आर्टिकल 35A व 370 पर आधारित फिल्म राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित, यहां देखें पूरी फिल्म
जिसने राष्ट्रीय पुरस्कारों की जूरी के दिलों को भी छू लिया।
शुक्रवार को देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा कर दी गई है। इस बार विजेताओं में एक पुरस्कार आर्टिकल 35A व 370 के पीड़ितों के जीवन पर आधारित फिल्म को दिया गया। नॉन फीचर फिल्म्स की बेस्ट फिल्म सोशल इश्यू कैटेगरी में 'जस्टिस डिलेड पट डिलीवर्ड' (Justice Delayed But Delivered) फिल्म को चुना गया।
'जस्टिस डिलेड पट डिलीवर्ड' की कहानी
करीब 15 मिनट की अवधि की इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में आर्टिकल 35A व 370 के उन लाखों पीड़ितों के संघर्ष को दर्शाया गया है, जिनको स्वतंत्रता के 72 साल बाद समता व समानता के मूलभूत अधिकार मिले। जब देश की संसद में 5 अगस्त 2019 को संसद में आर्टिकल 370 व 35A को समाप्त किया गया। फिल्म एक दलित लड़की राधिका गिल की कहानी से शुरू होती है, कैसे वाल्मिकी समाज से जुड़ी ये होनहार लड़की जम्मू कश्मीर में नौकरी करने व उच्च शिक्षा से वंचित थी। कैसे 5 अगस्त 2019 से पहले एक सफाई कर्मी के बच्चे को सिर्फ सफाई करने वाले की नौकरी करने का ही अधिकार व अवसर मिलता था। कारण था भारत के संविधान का आर्टिकल 35A व आर्टिकल 370 कानून।
लेकिन 5 अगस्त 2019 के बाद न सिर्फ राधिका गिल को बराबरी का अधिकार मिला, बल्कि जम्मू कश्मीर की आधी आबादी को भी पुरूषों के समान बराबरी का अधिकार मिला। इसी को दर्शाते हुए फिल्म में एक पीआरसी होल्डर रश्मि शर्मा की कहानी भी शामिल की गयी है। रश्मि शर्मा ने एक नॉन-पीआरसी होल्डर यानि जम्मू कश्मीर से बाहर के पुरूष से शादी ली, तो उनके पति व बच्चों को जम्मू कश्मीर में परमानेंट रेजीडेंट सर्टिफिकेट (पीआरसी) नहीं मिल पाया। वजह थी, आर्टिकल 35A। Justice Delayed But Delivered फिल्म में इस ज्वलंत विषय को बेहद संवेदनशीलता से उठाया गया है। जिसने राष्ट्रीय पुरस्कारों की जूरी के दिलों को भी छू लिया।