कंटेंट से उन्हें परहेज नहीं रह गया है। केजीएफ, आरआरआर, पुष्पा जैसी दक्षिण भारतीय फिल्मों का हिट होना इसका सबूत है। यह टेस्ट में बदलाव को दिखाता है। अच्छा कंटेंट हो तो लोगों को डब फिल्में देखने से भी ऐतराज नहीं है। उन्होंने स्टारकास्ट को भी तवज्जो देना छोड़ दिया है। पहले फिल्म की सफलता के लिए सिर्फ अक्षय, शाहरुख, आमिर, सलमान जैसे नाम ही काफी हुआ करते थे। लेकिन, अब इसकी गारंटी नहीं रह गई है। हाल में आई कुछ फिल्में शायद लोगों की इन्हीं कसौटियों पर खरी नहीं उतरी हैहालांकि, एक के बाद एक फिल्म फ्लॉप होने के बाद अब सिनेमा चेन चलाने वालों की धुकधुकी बढ़ी गई है। यहां हम सिर्फ दो बड़ी लिस्टेड फर्मों का उदाहरण लेकर आपको समझाने की कोशिश करते हैं कि अब क्यों 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी किसी सुपरहिट फिल्म का इंतजार है। बीते एक महीने में पीवीआर के शेयरों में 13.98 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरह INOX लीजर का शेयर इस दौरान 14.88 फीसदी लुढ़का है।ऐसे में यह कहना गलत होगा कि बॉलीवुड फिल्मों के लिए मोहभंग होने से सिर्फ ऐक्टरों और प्रोड्यूसरों पर असर पड़ा है। इसका नुकसान मूवी थियेटर चलाने वाले भी उतना ही महसूस कर रहे हैं। कोरोना काल में लंबे समय तक बंद रहने के बाद वे सुपरहिट फिल्मों पर दांव लगा रहे हैं। यही फिल्में दर्शकों को थियेटरों तक खींचकर लाती है। इन्हीं से सिनेमाघरों का रेवेन्यू बढ़ता हैएक्सपर्ट्स इस बात में एक राय हैं कि सिर्फ फिल्मों की क्वालिटी ही लोगों का रुझान बदल सकती है। अप्रैल और जून के दौरान कई शानदार फिल्में आई जिन्होंने थियेटरों को भर दिया। थियेटरों का मार्च तिमाही का कारोबार शानदार रहा था। इनमें केजीएफ और आरआरआर जैसी दक्षिण भारतीय फिल्मों के अलावा कश्मीर फाइल्स और गंगूबाई काठियावाड़ी की भी अहम भूमिका थी। अच्छी सेल्स के बावजूद इन दोनों लिस्टेड चेन ने नुकसान दर्ज किया था।दोनों अब भी रिकवरी की राह पर हैं। इन्हें लाल सिंह चड्ढा, रक्षाबंधन और लिगर से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन, इन सभी ने मायूस किया। ट्रेंड देखने से पता चलता है कि बीते छह महीनों के दौरान बड़े बजट वाली तमाम फिल्में फिसड्डी साबित हुई हैं। फिर चाहे वह कंगना रनौत की धाकड़, अक्षय कुमार की बच्चन पांडे हो या प्रभास की राधे श्याम और आमिर की
न्यूज़ क्रेडिट : खुलासा इन