दिलीप कुमार पर्दे पर ही नहीं असल जिंदगी में भी 'किसान' थे, जाने एक्टर के जिंदगी से जुडी कुछ महत्पूर्ण बाते
हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार अब नहीं रहे. दिलीप कुमार अपने सिनेमा में एक महान लेगेसी छोड़कर चले गए.
हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार अब नहीं रहे. दिलीप कुमार अपने सिनेमा में एक महान लेगेसी छोड़कर चले गए. उन्हें उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के लिए हमेशा याद रखा जाएगा, जिसकी लिस्ट काफी लंबी है. दिलीप कुमार की फिल्मों, उनके किरदारों के बारे में तो बहुत जानते हैं. दिलीप कुमार कुमार की फिल्मों की खास बात ये थी उन्होंने पहली फिल्म ज्वार भाटा से लेकर आखिरी फिल्म किला तक हर वर्ग के व्यक्ति का किरदार निभाया था.
वैसे, जिन फिल्मों से उन्हें खास पहचान मिली, उनमें उन्होंने एक ग्रामीण व्यक्ति का किरदार निभाया था, जो खेती किसानी से जुड़ा रहा. फिल्म मेला हो या नया दौर, गंगा जमुना या सगीना महातो, इन फिल्मों में दिलीप कुमार ने एक ग्रामीण की भूमिका निभाई है. लेकिन, सिर्फ पर्दे पर ही नहीं, बल्कि असल जिंदगी में भी उनका जीवन कुछ ऐसा है रही है. जी हां, महान एक्टर दिलीप कुमार एक वक्त खेती-किसानी से भी जुड़े काम भी करते थे.
उनका नाम फलों का कारोबार करने वाले परिवार से जुड़ा था और इतना ही नहीं उन्होंने खुद भी लंबे समय तक फल बेचने का काम किया था. जानते हैं दिलीप कुमार की जिंदगी का ये अनसुना तथ्य, जो बताता है कि दिलीप कुमार ने फिल्म जगत में ही नहीं, बल्कि कृषि के क्षेत्र में भी शानदार काम किया था….
दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान के पेशावर शहर में हुआ था. उनके पिता लाला गुलाम सरवर खान फलों के व्यापारी थे. उसके बाद उनका परिवार मुंबई आ गया था और उन्होंने मुंबई में भी फलों का ही काम किया था. वे मुंबई में फलों के बड़े कारोबारी के रूप में जाने जाते थे. इस वजह से दिलीप कुमार भी पिता के व्यापार में हाथ बंटाते थे और फलों का कारोबार करते थे. बीबीसी एक रिपोर्ट के अनुसार, एक दिन किसी बात पर पिता से कहा सुनी हो गई तो दिलीप कुमार पुणे चले गए.
रिपोर्ट के अनुसार, अंग्रेजी जानने के चलते उन्हें पुणे के ब्रिटिश आर्मी के कैंटीन में असिस्टेंट की नौकरी मिल गई. हालांकि, कुछ दिन बाद वो फिर मुंबई लौटे और उन्होंने अपने पिता के साथ ही काम किया. ऐसा नहीं है कि दिलीप कुमार फलों के कारोबार में फ्लॉप हुए, वो फिल्मी जगत की तरह यहां भी सफल रहे. बीबीसी की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि उनके पिता ने नैनीताल जाकर सेव का बगीचा खरीदने का काम सौंपा था और दिलीप कुमार ने सिर्फ एक रुपये का अग्रिम भुगतान पर यह समझौता कर दिया था.
इसके बाद उन्होंने फिल्मों की तरफ रूख किया और साल 1944 में फिल्म ज्वार भाटा में उन्हें काम मिला. इसके बाद कई फिल्मों की असफलताओं के बाद 1947 में आई फिल्म जुगनू से दिलीप कुमार की हिट फिल्मों का शुरुआत हुई. इसके बाद तो हिट फिल्मों की लिस्ट में कई नाम जुड़ते गए और इन फिल्मों ने दिलीप कुमार को बॉलीवुड का महान एक्टर बना दिया.