क्रिकेटरों ने किया स्वीकार , बायो-बबल की पेचीदगियों के कारण उनके प्रदर्शन के अलावा मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा है असर

भारत समेत दुनियाभर के खिलाड़ी जिस बायो-बबल (कोरोना से बचाव के लिए खिलाड़ियों के लिए बनाए गए सुरक्षित माहौल) कठिनाइयों का सामना किया था

Update: 2021-11-14 10:11 GMT

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क |      भारत समेत दुनियाभर के खिलाड़ी जिस बायो-बबल (कोरोना से बचाव के लिए खिलाड़ियों के लिए बनाए गए सुरक्षित माहौल) कठिनाइयों का सामना किया था, उससे अब निजात मिल सकती है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आइसीसी भी इस पर बड़ा फैसला जल्द ले सकती है, क्योंकि तमाम क्रिकेटरों ने इस बात को स्वीकार किया है कि बायो-बबल की पेचीदगियों के कारण उनके प्रदर्शन के अलावा मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है।

वहीं, अगर ताजा रिपोर्ट्स की मानें तो क्रिकेट से बायो-बबल हट सकता है और आइसीसी प्रीमियर लीग मोडल को अपना सकती है। आइसीसी चीफ एग्जक्यूटिव कमेटी की एक बैठक बीते 12 नवंबर को हुई थी, जिसमें ज्यादातर सदस्यों ने पाया था कि बायो-बबल मोडल ज्यादा समय के लिए नहीं रखा जा सकता। इसके अलावा करीबी सूत्रों ने बताया है कि प्रीमियर लीग मोडल के तहत सिर्फ उस खिलाड़ी या सदस्य (संपर्क में आने वालों के नहीं) को क्वारंटाइन या आइसोलेट किया जाएगा, जो कि कोरोना संक्रमित है।
आइसीसी से जुड़े एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "प्रीमियर लीग में, वे करीबी संपर्क में आने वाले शख्स को भी आइसोलेशन में नहीं भेजते हैं। सिर्फ कोविड परीक्षण में पाजिटिव पाए जाने वाले खिलाड़ी ही क्वारंटाइन में जाते हैं।" बायो-बबल के कारण खिलाड़ियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के अलावा प्रदर्शन पर भी असर पड़ रहा है। भारतीय खिलाड़ियों ने ये बात डंके की चोट पर कबूल की है।
यहां तक कि टी20 विश्व कप तक टीम इंडिया के मुख्य कोच रहे रवि शास्त्री ने स्वीकार किया है कि बायो-बबल में सर डान ब्रैडमैन का भी औसत गिर सकता है। कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद से बायो-बबल का कान्सेप्ट खेल की दुनिया में देखने को मिला था। बायो-बबल में क्रिकेट में सबसे पहले वेस्टइंडीज की टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया था। इसके बाद से लगभग हर देश ने इसे अपनाया था।


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