अरब की प्रचलित नृत्य शैली बेली डांस, भारत में मचा रही है धूम...

Update: 2022-09-17 13:43 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  अंग प्रदर्शन को समर्पित एक नृत्य, जिसमें नर्तकी का हर अंग थिरकता है जिसे बेली डांस कहते है, अरब की प्रचलित नृत्य भारत में धूम मचा रही है दिल्ली, मुंबई, पुणे, रायपुर, हैदराबाद में जारो-शोरो से इस नृत्य का बोल बाला हो रहा है, हर शनिवार-रविवार होटलों में इसका कार्यक्रम आजोजित किया जाता है और युवाओं में इस तरह के नृत्य का प्रचलन अब बढ़ते जा रहा है। छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश-विदेश में इस नृत्य का जादू चलने लगा है। और हिंदी सिनेमा के कई गानों में भी इस नृत्य को प्रदर्शित किया जाता है।

बैले एक तरह का प्रदर्शन नृत्य है जिसकी उत्पत्ति 15वीं शताब्दी में इतालवी नवजागरण न्यायालयों में हुई और आगे चलकर फ्रांस, इंग्लैंड और रूस में इसे एक समारोह नृत्य शैली के तौर पर और अधिक विकसित किया गया। इसकी शुरुआत रंगमंचों से पहले हुई और इन्हें बड़े कक्षों में प्रदर्शित किया जाता था जहां ज्यादातर दर्शक, पंक्तियों अथवा दीर्घाओं में डांस फ्लोर के तीनों ओर बैठे होते थे।

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इसके बाद से यह स्वयं की शब्दावली वाली बेहद तकनीकी नृत्य शैली बन गई। मुख्य तौर पर इसे शास्त्रीय संगीत के साथ ही प्रदर्शित किया जाता है और एक नृत्य के रूप में यह पूरे विश्व में काफी प्रभावशाली है। पूरे विश्व के बैले स्कूलों में बैले नृत्य सिखाया जाता है जहां लोग अपनी संस्कृति और समाज के माध्यम से इस कला के बारे में बताते हैं।

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बैले नृत्य प्रशिक्षित कलाकारों द्वारा कोरियोग्राफ और प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें मसखरी और अभिनय करना भी शामिल है और जो संगीत पर तैयार होता है (आमतौर पर ऑर्केसट्रा के संगीत पर लेकिन कभी-कभार मौखिक भी होता है). यह एक संतुलित शैली का नृत्य है जिसमें कई दूसरी नृत्य शैलियों की आधारभूत तकनीकें भी शामिल होती हैं।

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नृत्य की इस शैली में महारथ हासिल करना बहुत मुश्किल है और इसके लिए काफी अभ्यास की आवश्यकता है। यह मुख्य रूप से लेट रोमांटिक बैले या बैले ब्लांस के रूप में लोकप्रिय है, जिसमें कि लगभग सभी को छोड़कर पूर्णरूप से महिला नर्तकियों का ही बोलबाला होता है, स्पष्ट काम, लहराना, सटीक एक्रोबैटिक मूवमेंट्स पर केंद्रित होता है और अक्सर नर्तकियों को पारंपरिक सफेद फ्रेंच परिधान में पेश किया जाता है। बाद में इस नृत्य शैली में कुछ और विकास हुआ जिनमें एक्सप्रेशनिस्ट बैले, नियोक्लासिकल बैले और आधुनिक नृत्य के तत्त्व शामिल हैं।

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