डॉक्टर का खुलासा: दिलीप कुमार के निधन के बाद सायरा बानो का पहला रिएक्शन, खबर सुनते ही पहला शब्द था ये
98 साल के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) बुधवार को इस दुनिया से रुखसत हो गए. उनका जाना हम सब के लिए कला जगत की एक ऐसी कमी है जिसे भरने के बारे में नहीं, बल्कि इस अध्याय से सिर्फ सीखने के बारे में सोचा जाएगा. लेकिन इस पूरे समय साये की तरह दिलीप साहब के साथ चलती रहीं उनकी पत्नी सायरा बानो (Saira Banu) को इस घटना ने पूरी तरह अकेले कर दिया है. सायरा बानो पिछले 56 सालों से दिलीप साहब के सामने उनकी ढाल बनकर खड़ी थी. लेकिन जैसे ही डॉक्टर ने उनके सामने दिलीप साहब के निधन की बात कही, सायरा के लिए जैसे दुनिया ही बदल गई.
बुधवार सुबह 7.30 बजे दिलीप कुमार ने मुंबई के हिंदूजा अस्पताल में आखिरी सांस ली. दिलीप कुमार लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्हें सांस लेने में दिक्कत के चलते 29 जून को एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दिलीप साहब का इलाज कर रहे थे डॉक्टर जलील पारकर. वेब पोर्टल पीपिंग मून ने डॉक्टर जलील पारकर के हवाले से रिपोर्ट दी है कि जब पहली बार सायरा बानो जी को दिलीप साहब के निधन की खबर पता चली तो उनके मुंह से निकले, 'अल्लाह ने मेरे जीने का सहारा छीन लिया. साब के बिना मैं किसी चीज के बारे में सोच नहीं पा रही हूं. सब उनके लिए दुआ करो...'
दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र भी सायरा बानो की भावुक हालत को ट्वीटर पर बयां कर चुके हैं. धर्मेंद्र ने बुधवार देर रात ट्विटर पर एक तस्वीर साझा की है, जिसमें वह दिलीप साहब के पार्थिव शरीर को अपने हाथों में लेकर बेहद भावुक नजर आ रहे हैं. इस तस्वीर को साझा करते हुए उन्होंने लिखा, 'सायरा ने जब कहा, 'धर्मेंद्र, देखो साहब ने पलक झपकाई है...' दोस्तों, जान निकल गई मेरी. मालिक मेरे प्यारे भाई को जन्नत नसीब करे.'
बुधवार शाम 4.30 बजे जुहू के कब्रिस्तान में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी. उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदा किया गया. दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद युसूफ खान (Mohammed Yusuf Khan) था. उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 (Dilip Kumar (1922 - 2021)) को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. दिलीप कुमार ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से की थी. वह लगभग 5 दशक तक पर्दे पर नजर आए और उन्होंने 65 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. दिलीप कुमार अंदाज (1949), आन (1952), दाग (1952), देवदास (1955), आजाद (1955), Mughal-e-Azam (1960), गंगा जमुना (1961), राम और शाम (1967) जैसी फिल्मों में नजर आए.