कंगना रनौत के पासपोर्ट आवेदन में मिली खामियां
कंगना रनौत के पासपोर्ट केस में गेंद पासपोर्ट कार्यालाय की कोर्ट में चली गई है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कंगना रनौत के पासपोर्ट केस में गेंद पासपोर्ट कार्यालाय की कोर्ट में चली गई है. ये खबर कल सबसे पहले टीवी9 भारतवर्ष ने ब्रेक की थी. मुंबई के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ) ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि कंगना रनौत को पासपोर्ट रिन्यू कराने के लिये दिये गए आवेदन में कुछ आवश्यक सुधार करने हैं, जिसके बाद इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाएगा.
आरपीओ की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-देरे की पीठ को बताया कि कंगना ने मुंबई के पासपोर्ट कार्यालय में जो आवेदन दाखिल किया था, उसमें तथ्यात्मक खामियां हैं. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिये उनके आवेदन में कहा गया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. हालांकि उनके खिलाफ केवल प्राथमिकी दर्ज की गई है और आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं हुई है.
पासपोर्ट अथॉरिटी के वकील ने अदालत से कहा कि यदि रनौत के वकील रिजवान सिद्दीकी अदालत के सामने यह स्पष्ट कर देते हैं और अभिनेत्री अपनी अर्जी में आवश्यक सुधार कर देती हैं तो पासपोर्ट कार्यालय उनके आवेदन पर विचार करके प्रक्रिया के अनुसार तेजी से निर्णय लेगा. अदालत ने उनकी इस टिप्पणी को स्वीकार कर लिया.
जिसके बाद माना जा रहा है कि कंगना के पासपोर्ट को रिन्यू करने की प्रकिया में अब तेजी आएगी. हालांकि पासपोर्ट रिन्यू करने की प्रकिया में कभी-कभी पुलिस की रिपोर्ट भी लगती है. मुंबई पुलिस से कंगना का जो पंगा चल रहा है उसे देखते हुए वो उनके खिलाफ रिपोर्ट पासपोर्ट कार्यालय को दे सकती है. लेकिन कई बार अथॉरिटी बिना रिपोर्ट के भी पासपोर्ट रिन्यू कर सकती है. ये पूरा अधिकार अधिकारी के विवेक पर आधारित होता है.
ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कंगना को रिन्यू करके पासपोर्ट मिलता है या नहीं. कंगना को बॉम्बे हाईकोर्ट की शरण तब लेनी पड़ी थी जब अथॉरिटी ने उनके पासपोर्ट को ये कहते हुए रिन्यू करने से इनकार कर दिया था कि उनके खिलाफ देश के विभिन्न शहरों में कई केस चल रहे हैं. जिनमें मुंबई में दर्ज देशद्रोह के केस में पुलिस की जांच भी जारी है.
कंगना के खिलाफ एक कॉपीराइट केस को भी इसमें शामिल कर लिया गया था. जिसे रद्द करने के लिए उनके वकील रिजवान सिद्दीकी ने कोर्स से कहा था कि वो इस केस को रद्द करने उनकी याचिका पर विचार करें क्योंकि इस केस में कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं हुआ है.