दिव्या भारती ने साल 1990 में अपने अभिनय के करियर की शुरुआत की थी, लेकिन महज तीन साल में ही सब कुछ पूरी तरह से बदल गया, बात साल साल 1993 की है, जब यह साल उनकी जिंदगी का आखिरी साल बना गया। 1993 में दिव्या की सिर्फ तीन ही हिंदी फिल्में क्षत्रिय, रंग और शतरंज रिलीज हुई थीं। दिव्या भारती ने अपनी इस छोटी सी जिंदगी में सफल करियर और शादीशुदा जिंदगी भी जी थी। उन्होंने निर्देशक-निर्माता साजिद नाडियाडवाला से शादी की थी।
दिव्या भारती और साजिद नाडियाडवाला की मुलाकात गोविंदा की फिल्म शोला और शबनम के सेट पर हुई थी और इसके बाद दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। 10 मई 1992 को इस कपल ने शादी कर ली थी। साजिद से शादी करने के लिए दिव्या ने इस्लाम धर्म भी कबूला था और उनकी आकस्मिक बाद साजिद पर भी सवाल उठाए गए थे। दिव्या की अचानक मौत के पीछे कई तरह की चर्चाएं हुईं, कुछ लोगों ने इसे आत्महत्या तो किसी ने इसे हत्या करार दिया। फिलहाल कई सालों तक जांच करने के बाद भी जब पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई तो 1998 में केस बंद कर दिया गया। लेकिन क्या हुआ था आखिर दिव्या का मौत से पहले?
कहा जाता है कि दिव्या भारती अपनी मौत से पहले काफी खुश थीं, क्योंकि खबरों की मानें तो उन्होंने उस दिन एक अपने लिए फोर बीएचके अपार्टमेंट की डील फाइनल की थी। कहा जाता है कि दिव्या ने इस खुशखबरी के बारे में अपने भाई कुणाल को भी बताया था। उस दिन चेन्नई से अपनी शूटिंग खत्म करते दिव्या वापस अपने घर लौटी थीं। कहा जाता है कि उस समय उनके पैर में चोट भी लगी हुई थी। घटना वाले समय रात के करीब 10 बजे मुंबई के पश्चिम अंधेरी, वरसोवा स्थित तुलसी अपार्टमेंट के पांचवें माले पर दिव्या अपनी दोस्त और डिजाइनर नीता लुल्ला और उनके पति के साथ थीं। तीनों लिविंग रूम में बैठकर बातें कर रहे थे और बताया जाता है कि इस दौरान वह ड्रिंक भी कर रहे थे।
उस समय वहां पर इन तीनों के अलावा दिव्या की नौकरानी अमृता भी घर में मौजूद थीं। बातें करते-करते रात के करीब 11 बजे अमृता किचन में कुछ काम करने गईं और उस समय नीता अपने पति के साथ टीवी देख रही थीं। उसी वक्त दिव्या भारती कमरे की खिड़की की तरफ गईं और वहां से ही वह तेज आवाज में अपनी नौकरानी से बातें करने लगीं। दिव्या के लिविंग रूम में कोई बालकनी नहीं थी, लेकिन इकलौती ऐसी खिड़की थी, जिसमें कोई ग्रिल नहीं लगी थी। यह खिड़की पूरी तरह से खुली हुई थी, इसके नीचे पार्किंग की जगह थी, जहां अक्सर कई गाड़ियां खड़ी होती थीं। हालांकि उस दिन वहां कोई गाड़ी नहीं खड़ी थी।
दिव्या भारती खिड़की पर खड़ी होकर मुड़कर सही से खड़े होने की कोशिश कर रही थीं, कहा जाता है कि तभी अचानक उनका पैर फिसल गया और दिव्या सीधे नीचे जमीन पर जाकर गिरीं। पांचवें माले से गिरने के कारण दिव्या पूरी तरह खून में लथपथ हो गईं थीं। उन्हें तुरंत ही कूपर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में दिव्या ने अपनी आखिरी सांसें लीं। हालांकि आज तक नहीं पता चला कि आखिर उनकी मौत हत्या थी, आत्महत्या या महज एक दुर्घटना। आज भले ही दिव्या हमारे बीच न हों लेकिन वह सभी के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी।