Birth Anniversary : शैलेंद्र ने दिलीप कुमार की 'दाग' का ये मशहूर गीत माचिस की तीलियों से लिख डाला था, जाने बातें

Shailendra Birth Anniversary : आज दिग्गज गीतकार, कवि और फिल्म निर्माता शैलेंद्र की 98वीं जयंती है. आज शैलेंद्र साहब की जयंती के मौके पर हम आपको बताएंगे कि वो कौनसा मशहूर गीत है, जिसे गीतकार को माचिस की तीलियों से लिखना पड़ा और क्यों?

Update: 2021-08-30 04:32 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है…

कुछ ऐसे ही सदाबहार गीतों से दिग्गज गीतकार शैलेंद्र (Shailendra) ने हमारे दिल को छुआ है. शैलेंद्र की कलम से जो मधुर गीत निकलते थे, वह आज भी मन को खुश कर देते हैं. 1950 और 1960 के दशक में शैलेंद ने हिंदी सिनेमा को एक से एक शानदार गीत दिए, जिन्हें आज भी हम बहुत ही दिल से गुन-गुनाते हैं. कई हिट गाने हिंदी सिनेमा को देने वाले शैलेंद्र के कई गीत मॉर्डन इंडिया के एंथम बन गए. 'आवारा हूं', 'मेरा जूता है जापानी', 'सुहाना सफर और ये मैसन हसीन', 'आजा आई बहार', 'गाता रहे मेरे दिल', 'आज फिर जीने की', 'चलत मुसाफिर मोह लिया रे', 'तू प्यार का सागर है', 'पिया तोसे नैना लागे रे…' ऐसे न जाने शैलेंद्र साहब के कितने ही गाने हैं, जिन्हें न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में मौजूद भारतीय संगीत प्रेमी द्वारा पसंद किया जाता है. ये गीत दुनिया भर में लोकप्रिय हैं.
शैलेंद्र की खासियत थी कि वह ऐसे गाने लिखने की क्षमता रखते थे, जो आसान होते थे, लेकिन उनमें एक वो बात होती थी जो आपको एक गहरे अर्थ तक खींच के ले जाती थी. जैसे- फिल्म 'दिल एक मंदिर' का बहुत ही मशहूर गाना- 'रुक जा रात ठहर जा रे चंदा, बीते न मिलन की बेला…' ये गाना सुनने में जितना मधुर और आसान लगता है, इसमें उतनी ही गहराई छिपी है. एक प्रेमिका चांद से कह रही है कि छिपना नहीं, ताकि अगला दिन न हो. अगला दिन हुआ तो वह अपने प्रेमी से बिछड़ जाएगी. वो रात को रुक जाने के लिए कह रही है, ताकि अपनी प्रेम कहानी की यादों को ताजा कर सके.
माचिस की तीलियों से लिख डाला था गाना
शैलेंद्र के गीत प्रकृति, बचपन, रोमांस, उदासी, दर्द, प्रेम, आशावाद, आध्यात्मिकता और कभी-कभी कॉमेडी को लेकर भी बात करते थे. इतने आसान गीत लिखने वाले ये गीतकार एक दिन गीत लिखते-लिखते ऐसे फंसे कि उन्हें माचिस की तीलियों से अपना ये गीत लिखना पड़ा था. आज हम अपनी किस्सों की डायरी से गीतकार शैलेंद्र से जुड़ा ये किस्सा आपके लिए लेकर हैं, जिसके बारे में शायद ही आपने सुना हो. आज हम आपको बताएंगे कि वो कौनसा मशहूर गीत है, जिसे शैलेंद्र साहब को माचिस की तीलियों से लिखना पड़ा और क्यों?
यह बात है साल 1952 की, जब दिलीप कुमार स्टारर फिल्म 'दाग' पर काम चल रहा था. अन्नू कपूर अपने एक शो में बताते हैं कि फिल्म के एक गाने की रिकॉर्डिंग होनी थी. गाने की धुन तो तैयार थी, लेकिन गीत तैयार नहीं था. इस दौरान स्टूडियो में एक दिन फिल्म के गीतकार शैलेंद्र का इंतजार हो रहा था. शैलेंद्र जैसे ही स्टूडियो पहुंचे, उनसे फिल्म के संगीतकार शंकर-जयकिशन ने गीत के बोल के बारे में पूछ लिया. अब इसका जवाब शैलेंद्र ने उन्हें दिया कि गाना तो नहीं है अभी, लेकिन गाने का आइडिया है मेरे पास, सिर्फ आधा घंटा चाहिए.
शंकर-जयकिशन ने उन्हें आधा घंटा दे दिया. अब शैलेंद्र, म्यूजिशियन दत्ता राम को लेकर एक पास के ही पार्क में चले गए. शैलेंद्र को बोल समझ नहीं आते, तो वह पन्ने को फाड़कर पार्क में फेंके जा रहे थे. साथ में सिगरेट के खूब कश भी लगा रहे थे. जब कहीं पर धुन की जरूरत पड़ती तो दत्ता राम उन्हें गुन-गुनाकर बताते कि धुन का मीटर ये है. धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था, लेकिन गीत था कि बनकर तैयार ही नहीं हो रहा था. इस बीच उन्होंने गीत लिखने के चक्कर में करीब 12-15 सिगरेटें फूंक डाली थीं.
जानिए कौनसा था ये मशहूर गीत?
पार्क में वह जहां बैठे थे, वहां पर तीन चीजों का ढेर लग गया. एक फाड़े गए पन्नों का, दूसरा सिगरेट का और तीसरा था सिगरेट जलाने वाली माचिस की तीलियों का. इस बीच अचानक शैलेंद्र खुशी से झूम उठे. वह चिल्लाने लगे- बन गया, बन गया. अब शैलेंद्र ने जैसे ही गीत लिखना शुरू किया, उनके पेन की स्याही खत्म हो गई. शैलेंद्र किसी को नया पेन लेने के लिए भेज भी नहीं सकते थे, क्योंकि इतने कोई नया पेन लेकर आता, उनके दिमाग से वो बोल और विचार निकल जाते, जो उन्होंने गाने के लिए सोचे थे. वे अपने दिमाग में घूम रहे इस गीत के बोलों को कागज पर उतारने के लिए बेताब थे.
वह सोच ही रहे थे कि इस गीत को कैसे लिखा जाए कि अचानक उनकी नजर गई माचिस की तीलियों के ढेर पर. उन्होंने तुरंत एक-एक कर माचिस की तीली उठाना शुरू किया और अपने गीत के बोलों को उसकी कालिख से कागज पर लिखना शुरू कर दिया. इन्हीं तीलियों की मदद से उन्होंने 'दाग' फिल्म का ये मशहूर गीत लिख डाला था, जो आज भी लोगों को खूब पसंद है. वो गाना है- ऐ मेरे दिल कहीं और चल, गम की दुनिया से दिल भर गया, ढूंढ ले अब कोई घर नया… इस गाने को अपनी मधुर आवाज से सजाया था दिग्गज गायक तलत महमूद ने.


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