पिता की पिटाई के डर से यूसुफ खान से बने दिलीप कुमार, ''ट्रेजेडी किंग'' की पहली पुण्यतिथि पर जानें कुछ अनसुने किस्से

जो दिल करे तय कर लीजिए। फिर दो तीन महीनों के बाद मैंने अपना खबरों में देखा तो मुझे पता चला कि मेरा नाम दिलीप कुमार है।

Update: 2022-07-08 03:27 GMT

हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वह इंडस्ट्री के बेहतरीन एक्टर्स में से एक थे। मुगल-ए-आज़म अभिनेता ने 07 जुलाई, 2021 को 98 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। और, आज उनकी पहली पुण्यतिथि है। इस मौके पर फैंस एक बार फिर भावुक नजर आ रहे हैं और उनसे जुड़े किस्सों को याद कर रहे हैं। तो आइए आज ट्रेजेडी किंग की पहली पुण्यतिथि पर जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़े कुछ अनसुने किस्से...



दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर, 1922 को पेशावर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उनका बचपन का नाम मोहम्मद यूसुफ खान था, लेकिन इंडस्ट्री में वह दिलीप कुमार के नाम से मशहूर हुए। वह फल व्यापारी लाला गुलाम सरवर के 12 बच्चों में से एक थे।




दिलीप कुमार उर्दू, हिंदी, पंजाबी, अवधी, भोजपुरी, मराठी, बंगाली और अंग्रेजी जैसी भाषाएं जानते थे।

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1942 में दिलीप कुमार की उर्दू में पकड़ ने उन्हें बॉम्बे टॉकीज़ में स्क्रिप्ट राइटर की नौकरी दिला दी थी। उस वक्त उन्हें 1,250 रुपये का महीना मिलता था। दिलीप कुमार का सैंडविच स्टॉल का बिजनेस भी था। उन्होंने अपने पिता के साथ बहस के बाद और एक बात साबित करने के लिए इसे शुरू किया। घर वापस जाने से पहले उन्होंने अपने इस बिजनेस से 5,000 रुपये बचाए थे।


जबकि दिलीप साहब ने 'दिलीप कुमार' को केवल अपने मंच के नाम के रूप में इस्तेमाल किया, बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि उन्होंने यूसुफ खान से दिलीप कुमार अपना नाम क्यों बदल दिया। इसके पीछे एक कहानी है और इस कहानी को खुद दिलीप कुमार ने एक इंटरव्यू के दौरान सभी के साथ शेयर किया था।1970 में एक इंटरव्यू के दौरान दिलीप कुमार ने बताया था कि उन्होंने पिता की पिटाई के डर से ये नाम रखा। मेरे वालिद फिल्मों के सख्त खिलाफ थे, लाला बशेशरनाथ जिनके बेटे पृथ्वीराज कपूर भी फिल्मों में काम किया करते थे ।


मेरे पिता बशेशरनाथ से अक्सर शिकायत किया करते थे कि तुमने ये क्या कर रखा है कि तुम्हारा बेटा देखो क्या काम करता है। तो मैं जब फिल्मों में आया तो मुझे पिताजी की वो शिकायत अच्छे से याद थी। मैंने सोचा कि अगर उन्हें मालूम चलेगा तो बहुत नाराज़ होंगे। उस वक्त मेरे सामने 2-3 नाम रखे गए। यूसुफ खान, दिलीप कुमार और वासुदेव नाम की च्वाइज रखी गई। जिस पर मैने कहा यूसुफ खान मत रखिए बाकि जो दिल करे तय कर लीजिए। फिर दो तीन महीनों के बाद मैंने अपना खबरों में देखा तो मुझे पता चला कि मेरा नाम दिलीप कुमार है।


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