छिछोरे को मिला बेस्ट हिंदी फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड, मेकर्स ने किया सुशांत को डेडिकेट, बहन श्वेता ने कही ये बात
सुशांत सिंह राजपूत भले ही इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं, लेकिन
सुशांत सिंह राजपूत भले ही इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी फैंस और उनके परिवार के दिलों में बसी हुई है. फिलहाल सुशांत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति (Shweta Singh Kirti) काफी गर्व महसूस कर रही हैं. दरअसल, हाल ही में सुशांत की फिल्म छिछोरे (Chhichore) को बेस्ट हिंदी फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड (National Award) मिला है. फिल्म के मेकर्स, डायरेक्टर नितेश तिवारी (Nitesh Tiwari) और प्रोड्यूसर साजिद नाडियाडवाला (Sajid Nadiadwala) ने ये अवॉर्ड सुशांत को डेडिकेट किया है.
श्वेता ने इसके लिए सोशल मीडिया पर स्पेशल पोस्ट किया है और अपनी खुशी जाहिर की है. उन्होंने सुशांत की पुरानी फोटो शेयर की है जो फिल्म छिछोरे की है. इस फोटो में सुशांत के साथ फिल्म के मेकर्स और श्रद्धा कपूर साथ नजर आ रहे हैं.
फोटो शेयर करते हुए श्वेता ने लिखा, 'भाई आज इस प्राइड मोमेंट को हम सबके साथ शेयर कर रहे हैं. वह हम सबके साथ मौजूद हैं. आज मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया है ये देखकर की नेशनल अवॉर्ड को भाई को डोडेकिटे किया गया है. शुक्रिया और बधाई फिल्म छिछोरे की पूरी टीम को.'
यहां देखें श्वेता का पोस्ट see shweta post here
वैसे ना सिर्फ सुशांत का परिवार बल्कि उनके सभी फैंस भी इससे काफी खुश हैं. सोशल मीडिया पर सभी अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं.
बता दें कि नितेश तिवारी और साजिद नाडियाडवाला 25 अक्टूबर को दिल्ली में नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी में शामिल हुए थे. इस दौरान नितेश ने सुशांत को याद करते हुए नेशनल अवॉर्ड, एक्टर को डेडिकेट किया. उन्होंने कहा, 'सुशांत इस फिल्म का अहम हिस्सा थे और हमेशा रहेंगे. हम सभी को काफी गर्व है. मुझे उम्मीद है कि वह जहां भी होंगे गर्व ही महसूस कर रहे होंगे.'
वहीं साजिद ने कहा, 'हम ये अवॉर्ड सुशांत को डेडिकेट करना चाहते हैं.'
फिल्म छिछोरे
बता दें कि छिछोरे को डायरेक्टर नितेश तिवारी ने डायरेक्ट किया था और इसके साथ ही उन्होंने पीयूष गुप्ता और निखिल मल्होत्रा के साथ इसे लिखा था. फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर, वरुण शर्मा, ताहिर राज भसीन, नवीन पोलीशेट्टी, तुषार पांडे और सहर्ष कुमार शुक्ला लीड रोल में थे. फिल्म की कहानी कुछ स्टूडेंट्स की थी जो इंजनीयरिंग कॉलेज में पढ़ते थे और वहां उनकी दोस्ती हुई. इस फिल्म के जरिए इस सब्जेक्ट को भी हाइलाइट किया गया है कि कैसे कॉम्पटेटिव एग्जाम्स के प्रेशर से बच्चे जूझते हैं. साथ ही बच्चों और पेरेंट्स के रिश्ते के बारे में भी बताया गया है.