डेढ़ साल बाद काम पर लौटी ईशा सिंह, बताया अनुभव कैसा रहा?

कोई दूसरा मेरी तरह नहीं बन सकता है, न मैं किसी और की तरह बन सकती हूं।

Update: 2021-11-27 11:20 GMT
Click the Play button to listen to article

'इश्क का रंग सफेद', 'एक था राजा एक थी रानी' जैसे कई शो कर चुकीं अभिनेत्री ईशा सिंह कलर्स चैनल के शो 'सिर्फ तुम' में अभिनय कर रही हैं। इस शो में वह एक सहमी हुई लड़की के किरदार में हैं। ईशा ने अपने किरदार और अपने करियर को लेकर खास बातचीत की...

डेढ़ साल बाद काम पर लौटने का अनुभव कैसा रहा?
जब हम काम कर रहे होते हैं, तब ये चीजें दिमाग में नहीं आती हैं, लेकिन जैसे ही वह शो चैनल पर शुरू हो जाता है, तब घबराहट होती है। महामारी के बाद काम पर लौटना आसान नहीं था। काम करने का पूरा तरीका बदला हुआ है। सारे प्रोटोकाल्स फॉलो करते हुए काम हो रहा है। यही न्यू नॉर्मल है।
इस मुश्किल दौर से निकलने के बाद किन चीजों को गंभीरता से नहीं लेती हैं?
जीवन बहुत छोटा है। अगले पल क्या होगा, किसी को नहीं पता है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मैंने बहुत करीबी लोगों को दुनिया से जाते हुए देखा, जिसने मुझे बहुत डरा दिया था। हर कोई कोशिश कर रहा था कि माहौल सामान्य हो, लेकिन वे चीजें हमारे कंट्रोल से बाहर थीं। पूरी जिंदगी हम कल संवारने के चक्कर में आज जीना भूल जाते हैं। मैंने यही सीखा कि जहां हो, जिनके साथ हो, उनके साथ उस पल को जियो। अपने करीबियों को गले से लगाकर रखो। अब भी हम पूरी तरह से इस महामारी से बाहर नहीं निकले हैं।
आपने कम उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। अब आप 22 साल की हैं। कहा जाता है कि आज की पीढ़ी में इनसिक्योरिटी नहीं होती है, आत्मविश्वास बहुत ज्यादा होता है। आपका क्या मानना है?
मैं अपनी बात कहूं तो मुझे लगता है कि मैं बहुत ओल्ड हूं और पुराने विचारों की हूं। अलग वक्त में पैदा हो गई हूं। मैं बिल्कुल इनसिक्योर नहीं हूं। मुझमें कान्फिडेंस है, ओवरकान्फिडेंस में मैं यकीन नहीं रखती हूं। मेरे माता-पिता ने हमेशा यही सिखाया है कि अपने दिल की सुनो। अगर मेरा दिल किसी काम को करने के लिए हां कहता है। फिर चाहे वे पर्सनल रिश्ते हों या मेरे पेशे से जुड़ी कोई बात हो, मैं अपने दिल की सुनती हूं। आज की पीढ़ी वाकई में इनसिक्योर नहीं है, उनमें आत्मविश्वास है। हालांकि मुझे लगता है कि वे दो वर्गों में बंटे हुए हैं या तो वे बहुत इनसिक्योर हैं या बिल्कुल नहीं हैं। इंटरनेट मीडिया पर दूसरों की पोस्ट देखकर भी कई बार लोग इनसिक्योर हो जाते हैं। एक बहुत ही हल्की सी लाइन है, उसके बीच अंतर करना आना चाहिए कि मैं कान्फिडेंट हूं। मैं जो हूं, वही रहूंगी। कोई दूसरा मेरी तरह नहीं बन सकता है, न मैं किसी और की तरह बन सकती हूं।


Tags:    

Similar News

-->